कलेक्टर मुरैना द्वारा बार बार लिखा जा रहा पत्र और जानबूझ कर ग्वालियर श्योपुर रेल्वे लाइन को ब्राडगेज में बदलने हेतु भूमि अधिग्रहण नहीं कर रही रेल्वे और न मुआवजा दे रही है , भूमि मालिकों को, लिहाजा भूमि मालिक अधिगृहीत जमीन का न तो उपयोग कर सकते हैं और न मुआवजा ही और बदले की जमीन कहीं पा सकते हैं – नीचे कलेक्टर मुरैना द्वारा बार बार इस संबंध में लिखा जा रहे पत्र की मूल इबारत
ग्वालियर-श्योपुर रेल परियोजना हेतु भू-अर्जन की कार्यवाही के अन्तर्गत मुरैना जिले के अनुभाग सबलगढ़ में आपके प्रस्ताव अनुसार ग्राम मुकुन्दा, शेखपुर, डभेरा, पासौनकलां, पासौनखुर्द, गुदयामाफी, देवपुर माफी, तिन्दौली, पूछरी, काजौना, पावई, कीरतपुर, रामपहाड़ी, बाबड़ीपुरा, मानपुर, बौलाज एवं अनुभाग मुरैना के अतिरिक्त भूमि प्रस्ताव ग्राम जयपुर उर्फ नयागांव, बामौर के प्रस्तावों में भू-अर्जन अधिनियम 2013 की धारा-23 (अवार्ड) की समस्त औपचारिकतायें पूर्ण की जा चुकी है। किन्तु अर्जक निकाय रेल्वे से मांग अनुरूप मुआवजा राशि प्राप्त न होने से उक्त 18 ग्रामों के प्रकरण में अंतिम रूप से अवॉर्ड पारित नहीं किये जा सके है। परियोजनान्तर्गत भू-अधिग्रहण की कार्यवाही रेल्वे के प्रस्ताव अनुसार भू-अर्जन अधिनियम 2013 की धारा 40 (अर्जेन्सी क्लॉज) के अंतर्गत की जा रही है। अधिनियम में निहित प्रावधान अनुसार प्रतिकर की राशि अग्रिम रूप से जमा किया जाना प्रावधानित है। मांग की नई अनुमानित मुआवजा राशि 100.00 करोड़ की शीघ्र जमा करने की कार्यवाही की जावे, ताकि लंबित प्रकरणों में अवॉर्ड पारित करने की कार्यवाही शीघ्र पूर्ण की जा सके।
परियोजना अन्तर्गत अधिगृहित भूमि के कब्जा प्राप्त करने हेतु बार-बार स्मरण उपरान्त भी आपके विभाग की ओर से कोई भी समक्ष अधिकारी कब्जा प्राप्त करने हेतु उपस्थित नहीं हो रहे है, और न ही संबंधित तहसीलदार से सम्पर्क किया जा रहा है। इस संबंध में शीघ्र किसी अधिकारी को अधिकृत कर कब्जा प्राप्त करने हेतु निर्देशित किया जावे।
भू-अर्जन के लंबित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण एवं उनके अधिग्रहण में आ रही कठिनाईयों के संबंध में आपके साथ 5 दिसम्बर 2019 को समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि आपसी समन्वय से प्रकरणों का शीघ्र निराकरण किया जावे। इस संबंध में अनुविभागीय अधिकारी सबलगढ़ एवं जौरा, मुरैना द्वारा मुझे अवगत कराया है कि आपके अधीनस्थ भू-अर्जन लाइजनिंग अधिकारी समय पर उपस्थित नहीं होते है, और न ही प्रकरणों के निराकरण के संबंध में सम्पर्क स्थापित किया जा रहा है, इससे ऐसा प्रतीत होता है कि उनके द्वारा भू अर्जन के प्रकरणों के शीघ्र निराकरण हेतु कोई रूचि नहीं ली जा रही है।