हम अमन चाहते हैं जुल्म के खिलाफ, फैसला गर जंग से होगा तो जंग ही सही ।– रामप्रसाद विस्मिल
अगस्त 31, 2007 at 2:04 अपराह्न (Articles & Papers)
हम अमन चाहते हैं जुल्म के खिलाफ, फैसला गर जंग से होगा तो जंग ही सही ।– रामप्रसाद विस्मिल
अगस्त 31, 2007 at 11:08 पूर्वाह्न (Articles & Papers, खाना खजाना, ग्वालियर समाचार, घर/गृहस्थी/परिवार, जबलपुर समाचार, बच्चों का कोना, मध्यप्रदेश समाचार, महिलाओं के लिये, मुरैना समाचार, राष्ट्रीय/अन्तर्र, रोजगार/कैरियर, लेख/आलेख/फीचर्स, लेख/आलेख/फीचर्स, समाचार, Blogroll, Uncategorized)
सी.एम.की किसान विरोधी और स्वदेशी विरोधी नीतियों के खिलाफ कम्यूनिस्टों का मुरैना बन्द आजमुरैना । 31 अगस्त । म.प्र.की शिवराज सिंह सरकार की किसान विरोधी और स्वदेशी विरोधी नीतियों के खिलाफ मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी ने आज मुरैना बन्द का आहवान किया है ।माकपा कार्यकर्ताओं ने कहा है कि शिवराज सिंह अत्याचारी मुख्यमंत्री हो गये हैं और गरीबों के बटुये अमीरों की तिजोरी में गिरवी रखने का घिनौना षडयंत्र रच रहे हैं । जिसके एवज में करोड़ो रूपये की रिश्वत शिवराज सिंह को मिली है । रिलायन्स फ्रेश के नाम पर प्रदेश की खुदरा मंडियों को चौपट करने की साजिश पहले प्रदेश सरकार ने रची और अब विदेशी कम्पनीयों को न्यौता दे दे कर तथा प्रदेश से बाहर के औद्योगिक घरानों और जिलों से बाहर की कम्पनीयों को जिलों के ठेके बांट बांट कर प्रदेश को एक नई आर्थिक गुलामी की ओर धकेल रहे हैं । वे मध्यप्रदेश के योग्य व होनहार युवाओं को नौकरी के नाम पर पूंजीपतियों का गुलाम और किसानों को गुलाम विक्रेता व मोहताज बनाने का घिनौना कूटनीतिक खेल खेल कर प्रदेश से स्वदेशी और ग्राम स्वराज को खत्म कर रहे हैं जिसे कतई कामयाब नहीं होने दिया जायेगा । कम्यूनिस्ट पार्टी कार्यकर्ताओं ने शिवराज सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ते हुये आज मुरैना बन्द का आहवान किया है । सपाई भी भड़के मध्यप्रदेश सरकार के बाहरी कम्पनीयों को प्रदेश में बुलाने और खुदरा व्यवसाय तथा स्वरोजगार और स्वव्यवसाय चौपट करने की नीतियों के खिलाफ समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता भी एक जुट हो गये और उन्होंने भी शिवराज सरकार के खिलाफ आन्दोलन छेड़े जाने की चेतावनी दे डाली है । राजद ने भी किया जंग का ऐलान, शिवराज दूसरे नाथू राम गोडसे राष्ट्रीय जनता दल ने भी म.प्र. की शिवराज सिंह सरकार द्वारा बाहरी कम्पनीयों को मध्यप्रदेश में न्यौते जाने को आत्मघाती और विनाशकारी कदम बताते हुये कहा है कि, अभी हमारे सीने पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के जख्म सूखे नहीं हैं, और फिर से मध्यप्रदेश को गुलाम बनाने की साजिश कामयाब नहीं होने दी जायेगी । राष्ट्रीय जनता दल योजनाबद्ध तरीके से जन आन्दोलन छेड़ेगा । गांधी के ग्राम स्वराज की हत्या बताते हुये शिवराज सिंह को दूसरा नाथूराम गोडसे बताया है । गांव के किसानों और योग्य प्रतिभाओं व होनहार बालक बालिकाओं से सरकारी नौकरी और स्वरोजगार व स्वव्यवसाय के अवसर छीन कर बाहरी कम्पनीयों और धन्ना सेठों की गुलामी को राजद ने स्वदेशी से घृणा और विदेशी से प्रेम निरूपित किया है । राजद ने कहा है शिवराज का बर्ताव ऐसा है जो घरवाली को छोड़ कर बाहर वाली पर डोरे डालता फिरता है ।
अगस्त 31, 2007 at 10:59 पूर्वाह्न (Articles & Papers)
बिजली सप्लाई फिर चरमराई
मुरैना 31 अगस्त । पिछले दस रोज से फिर चम्बल अंचल की बिजली गुल है । हालात बिजली कटौती के कुछ ऐसे हैं कि कहो तो सारा दिन बिजली न आवे और कहो तो सारी रात अंधेरा कायम रहे । अभी पिछले चार रोज से तो हालात ये चल रहे हैं कि न रात में बिजली न दिन में । यानि बिजली कटौती इतनी सीरियस कि नान स्टाप डे एण्ड नाइट ब्लैक आउट ।
हालांकि 26 जुलाई से म.प्र. विद्युत वितरण कम्पनी के इस विशेष कटौती कार्यक्रम की विधिवत कोई घोषणा नहीं की गयी है और न इसे किसी नियमित चक्र में चलाया जाता है । यह बाकायदा अघोषित अनियमित और बेकाबू होती है ।
चम्बल में विद्युत सप्लाई पूर्णत: ध्वस्त: लगातार तीन दिनों तक ब्लैक आउट
कहाँ तक बयां करें हालात ए गुलिस्तां, यहाँ हर शाख पे उल्लू बैठा है
मुरैना 9 अगस्त 07 ! अंततोगत्वा पिछले 26 जुलाई से चम्बल घाटी में कहर मचा रही बिजली व्यवस्था अपने चरम पर आकर पूरे तीन दिनों के लिये पूर्णत: ठप्प हो ही गयी !
उल्लेखनीय है कि विगत 26 जुलाई 07 से चम्बल घाटी की बिजली सप्लाई पूरी तरह चरमरा गयी थी और दिन में पीक वर्किंग टाइम में लगभग 6-7 घएटे तथा रात में करीब 3-4 घण्टे की बेहिसाब अनाप शनाप कटौती चल रही थी, जिसका न समय तय था न कोई घोषणा ही इस मुतल्लिक जारी हुयी थी !
उधर दूसरी ओर सरकार दावा दर दावा ठोकने में लगी थी कि हम बहुत ज्यादा बिजली पैदा कर रहे हैं और अब कोई बिजली संकट नहीं है ! जबकि सच यह है कि चम्बल में धुंआधार कटौती चल रही थी !
अभी हाल ही में दो बड़े बिजली उत्पादन के अडडे जहाँ उदघाटित हुये हैं जिसमें एक लालकृष्ण आडवाणी जी ने किया वहीं दूसरा मुरैना के ऐन निकट ही ग्वालियर जिले में केन्द्रीय मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने किया ! जिसमें दावा यह था कि म.प्र. विशेषकर चम्बल ग्वालियर की बिजली समस्या अब पूर्णत: समाप्त !
उधर भगवान की दया से प्रदेश में बरसात भी अच्छी भली चल रही है, बाढ़ आ रही है, बांधो के इमरजेन्सी गेट खोल कर जरूरत से ज्यादा इकठठा हुआ पानी निकालना पड़ रहा है !
फिर भी बिजली नहीं होना जहाँ हैरत अंगेज और गजब की जादूगिरी है वहीं कुछ चौंकाने वाले सवालों की भी जन्मदाता ! मसलन बिना बिजली मिले म.प्र. की जनता अरबों रूपया की बिल भरपाई वर्ष सनृ 2000 से करती आ रही है ! उल्लेखनीय है कि प्रदेश में एवरेज बिलर्स की संख्या 70 फीसदी है, जिन्हें बिजली मिले या न मिले एक निश्चित औसत राशि बिजली विभाग को देनी ही पड़ती है ! और यह राशि प्रतिमाह करोड़ों रू में और वर्ष 2000 से अब तक अरबों रू में पहुँच चुकी है !
जहाँ सरकार बिजली चोरी और जनता को चोर ठहराने में कोई कसर बकाया नहीं रखती वही अब यह सवाल भी जोरदार है कि बिना बिजली दिये की गयी अरबों रू की यह वसूली क्या नाहक नहीं है ? और क्या सरकार चोर नहीं है ? जिसने जनता की जेब पर डाका डाला है ! सरकार में यदि भलमनसाहत है तो पहले तो उनका पैसा लौटाये जिन्होंने इतने वर्ष तक बिना बिजली मिले भी पूरा बिल भुगतान किया है, उनकी बिजली तो कटी लेकिन बिलों में कटौती या उनकी धन वापसी की बात अभी तक क्यों नहीं हुयी ! यह सवाल यक्ष प्रश्न है, जिसका उत्तर सरकार को जनता को चोर कहने से पहले अनिवार्यत: देना होगा, तभी जनता के गले बात उतरेगी, वरना जनता आपको चोर कहती रहेगी, और आप जनता को !
विगत सोमवार 6 अगस्त से 8 अगस्त जो चम्बल में बिजली सप्लाई का जो कहर हुआ वह न केवल शर्मनाक बल्कि संभवत: म.प्र. के इतिहास में पहली बार हुआ जबरदस्त बलैक आउट है ! जिसमें 6 अगस्त सुबह से लेकर सारे दिन और सारी रात फिर 7 अगस्त को सारा दिन और सारी रात फिर 8 अगस्त को दोपहर 12 बजे तक लगातार सप्लाई ठप्प यानि पूर्णत: बन्द यानि ब्लैकआउट ! फिर दोबारा 8 अगस्त को शाम 4 बजे से रात 7:45 बजे तक पुन: सप्लाई बन्द ! गजब, अदभुत, चमात्कारिक, वाह क्या कहने ! बिजली वाले हुये या अलाउददीन के चिराग के जिन्न !
अब इसमें लोग कह रहे थे कि भईया आरक्षण की भर्ती है, आरक्षण का स्टाफ है तो यह तो होना ही है , अब ऐसी अवस्था में यदि लोग ऐसा कहते हैं तो हम पूछते हैं कि क्या गलत कहते हैं ! आरक्षण के नाम पर अयोग्य लोगों या कम योग्य लोगों के सहारे ऐसे संवेदलशील टैक्नीकल काम छोड़े जायेंगे तो यह तो होगा ही ! अव्वल तो वे कुछ जानते ही नहीं, दूसरे हराम की चाट पंजीरी का ऐसा स्वाद उनके मुँह लगा है कि, सरकार बाद में बिजली बेच पायेगी वे यहीं फैक्ट्रीयों और इण्डस्ट्रियों में जम कर बिजली बेच देते हैं, उनके बैंक बैलेन्स और कोठीयों की लम्बाई चौड़ाई तो लगभग यही कहानी कहती है ! वहीं दूसरी ओर कुछ लोग यह भी कहते हैं कि बजली वालों को चोर और डकैतों से हफ्ता वसूली मिलती है, और कब कब कहाँ की बिजली गुल की जायेगी इसकी खबर चोरों डकैतों को रहती है और बिजली विभाग के गुप्त शिडयूल के अनुसार ही उनका गुप्त शिडयूल चलता है ! अगर लोग ऐसा कहते हैं, तो अब लोग क्या गलत कहते हैं ?
उल्लेखनीय है कि मुरैना और भिण्ड दोनों ही जिलों में बिजली को लेकर अभी हाल ही पिछले दस पन्द्रह दिनों में भारी जनआक्रोश और उपद्रव हुआ जहाँ महिलाओं ने जगह जगह कई आन्दोलन किये और पुतले फूंके, बिजली वालों की धुनाई पिटाई कर डाली वहीं लगता है सारी चम्बल घाटी में महिलाओं की फौज मानो कमर कसकर विद्रोह और विरोध पर उतारू है और प्रदर्शन, धरना, विरोध से लेकर धुनाई पिटाई भी उनके आन्दोलन का हिस्सा है, मजे की बात ये है कि उनके साथ कोई राजनीतिक दल नहीं हैं, जनता अपनी लड़ाई खुद लड़ रही है !
पिछले सप्ताह म.प्र. शासन के पूर्व कांग्रेस मंत्री राकेश चौधरी को जरूर भिण्ड में बिजली समस्या को लेकर न केवल सड़कों पर आना पड़ा बल्कि भिण्ड कलेक्ट्रेट की तालाबन्दी करना पड़ी, उनके तालाबन्दी आन्दोलन को जनता का इतना व्यापक समर्थन मिला कि भिण्ड की सडृकों पर जनता समाये नहीं बन रही थी, उन्होंने न केवल कुशलता और सफलतापूर्वक कलेक्ट्रेट भिण्ड की तालाबन्दी कर दी बल्कि जनता के हीरो भी बन गये ! यह भी स्मरणीय है कि भिण्ड के वर्तमान भाजपा विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह भी बिल्कुल ठीक इसी तरह विधायक बने ! बस फर्क यह था कि उस समय कांग्रेस की सरकार थी और इसी बिजली के लिये आन्दोलन नरेन्द्र सिंह कुशवाह ने इसी तरह जनता को साथ लेकर किया था ! और कई बिजली वालों की पिटाई धुनाई की थी, और पहले वे अखबारों की सुर्खियां बनें, फिर भिण्ड के विधायक ! तब राकेश चौधरी भिण्ड के विधायक और बाद में सरकार के मंत्री थे ! अब बिल्कुल वही सिचुएशन एकदम उल्टी है ! यानि आप समझ ही गये होंगे कि इसका अर्थ क्या है !
मुरैना की स्थिति थोड़ी भिन्न है, विशुध्द रूप से आरक्षित सीट रहने और भाजपा का अखण्ड गढ़ रहने से यहाँ जननेतृत्व का अभाव है, यहाँ के विधायक, सांसद जननेता की परिभाषा से परे हैं , चाटुकारिता और कृपालुता के भरोसे राजनीति करने वाले नेताओं के साये में मुरैना जिला की जनता को अपनी लड़ाई खुद लड़ना पड़ती है, लड़ती आयी है, और लड़ भी रही है ! नेता, विधायक, मंत्री, सांसद सब अपनी अपनी पीठ खुद ही थपथपाते रहते हैं, थपथपा रहे हैं, उनका हमेशा ही खैरियत अलार्म और ”जी सर” ”यस सर” तकिया कलाम चालू रहता है !
जनता चोर और वे साहूकार, वाह भई वाह उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे ! लोकतंत्र में जनता कोतवाल होती है, और सरकार चोर, लोकतंत्र का मतलब तो यही है भईया ! जनता अधिकारी होती है, और सरकारी लोग उसके नौकर यानि सेवक यानि पब्लिक सर्वेण्ट ! मगर यहाँ तो उल्टी ही गंगा बह रही है !
क्या कहता है बिजली विभाग ?
आज के दैनिक भास्कर में बिजली विभाग का स्पष्टीकरण यानि पक्ष प्रकाशित है, हम दैनिक भास्कर से साभार इसे यहाँ दे रहे हैं – महकमे के बिजली के तार चार पाँच जगह पर टूट गये थे, रात का समय होने की वजह से तारों को जोड़ा नहीं जा सके, हालांकि बुधवार की दोपहर को शहर की आपूर्ति को सामान्य बना लिया गया है- पी.के.सिंह, एस.ई. विद्युत मण्डल मुरैना !
क्या उक्त पक्ष स्पष्टीकरण से कुछ जाहिर नहीं होता – 1. ये लोग 24 घण्टे के पूर्णकालिक कर्मचारी यानि लोकसेवक यानि पब्लिक सर्वेण्ट नहीं हैं 2. बिजली के तार टूटना एक सामान्य और आम बात है जो सनृ 2000 से आज तक रोजाना हो रही है 3. ट्रान्सफार्मर फुंकना आम बात है जो सन 2000 से रोजाना फुंक रहे हैं 4. रात के वक्त बिजली महकमा काम नहीं करता 5. चार पाँच जगह के बिजली के तार तीन दिनों में जोड़ पाते हैं बेचारे 6. दारू पीकर होश में आने में कर्मचारीयों को तीन दिन से ज्यादा भी लग जाते हैं !
अगस्त 31, 2007 at 10:58 पूर्वाह्न (Articles & Papers, खाना खजाना, ग्वालियर समाचार, घर/गृहस्थी/परिवार, जबलपुर समाचार, बच्चों का कोना, मध्यप्रदेश समाचार, महिलाओं के लिये, मुरैना समाचार, राष्ट्रीय/अन्तर्र, रोजगार/कैरियर, लेख/आलेख/फीचर्स, लेख/आलेख/फीचर्स, समाचार, Blogroll, Uncategorized)
बिजली सप्लाई फिर चरमराई मुरैना 31 अगस्त । पिछले दस रोज से फिर चम्बल अंचल की बिजली गुल है । हालात बिजली कटौती के कुछ ऐसे हैं कि कहो तो सारा दिन बिजली न आवे और कहो तो सारी रात अंधेरा कायम रहे । अभी पिछले चार रोज से तो हालात ये चल रहे हैं कि न रात में बिजली न दिन में । यानि बिजली कटौती इतनी सीरियस कि नान स्टाप डे एण्ड नाइट ब्लैक आउट । हालांकि 26 जुलाई से म.प्र. विद्युत वितरण कम्पनी के इस विशेष कटौती कार्यक्रम की विधिवत कोई घोषणा नहीं की गयी है और न इसे किसी नियमित चक्र में चलाया जाता है । यह बाकायदा अघोषित अनियमित और बेकाबू होती है । चम्बल में विद्युत सप्लाई पूर्णत: ध्वस्त: लगातार तीन दिनों तक ब्लैक आउट कहाँ तक बयां करें हालात ए गुलिस्तां, यहाँ हर शाख पे उल्लू बैठा है मुरैना 9 अगस्त 07 ! अंततोगत्वा पिछले 26 जुलाई से चम्बल घाटी में कहर मचा रही बिजली व्यवस्था अपने चरम पर आकर पूरे तीन दिनों के लिये पूर्णत: ठप्प हो ही गयी ! उल्लेखनीय है कि विगत 26 जुलाई 07 से चम्बल घाटी की बिजली सप्लाई पूरी तरह चरमरा गयी थी और दिन में पीक वर्किंग टाइम में लगभग 6-7 घएटे तथा रात में करीब 3-4 घण्टे की बेहिसाब अनाप शनाप कटौती चल रही थी, जिसका न समय तय था न कोई घोषणा ही इस मुतल्लिक जारी हुयी थी ! उधर दूसरी ओर सरकार दावा दर दावा ठोकने में लगी थी कि हम बहुत ज्यादा बिजली पैदा कर रहे हैं और अब कोई बिजली संकट नहीं है ! जबकि सच यह है कि चम्बल में धुंआधार कटौती चल रही थी ! अभी हाल ही में दो बड़े बिजली उत्पादन के अडडे जहाँ उदघाटित हुये हैं जिसमें एक लालकृष्ण आडवाणी जी ने किया वहीं दूसरा मुरैना के ऐन निकट ही ग्वालियर जिले में केन्द्रीय मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने किया ! जिसमें दावा यह था कि म.प्र. विशेषकर चम्बल ग्वालियर की बिजली समस्या अब पूर्णत: समाप्त ! उधर भगवान की दया से प्रदेश में बरसात भी अच्छी भली चल रही है, बाढ़ आ रही है, बांधो के इमरजेन्सी गेट खोल कर जरूरत से ज्यादा इकठठा हुआ पानी निकालना पड़ रहा है ! फिर भी बिजली नहीं होना जहाँ हैरत अंगेज और गजब की जादूगिरी है वहीं कुछ चौंकाने वाले सवालों की भी जन्मदाता ! मसलन बिना बिजली मिले म.प्र. की जनता अरबों रूपया की बिल भरपाई वर्ष सनृ 2000 से करती आ रही है ! उल्लेखनीय है कि प्रदेश में एवरेज बिलर्स की संख्या 70 फीसदी है, जिन्हें बिजली मिले या न मिले एक निश्चित औसत राशि बिजली विभाग को देनी ही पड़ती है ! और यह राशि प्रतिमाह करोड़ों रू में और वर्ष 2000 से अब तक अरबों रू में पहुँच चुकी है ! जहाँ सरकार बिजली चोरी और जनता को चोर ठहराने में कोई कसर बकाया नहीं रखती वही अब यह सवाल भी जोरदार है कि बिना बिजली दिये की गयी अरबों रू की यह वसूली क्या नाहक नहीं है ? और क्या सरकार चोर नहीं है ? जिसने जनता की जेब पर डाका डाला है ! सरकार में यदि भलमनसाहत है तो पहले तो उनका पैसा लौटाये जिन्होंने इतने वर्ष तक बिना बिजली मिले भी पूरा बिल भुगतान किया है, उनकी बिजली तो कटी लेकिन बिलों में कटौती या उनकी धन वापसी की बात अभी तक क्यों नहीं हुयी ! यह सवाल यक्ष प्रश्न है, जिसका उत्तर सरकार को जनता को चोर कहने से पहले अनिवार्यत: देना होगा, तभी जनता के गले बात उतरेगी, वरना जनता आपको चोर कहती रहेगी, और आप जनता को ! विगत सोमवार 6 अगस्त से 8 अगस्त जो चम्बल में बिजली सप्लाई का जो कहर हुआ वह न केवल शर्मनाक बल्कि संभवत: म.प्र. के इतिहास में पहली बार हुआ जबरदस्त बलैक आउट है ! जिसमें 6 अगस्त सुबह से लेकर सारे दिन और सारी रात फिर 7 अगस्त को सारा दिन और सारी रात फिर 8 अगस्त को दोपहर 12 बजे तक लगातार सप्लाई ठप्प यानि पूर्णत: बन्द यानि ब्लैकआउट ! फिर दोबारा 8 अगस्त को शाम 4 बजे से रात 7:45 बजे तक पुन: सप्लाई बन्द ! गजब, अदभुत, चमात्कारिक, वाह क्या कहने ! बिजली वाले हुये या अलाउददीन के चिराग के जिन्न ! अब इसमें लोग कह रहे थे कि भईया आरक्षण की भर्ती है, आरक्षण का स्टाफ है तो यह तो होना ही है , अब ऐसी अवस्था में यदि लोग ऐसा कहते हैं तो हम पूछते हैं कि क्या गलत कहते हैं ! आरक्षण के नाम पर अयोग्य लोगों या कम योग्य लोगों के सहारे ऐसे संवेदलशील टैक्नीकल काम छोड़े जायेंगे तो यह तो होगा ही ! अव्वल तो वे कुछ जानते ही नहीं, दूसरे हराम की चाट पंजीरी का ऐसा स्वाद उनके मुँह लगा है कि, सरकार बाद में बिजली बेच पायेगी वे यहीं फैक्ट्रीयों और इण्डस्ट्रियों में जम कर बिजली बेच देते हैं, उनके बैंक बैलेन्स और कोठीयों की लम्बाई चौड़ाई तो लगभग यही कहानी कहती है ! वहीं दूसरी ओर कुछ लोग यह भी कहते हैं कि बजली वालों को चोर और डकैतों से हफ्ता वसूली मिलती है, और कब कब कहाँ की बिजली गुल की जायेगी इसकी खबर चोरों डकैतों को रहती है और बिजली विभाग के गुप्त शिडयूल के अनुसार ही उनका गुप्त शिडयूल चलता है ! अगर लोग ऐसा कहते हैं, तो अब लोग क्या गलत कहते हैं ? उल्लेखनीय है कि मुरैना और भिण्ड दोनों ही जिलों में बिजली को लेकर अभी हाल ही पिछले दस पन्द्रह दिनों में भारी जनआक्रोश और उपद्रव हुआ जहाँ महिलाओं ने जगह जगह कई आन्दोलन किये और पुतले फूंके, बिजली वालों की धुनाई पिटाई कर डाली वहीं लगता है सारी चम्बल घाटी में महिलाओं की फौज मानो कमर कसकर विद्रोह और विरोध पर उतारू है और प्रदर्शन, धरना, विरोध से लेकर धुनाई पिटाई भी उनके आन्दोलन का हिस्सा है, मजे की बात ये है कि उनके साथ कोई राजनीतिक दल नहीं हैं, जनता अपनी लड़ाई खुद लड़ रही है ! पिछले सप्ताह म.प्र. शासन के पूर्व कांग्रेस मंत्री राकेश चौधरी को जरूर भिण्ड में बिजली समस्या को लेकर न केवल सड़कों पर आना पड़ा बल्कि भिण्ड कलेक्ट्रेट की तालाबन्दी करना पड़ी, उनके तालाबन्दी आन्दोलन को जनता का इतना व्यापक समर्थन मिला कि भिण्ड की सडृकों पर जनता समाये नहीं बन रही थी, उन्होंने न केवल कुशलता और सफलतापूर्वक कलेक्ट्रेट भिण्ड की तालाबन्दी कर दी बल्कि जनता के हीरो भी बन गये ! यह भी स्मरणीय है कि भिण्ड के वर्तमान भाजपा विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह भी बिल्कुल ठीक इसी तरह विधायक बने ! बस फर्क यह था कि उस समय कांग्रेस की सरकार थी और इसी बिजली के लिये आन्दोलन नरेन्द्र सिंह कुशवाह ने इसी तरह जनता को साथ लेकर किया था ! और कई बिजली वालों की पिटाई धुनाई की थी, और पहले वे अखबारों की सुर्खियां बनें, फिर भिण्ड के विधायक ! तब राकेश चौधरी भिण्ड के विधायक और बाद में सरकार के मंत्री थे ! अब बिल्कुल वही सिचुएशन एकदम उल्टी है ! यानि आप समझ ही गये होंगे कि इसका अर्थ क्या है ! मुरैना की स्थिति थोड़ी भिन्न है, विशुध्द रूप से आरक्षित सीट रहने और भाजपा का अखण्ड गढ़ रहने से यहाँ जननेतृत्व का अभाव है, यहाँ के विधायक, सांसद जननेता की परिभाषा से परे हैं , चाटुकारिता और कृपालुता के भरोसे राजनीति करने वाले नेताओं के साये में मुरैना जिला की जनता को अपनी लड़ाई खुद लड़ना पड़ती है, लड़ती आयी है, और लड़ भी रही है ! नेता, विधायक, मंत्री, सांसद सब अपनी अपनी पीठ खुद ही थपथपाते रहते हैं, थपथपा रहे हैं, उनका हमेशा ही खैरियत अलार्म और ”जी सर” ”यस सर” तकिया कलाम चालू रहता है ! जनता चोर और वे साहूकार, वाह भई वाह उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे ! लोकतंत्र में जनता कोतवाल होती है, और सरकार चोर, लोकतंत्र का मतलब तो यही है भईया ! जनता अधिकारी होती है, और सरकारी लोग उसके नौकर यानि सेवक यानि पब्लिक सर्वेण्ट ! मगर यहाँ तो उल्टी ही गंगा बह रही है ! क्या कहता है बिजली विभाग ?आज के दैनिक भास्कर में बिजली विभाग का स्पष्टीकरण यानि पक्ष प्रकाशित है, हम दैनिक भास्कर से साभार इसे यहाँ दे रहे हैं – महकमे के बिजली के तार चार पाँच जगह पर टूट गये थे, रात का समय होने की वजह से तारों को जोड़ा नहीं जा सके, हालांकि बुधवार की दोपहर को शहर की आपूर्ति को सामान्य बना लिया गया है- पी.के.सिंह, एस.ई. विद्युत मण्डल मुरैना ! क्या उक्त पक्ष स्पष्टीकरण से कुछ जाहिर नहीं होता – 1. ये लोग 24 घण्टे के पूर्णकालिक कर्मचारी यानि लोकसेवक यानि पब्लिक सर्वेण्ट नहीं हैं 2. बिजली के तार टूटना एक सामान्य और आम बात है जो सनृ 2000 से आज तक रोजाना हो रही है 3. ट्रान्सफार्मर फुंकना आम बात है जो सन 2000 से रोजाना फुंक रहे हैं 4. रात के वक्त बिजली महकमा काम नहीं करता 5. चार पाँच जगह के बिजली के तार तीन दिनों में जोड़ पाते हैं बेचारे 6. दारू पीकर होश में आने में कर्मचारीयों को तीन दिन से ज्यादा भी लग जाते हैं !
अगस्त 31, 2007 at 10:47 पूर्वाह्न (Articles & Papers)
सी.एम.की किसान विरोधी और स्वदेशी विरोधी नीतियों के खिलाफ कम्यूनिस्टों का मुरैना बन्द आज
मुरैना । 31 अगस्त । म.प्र.की शिवराज सिंह सरकार की किसान विरोधी और स्वदेशी विरोधी नीतियों के खिलाफ मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी ने आज मुरैना बन्द का आहवान किया है ।
माकपा कार्यकर्ताओं ने कहा है कि शिवराज सिंह अत्याचारी मुख्यमंत्री हो गये हैं और गरीबों के बटुये अमीरों की तिजोरी में गिरवी रखने का घिनौना षडयंत्र रच रहे हैं । जिसके एवज में करोड़ो रूपये की रिश्वत शिवराज सिंह को मिली है ।
रिलायन्स फ्रेश के नाम पर प्रदेश की खुदरा मंडियों को चौपट करने की साजिश पहले प्रदेश सरकार ने रची और अब विदेशी कम्पनीयों को न्यौता दे दे कर तथा प्रदेश से बाहर के औद्योगिक घरानों और जिलों से बाहर की कम्पनीयों को जिलों के ठेके बांट बांट कर प्रदेश को एक नई आर्थिक गुलामी की ओर धकेल रहे हैं । वे मध्यप्रदेश के योग्य व होनहार युवाओं को नौकरी के नाम पर पूंजीपतियों का गुलाम और किसानों को गुलाम विक्रेता व मोहताज बनाने का घिनौना कूटनीतिक खेल खेल कर प्रदेश से स्वदेशी और ग्राम स्वराज को खत्म कर रहे हैं जिसे कतई कामयाब नहीं होने दिया जायेगा ।
कम्यूनिस्ट पार्टी कार्यकर्ताओं ने शिवराज सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ते हुये आज मुरैना बन्द का आहवान किया है ।
सपाई भी भड़के
मध्यप्रदेश सरकार के बाहरी कम्पनीयों को प्रदेश में बुलाने और खुदरा व्यवसाय तथा स्वरोजगार और स्वव्यवसाय चौपट करने की नीतियों के खिलाफ समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता भी एक जुट हो गये और उन्होंने भी शिवराज सरकार के खिलाफ आन्दोलन छेड़े जाने की चेतावनी दे डाली है ।
राजद ने भी किया जंग का ऐलान, शिवराज दूसरे नाथू राम गोडसे
राष्ट्रीय जनता दल ने भी म.प्र. की शिवराज सिंह सरकार द्वारा बाहरी कम्पनीयों को मध्यप्रदेश में न्यौते जाने को आत्मघाती और विनाशकारी कदम बताते हुये कहा है कि, अभी हमारे सीने पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के जख्म सूखे नहीं हैं, और फिर से मध्यप्रदेश को गुलाम बनाने की साजिश कामयाब नहीं होने दी जायेगी । राष्ट्रीय जनता दल योजनाबद्ध तरीके से जन आन्दोलन छेड़ेगा । गांधी के ग्राम स्वराज की हत्या बताते हुये शिवराज सिंह को दूसरा नाथूराम गोडसे बताया है । गांव के किसानों और योग्य प्रतिभाओं व होनहार बालक बालिकाओं से सरकारी नौकरी और स्वरोजगार व स्वव्यवसाय के अवसर छीन कर बाहरी कम्पनीयों और धन्ना सेठों की गुलामी को राजद ने स्वदेशी से घृणा और विदेशी से प्रेम निरूपित किया है । राजद ने कहा है शिवराज का बर्ताव ऐसा है जो घरवाली को छोड़ कर बाहर वाली पर डोरे डालता फिरता है ।
अगस्त 31, 2007 at 10:47 पूर्वाह्न (Articles & Papers)
सी.एम.की किसान विरोधी और स्वदेशी विरोधी नीतियों के खिलाफ कम्यूनिस्टों का मुरैना बन्द आज
मुरैना । 31 अगस्त । म.प्र.की शिवराज सिंह सरकार की किसान विरोधी और स्वदेशी विरोधी नीतियों के खिलाफ मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी ने आज मुरैना बन्द का आहवान किया है ।
माकपा कार्यकर्ताओं ने कहा है कि शिवराज सिंह अत्याचारी मुख्यमंत्री हो गये हैं और गरीबों के बटुये अमीरों की तिजोरी में गिरवी रखने का घिनौना षडयंत्र रच रहे हैं । जिसके एवज में करोड़ो रूपये की रिश्वत शिवराज सिंह को मिली है ।
रिलायन्स फ्रेश के नाम पर प्रदेश की खुदरा मंडियों को चौपट करने की साजिश पहले प्रदेश सरकार ने रची और अब विदेशी कम्पनीयों को न्यौता दे दे कर तथा प्रदेश से बाहर के औद्योगिक घरानों और जिलों से बाहर की कम्पनीयों को जिलों के ठेके बांट बांट कर प्रदेश को एक नई आर्थिक गुलामी की ओर धकेल रहे हैं । वे मध्यप्रदेश के योग्य व होनहार युवाओं को नौकरी के नाम पर पूंजीपतियों का गुलाम और किसानों को गुलाम विक्रेता व मोहताज बनाने का घिनौना कूटनीतिक खेल खेल कर प्रदेश से स्वदेशी और ग्राम स्वराज को खत्म कर रहे हैं जिसे कतई कामयाब नहीं होने दिया जायेगा ।
कम्यूनिस्ट पार्टी कार्यकर्ताओं ने शिवराज सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ते हुये आज मुरैना बन्द का आहवान किया है ।
सपाई भी भड़के
मध्यप्रदेश सरकार के बाहरी कम्पनीयों को प्रदेश में बुलाने और खुदरा व्यवसाय तथा स्वरोजगार और स्वव्यवसाय चौपट करने की नीतियों के खिलाफ समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता भी एक जुट हो गये और उन्होंने भी शिवराज सरकार के खिलाफ आन्दोलन छेड़े जाने की चेतावनी दे डाली है ।
राजद ने भी किया जंग का ऐलान, शिवराज दूसरे नाथू राम गोडसे
राष्ट्रीय जनता दल ने भी म.प्र. की शिवराज सिंह सरकार द्वारा बाहरी कम्पनीयों को मध्यप्रदेश में न्यौते जाने को आत्मघाती और विनाशकारी कदम बताते हुये कहा है कि, अभी हमारे सीने पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के जख्म सूखे नहीं हैं, और फिर से मध्यप्रदेश को गुलाम बनाने की साजिश कामयाब नहीं होने दी जायेगी । राष्ट्रीय जनता दल योजनाबद्ध तरीके से जन आन्दोलन छेड़ेगा । गांधी के ग्राम स्वराज की हत्या बताते हुये शिवराज सिंह को दूसरा नाथूराम गोडसे बताया है । गांव के किसानों और योग्य प्रतिभाओं व होनहार बालक बालिकाओं से सरकारी नौकरी और स्वरोजगार व स्वव्यवसाय के अवसर छीन कर बाहरी कम्पनीयों और धन्ना सेठों की गुलामी को राजद ने स्वदेशी से घृणा और विदेशी से प्रेम निरूपित किया है । राजद ने कहा है शिवराज का बर्ताव ऐसा है जो घरवाली को छोड़ कर बाहर वाली पर डोरे डालता फिरता है ।
अगस्त 31, 2007 at 6:14 पूर्वाह्न (Articles & Papers)
राजपूतों को भी पसन्द आया, सबको भाया प्रतिभा ताई का फोटो
मुरैना । 31 अगस्त महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा ताई यानि श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के अधिकृत सार्वजनिक फोटो पर काफी अनुसंधान के बाद अंतत: जब उनका अधिकृत सार्वजनिक फोटो जारी किया गया तो उनका यह रूप सबको भाया । सबने कहा ठीक है सम्पूर्ण भारतीयता है । राजपूतों ने कहा कि बहू भी लग रही है और मॉं की ममता और करूणा भी ।
दरअसल उनके फोटो पर चम्बल में खासी चर्चा थी । विशुद्ध राजपूताना क्षेत्र और भारत का नाभि स्थल या केन्द्र स्थल होने से यहॉं की प्रतिक्रया खासी अहमियत रखती है । ओवर ऑल प्रतिभा ताई के अधिकृत सार्वजनिक फोटो को लोगों यानि भारत की जनता विशेषकर राजपूतों ने स्वीकृत व सर्वमान्य की मुहर लगा कर ताई के बहू और ममतामयी स्वरूप को अपना कर पसन्द कर लिया है । भारत के मशहूर हिन्दी समाचार पत्र दैनिक भास्कर ने आज के मुख्यपृष्ठ पर ही ताई के फोटो पर खासा रिपोर्ताज प्रकाशित किया है ।
अगस्त 30, 2007 at 6:01 अपराह्न (Articles & Papers)
सूचना के अधिकार पर मेलों का आयोजन
मुरैना 30 अगस्त 07 // सूचना के अधिकार का ब्यापक प्रचार- प्रसार करने हेतु जिला, तहसील एवं ब्लाक स्तर पर सूचना मेलों का आयोजन किया जा रहा है ।
राज्य शासन द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, परियोजना अधिकारी शहरी विकास अभिकरण एवं समस्त अनुविभागीय अधिकारियों को अपने- अपने क्षेत्रों में सूचना के अधिकार के तहत सूचना मेलों का आयोजन करने के निर्देश दिए है ।
जिला मुख्यालयों, तहसील एवं ब्लाक कार्यालयों में आयोजित होने वाले इन सूचना मेलों में शासन के समस्त विभागों द्वारा सूचना के अधिकार से संबंधित जानकारी प्रचारित की जाएगी। इनमें सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 के अंतर्गत बनाए गए 17 बिंदुओं के मेन्युअल की जानकारी का अनिवार्य रूप से समावेश करने के निर्देश दिये गये हैं।
राज्य शासन ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिये हैं कि इस आयोजन का प्रतिवेदन, प्रतिभागी विभागों व व्यक्तियों की संख्या तथा इस अवसर के चित्रों के साथ 15 सितंबर तक प्रशासन अकादमी को भेजना सुनिश्चित किया जाए तथा इसकी एक प्रति सामान्य प्रशासन विभाग को भी भेजी जाये।
अगस्त 30, 2007 at 6:01 अपराह्न (Articles & Papers)
लोक अदालत शनिवार को
मुरैना 30 अगस्त 2007 / जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मुरैना द्वारा 1 सितम्बर 07 शनिवार को जिला न्यायालय प्रांगण में स्थाई एवं निरंतर लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है । इस लोक अदालत में दीवानी, फौजदारी तथा क्लेम तथा अन्य विविधि प्रकरणों का निराकरण आपसी सुलह के आधार पर किया जायेगा । जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री एस.के. शुक्ला के अनुसार प्रिलिटिगेशन अर्थात न्यायालय में अभी प्रस्तुत न किये गये प्रकरणों को भी निपटारे के लिए लोक अदालत में रखा जा सकता है । इस हेतु आवेदक अपना आवेदन सीधे सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मुरैना श्री अरबिन्द कुमार गोयल न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी के समक्ष उपस्थित हो कर प्रस्तुत कर सकते हैं, जिसमें किसी भी तरह के न्याय शुल्क की आवश्यकता नहीं होगी । आवेदन प्राप्त कर नियमानुसार आपसी सुलह के आधार पर मामले का निपटारा किया जायेगा । नागरिकों से शासन की इस योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया गया है ।
अगस्त 30, 2007 at 6:00 अपराह्न (Articles & Papers)
डी.एल.सी.सी.की बैठक 31 अगस्त को
मुरैना 30 अगस्त 2007// कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी के निर्देशानुसार 31 अगस्त 07 को अपरान्ह 3 बजे कलेक्टर परसिर के सभागार में जिला स्तरीय समन्वय एवं समीक्षा समिति की बैठक आयोजित की गई है, जिसमें सभी बैंकर्स और संबंधित अधिकारियों से अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने की अपेक्षा की गई ।