पाखण्‍डीयों का ईश्‍वर भक्ति ढोंग महज राज साधन हेतु होता है


जब गलत लोग या आसुरी प्रवृत्ति के लोग भगवान या ईश्‍वर का नाम सुमरने लगें या उसकी दुहाई देंनें लगें तो चतुर मनुष्‍यों को सावधान हो जाना चाहिये । यह आभास हो जाना चाहिये कि खतरा आसन्‍न व सन्निकट ही है ।

कुप्रवृत्तियों, दूषित प्रवृत्तियों, रजोगुण व तमोगुण में लिप्‍त मनुष्‍यों व पाखण्‍डीयों द्वारा ईश्‍वर का नाम लेने व ईश्‍वरीय आस्‍था व श्रद्धा का ढोंग एवं पाखण्‍ड करने से ईश्‍वर भी घृणा का पात्र हो जाता है और लोग ईश्‍वर में कलंक देखने लगते हैं अत: अनुचित वर्ण व अनुचित मनुष्‍य के कानों में व जिह्वा पर ईश्‍वर का नाम मात्र भी नहीं आना चाहिये ऐसे लोगों के कानों में व मुंह में पिघला हुआ सीसा भर देना चाहिये ।  – संकलित चाणक्‍य नीति एवं वेदों से

 

अर्जुन सिंह मुरैना से लड़ेंगें लोकसभा चुनाव


अर्जुन सिंह मुरैना से लड़ेंगें लोकसभा चुनाव

सुप्रिया रॉय
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 8 अगस्त- केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन क्या अगले लोक सभा चुनाव में उम्मीदवार होंगे? कांग्रेस में इस बात को ले कर सरगर्मियों का बाजार गर्म है। वैसे तो श्री सिंह ने कहा था कि वे राजनीति की अपनी पारी खेल चुके हैं और अब राजनीति नहीं करेंगे लेकिन उनके समर्थकों और खासतौर पर मध्य प्रदेश कांग्रेस में मौजूद उनके भक्तों का मानना है कि श्री सिंह को अगला लोकसभा चुनाव जरूर लड़ना चाहिए।

अब सवाल यह है कि श्री सिंह अगर लोकसभा चुनाव लड़ना तय कर लेते हैं तो उनका चुनाव क्षेत्र कौन सा होगा। अपने इलाके रीवा और फिर होशंगाबाद से राजनैतिक विश्वासघातों के कारण वे दो लोकसभा चुनाव हार गए लेकिन पार्टी में उनकी जरूरत को देखते हुए उन्हें राज्यसभा में लाया गया और केन्द्र में मंत्री बनाया गया। कांग्रेस कार्यसमिति के वे एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के सबसे विश्वास पात्रों में गिने जाते हैं।

कांग्रेस में यह खबर गर्म है कि अर्जुन सिंह को सलाह दी गई है कि वे हाल ही में परिसीमन के दौरान आरक्षित से सामान्य हुई मुरैना लोकसभा सीट से नामांकन भरें। मुरैना लोकसभा क्षेत्र ठाकुरों और पिछड़े वर्गों से भरा हुआ है और इन दोनों वर्गो में अर्जुन सिंह को अपराजेय माना जाता है। कांग्रेस सूत्रों का यह भी कहना है कि चंबल और ग्वालियर इलाके में कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं और वे निजी तौर पर अर्जुन सिंह का बहुत आदर करते हैं। पिछले दिनों श्री सिंधिया और अर्जुन सिंह ने इस इलाके का एक तूफानी दौरा किया था। अगर ग्वालियर के महाराज श्री सिंधिया अर्जुन सिंह को मुरैना से चुनाव लड़ने की स्वीकृति देते हैं तो कांग्रेस की यह सीट तो पक्की है।

भाजपा के पास अब तक इस सीट से लड़ने के लिए कोई उम्मीदवार नहीं है। हाल ही में विश्वास मत के दौरान लोकसभा में नोटों के बंडल दिखाने वाले अशोक अर्गल तीसरी बार यहां से सांसद बने हैं लेकिन सीट के सामान्य हो जाने के बाद वे विधानसभा चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं। भाजपा के पास दूसरा कोई उम्मीदवार नहीं है जिसकी जीत सुनिश्चित मानी जा सके।

पुलिस अधिकारी से नेता बने मुरैना से विधायक और मंत्री रूस्तम सिंह गुर्जर हैं और इस इलाके में गुर्जरों के एक लाख से कुछ ज्यादा वोट हैं। लेकिन रूस्तम सिंह डाकुओं को शरण देने और अब अपना एक टीवी चैनल स्थापित कर लेने के कारण विवादों के घेरे में आ चुके हैं और उन्हें मजबूत उम्मीदवार नहीं माना जा सकता। भाजपा की ओर से सिर्फ प्रदेश पार्टी अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर सही उम्मीदवार हो सकते थे लेकिन उन्होंने तो घोषणा ही कर दी है कि वे विधानसभा या लोकसभा दोनों में से कोई चुनाव नहीं लडेंगे।

मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह इसी अंचल के हैं और वे अर्जुन सिंह के रिश्तेदार भी हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच राजनैतिक तौर पर कोई मधुर संबंध नहीं हैं लेकिन जब अर्जुन सिंह की बात आएगी तो वे खुलेआम विरोध नहीं कर पाएंगे। जब श्री अर्जुन सिंह से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने एक लाइन में जवाब दिया कि यह सूचना मैं आप से पा रहा हूँ, उस क्षेत्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने उम्मीदवार खुद चुनेंगे और न मैंने कोई आवेदन किया है और न मेरे पास कोई प्रस्ताव आया है।

ज्योतिरादित्य ने कहा, अर्जुन सिंह ने माना

डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 8 अगस्त- मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह और संचार राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच तालमेल का एक नया उदाहरण सामने आया है। श्री सिंधिया ने देश के सभी डाकियों के बच्चों को केन्द्रीय विद्यालयों में प्रवेश दिलवाने में प्राथमिकता देने के लिए श्री सिंह को जो पत्र लिखा था, उसे मंजूरी मिल गई है। डाक कर्मी तो श्री सिंधिया को दुआएं देेंगे ही, इससे मध्य प्रदेश की राजनीति के बदलते हुए समीकरणों का भी आभास हो जाता है।

संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया न केवल शहरी क्षेत्रों में संचार सेवाओं के विस्तार और सुधार पर जोर दे रहे हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में डाक सेवाओं में सुधार के लिए भी प्रयास कर रहे हैं।

श्री सिंधिया ने ग्रामीण डाक सेवा के कर्मचारियों से अनेक बैठकें की और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर डाक सेवा प्रदान करने में उनको आ रही दिक्कतों और परेशानियों के बारे में चर्चा की। ग्रामीण डाक सेवा के कर्मचारियों ने अपनी अनेक मांगे श्री सिंधिया के सम्मुख रखी, जिनमें एक प्रमुख मांग यह थी कि उनके बच्चों को केन्द्रीय विद्यालयों में वरीयता के आधार पर दाखिला दिया जाए।

श्री सिंधिया ने मानव संसाधन विकास मंत्री श्री अर्जुन सिंह को पत्र लिख कर मांग की ग्रामीण डाक सेवकों के बच्चों को केन्द्रीय विद्यालय में केन्द्रीय/सैन्य कर्मचारियों के समान दर्जा दिए जाने की मांग की ताकि इनके बच्चों की पढ़ाई लिखाई सही तरीके से हो सके।

मानव संसाधन विकास मंत्री श्री अर्जुन सिंह ने श्री सिंधिया को पत्र लिख कर सूचित किया कि उनकी यह मांग मान ली गई है और ग्रामीण डाक सेवकों के बच्चों अगले शैक्षणिक सत्र से केन्द्रीय विद्यालयों में प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा।

श्री सिंधिया ने ग्रामीण डाक सेवकों की सेवा शर्तो में सुधार व अन्य मांगें, जिनमें तबादले, क्षतिपूर्ति के आधार पर नियुक्तियां व स्टेशनरी भत्ताा बढ़ाने जैसी मांगे भी मान लिए हैं और इस संबंध में आवश्यक निर्देश दे दिए हैं।

 

 

कितने नोट आए,कितने दिखाए अशोक अर्गल ने?


 

Last Term Last Period

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कितने नोट आए

,कितने दिखाए अशोक अर्गल ने?

आलोक तोमर
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 12 अगस्त – संसद में विश्वास मत के दौरान वोट के बदले नोट का विवाद खड़ा करने वाले भाजपा सांसदों की तिकड़ी के नेता मध्य प्रदेश के मुरैना से सांसद अशोक अर्गल और उनके साथी बहुत विकट कानूनी दिक्कत में फंसने वाले हैं। उनके खिलाफ संसद को गुमराह करने के सिलसिले में आपराधिक मामला भी दर्ज किया जा सकता है और भविष्य में उन्हें चुनाव लड़ने से भी रोका जा सकता हैं।

सीएनएन आईबीएन के टेप और इस पूरे कांड की जांच कर रही कमेटी को अब तक जो साक्ष्य मिले हैं उनसे साफ हो गया है कि अशोक अर्गल और उनके साथियाें ने लोकसभा में नोटों की जो गड्डिया रखी थी वे पूरी नहीं थी और इसका मतलब यह है कि जितनी रकम ली गई वह सबकी सब दिखाई नहीं गई। इसके अलावा स्टिंग ऑपरेशन में जिस बैग में यह रकम दिखाई गई थी, संसद में वह नहीं उसकी बजाय दो दूसरे बैग रखे गए। जाहिर है कि सांसदों ने बैग से नोट निकाले भी, उन्हें गिना भी और इसके बाद संसद में जितने चाहे उतने नोट दिखा दिए।

देश के वरिष्ठतम वकील सोली सोराबजी, हरीश साल्वे और देश के सबसे प्रतिष्ठित संपादको में से एक बी जी वर्गीज ने एक स्वर में कहा है कि इन दिखाए गए नोटों के नंबर, जिस बैंक से वे निकाले गए थे उसका नाम और जिसके खाते से निकाले गए थे उसका भी नाम पुलिस की पड़ताल में सामने आ सकता है। लेकिन सबका मानना यही है कि पुलिस की जांच 29 अगस्त के बाद शुरू होनी चाहिए जब संसदीय समिति अपनी रिपोर्ट दे दे।

समिति को इस पर आश्चर्य है कि भाजपा ने इस पूरे मामले पर कितना हंगामा मचाया और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग भी की मगर खुद पुलिस में इसकी शिकायत तीन दिन बाद करवाई।

अब तक जो तथ्य सामने आए हैं उनसे अगर अशोक अर्गल और उनके साथियों की कहानी पर विश्वास किया भी जाए तो भी वे अमर सिंह के लोदी स्टेट वाले मकान से फिरोजशाह रोड वाले अपनी मकान तक पहुंचे, वहां नोट गिने और यह तय किया कि लोकसभा में कितने नोट दिखाए जाने है। वहीं पर दूसरे बैगों का भी इंतजाम किया गया। इसके अलावा लोकसभा की समिति के सामने रखे गए टेप में अशोक अर्गल को संजीव सक्सेना के फोन पर अमर सिंह से बात करते हुए दिखाया गया है जहां वे बार बार उन्हें सर कह रहे हैं और दो बार उन्हाेंने दोहराया है कि एक करोड़ रुपए प्राप्त हो गए। इसके बाद खुद अशोक अर्गल के अनुसार वे अमर सिंह के घर गए और अगर वहां से और रकम मिली तो वह गई कहां?

जहां तक संजीव सक्सेना का सवाल है, वे लापता है लेकिन अब अमर सिंह ने भी स्वीकार लिया है कि उनके संजीव सक्सेना से संबंध थे लेकिन वे कहते हैं कि सक्सेना कभी उनके कर्मचारी नहीं थे। यह भी उलझाने वाला बयान है क्योंकि संजीव सक्सेना को भी नोट लाते, गिनते और अमर सिंह से बात करते टेप पर देखा गया है। भाजपा नेता और बहुत बड़े वकील अरूण जेटली का कहना है कि उनके पास संजीव सक्सेना का फोन रिकॉर्ड है और उसमें जाहिर है कि अमर सिंह से कितनी बार बात की गई।

अशोक अर्गल, फग्गन राम कुलस्ते और महावीर सिंह भगोरा तीनों ही रिश्वत लेने के इल्जाम में दोषी माने जा सकते हैं और उनके खिलाफ मुकदमा चल सकता है। इसके अलावा अगर टेप पर दर्ज नोटों के नंबर से संसद में पेश नोटों के नंबर मेल नहीं खाते तो भी अशोक अर्गल और उनके दोनों साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी की कानूनी कार्रर्वाई हो सकती हैं। अशोक अर्गल को संसदीय समिति और कानून को तो कई जवाब देने ही हैं, उससे ज्यादा उन्हें मुरैना की जनता को जवाब देना है जिसने लगातार तीन बार उन्हें निर्वाचित कर के लोकसभा में भेजा। 29 अगस्त को साफ हो जाएगा कि अशोक अर्गल के भविष्य में अभियुक्त बनना लिखा है या संसदीय भ्रष्टाचार उजागर करने वाले नायक के तौर पर उनका नाम लिखा जाएगा।