बुध और शुक्र का राशि परिवर्तन तथा गुरू की उल्टी और शनि की सीधी चाल


बुध और शुक्र का राशि परिवर्तन तथा गुरू की उल्टी और शनि की सीधी चाल

  • करेंगें उलट पुलट , उथल पुथल और फेरबदल
  • उमा भारती के बुलंद होंगे सितारे होली के बाद

नरेन्द्र सिंह तोमर ”आनन्द”

आगामी दिनों में तेजी से होने वाले ग्रहों के राशि परिवर्तन और गुरू की उल्टी चाल के चलते देश के परिदृश्य में काफी फेरबदल और परिस्थितियों में भी व्यापक परिवर्तन होंगें !
24 फरवरी को बुध और शुक्र राशि बदल कर जहाँ अगली राशियों में स्थानान्तरित होंगें वहीं 4 मार्च को गुरू अपनी चाल उल्टी करेंगें इसके साथ ही 6 अप्रेल को शनि भी अपनी चाल पलट कर सीधी चाल चलेंगे !
इस प्रकार का धीमा किन्तु गंभीर परिवर्तन अनेक परिवर्तन कारी घटनाक्रमों को जन्म देगा ! जहाँ आने वाले समय में प्रशासनिक अधिकारीयों को समस्याओं से जूझने हेतु तैयार होना होगा वहीं शासक वर्ग जनता के हित के प्रतिकूल गामी भी हो सकता है ! अभी तक शनि की पीड़ा झेल रहे लोग अप्रेल के दूसरे हफ्ते के बाद काफी राहत महसूस करेंगें ! वहीं गुरू की मार्गी गति में मजे मार रहे लोग अब संकट से जूझने के लिये तैयार रहें !
बुध का मीन राशि में और शुक्र का मकर राशि में प्रवेश कई लोगों को अनेक फायदे और राहत पहुँचायेगा वहीं अनेक लोगों की मुसीबत में और इजाफा कर जिन्दगी मुहाल कर देगा !
जून 2005 से नवम्बर 2005 के बीच की स्थिति में यदि आपको शनि फायदा पहुँचा रहा था, तो निश्चित ही वर्तमान में आप मुसीबत और संकटों से जूझ रहे होंगें , अब अप्रेल के दूसरे हफ्ते से आप फिर फायदे में आकर मुसीबतों से राहत पायेंगें ! विशेष कर म.प्र. की पूर्व मुख्यमंत्री पुन: चर्चाओं में आयेंगी और अपनी पूववर्ती प्रबल स्थिति में पुन: पहुंचेंगीं ! और फायरब्राण्ड के लेवल से सन ब्राण्ड की ओर अग्रसर होंगीं !
कर्क राशि पर सबसे ज्यादा तेज परिवर्तन 25 फरवरी से अप्रेल के दरम्यान महसूस होंगें !
सिंह राशि को शनि से पहुँच रहे कष्ट में भी अप्रेल के दूसरे हफ्ते से काफी राहत महसूस होगी लेकिन 4 मार्च से 25 मार्च तक का समय काफी परेशानी और उलझन भरा रह सकता है, इस अवधि में अनेक बने बनाये काम रूक जायेंगें और यदि जन्म कुण्डली में गुरू की स्थिति अधिक खराब हुयी तो बने हुये काम पूरी तरह बिगड़ ही जायेंगें !
यदि आप तेजी से होने जा रहे ग्रह परिवर्तन के कारण परेशानी महसूस करते हैं तो आपको तांत्रोक्त दान व राहत उपायों को अपनाना चाहिये !
मुरैना पर शनि का साया और मंगल की चपेट के चलते हुआ तांडव और अपराधों का प्रकोप

  • अभी और भी उत्पात मच सकते हैं चंबल में
  • पुलिस के बाद प्रशासन पर संकट की बारी
  • उमा भारती के बुलंद होंगे सितारे होली के बाद

पिछले लम्बे समय से हत्या, अपहरण, लूट, डकैती, आगजनी, प्राकृतिक प्रकोप जैसे खौफनाक हालातों से जूझ रहे मुरैना के ज्यातिषीय आंकडे फ़िलहाल खिलाफ ही हैं और अभी समस्याओं से जूझने का दौर मुरैना के लिये थमा नहीं है !
अभी तक पुलिस के लिये सिरदर्द बने मुरैना के हालातों में महज इतनी तबदीली होगी कि पुलिस पर से साप का साया हटकर प्रशासन पर छा जायेगा !
जहां अभी मुरैना को दुखद मंजरों से दो चार हाथ करते रहना है वहीं भाजपा नेत्री मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती के अच्छे दिन और बुलंद सितारे होली बाद फिर लौट रहे हैं !
श्री तौमर द्वारा ग्वालियर टाइम्स से चर्चा के दौरान बताया कि घटनाक्रमों के घटित होने में अनेक वैज्ञानिक, ज्योतिषीय, तांत्रिक कारण छिपे होते हैं जिनके समुचित गणितीय व वैज्ञानिक विश्लेषण द्वारा न केवल घटना के कारण ज्ञात होते हैं अपितु उनके निराकरण की समुचित प्रक्रिया व विधि भी ज्ञात हो जाती है !
श्री तौमर के मुताबिक मुरैना की यद्यपि सिंह राशि है किन्तु नामाक्षर ‘म’ में ‘उ’ की मात्रा का मिश्रण होने से मेष राशि के सम्मिश्रित ज्योतिषीय प्रभाव भी मुरैना के घटनाक्रम को प्रभावित करते हैं ! मुरैना पर शनि की साढ़े साती 26 मई 2005 से प्रारंभ हुयी है तथा शनि मुरैना से बारहवे होकर कर्क राशि में चल रहे हैे और शनि के इस दौर के चालू होते ही मुरैना ने कई झंझावातों से जूझना शुरू कर दिया ! ज्योतिषीय विचारधारा के मुताबिक शनि राशि परिवर्तन से तीन चार माह पूर्व अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं !
मुरैना में रेंजर के अपहरण, बाबा जय गुरूदेव के चेलों की सामूहिक मृत्यु, डॉ. चौधरी की हत्या और उसके बाद हुआ उपद्रव हनी गुप्ता और डॉ. नारायण हरि का अपहरण, रोजाना घटित हो रहीं दहशतगर्दी की वारदातें हत्यायें, लूट, कैलारस दूरदर्शन से अश्लील फिल्म प्रसारण, कैलारस में हुई बस अग्निकांड की खौफनाक दिल दहला देने वाली घटना आदि सभी के पीछे कहीं न कहीं ज्योतिषीय कारण, ग्रहों का खेल, तांत्रिक वजह सम्मिलित रही है !
जहां 22 सितम्बर 2005 को शनि का वक्रीय होना मुरैना के लिये दुखद रहा वहीं 10 दिसम्बर को मंगल का मेष राशि में मार्गी होना मुरैना के लिये और भी ज्यादा कष्टकारक सिध्द हुआ ! वहीं राहू की अष्टम स्थिति ने अनेक अकाल मौतों का कारण बनकर दुखद घटनाक्रमों की प्रबलता बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी !
राहू जहाँ आसमानी लहरों का मालिक है , वहीं आत्माओं, और प्रेतों पर भी पूर्ण आधिपत्य व वर्चस्व रखता है , केतु की दूसरी स्थिति दुर्घटनाओं व आकस्मिक विपदाकारक स्थितियों की जन्मदाता होकर सामूहिक अकाल मृत्यु व प्रेतात्माओं के साये मंडराने की ओर इशारा करती है !
ग्रहों की विचित्र स्थितियों के चलते जहाँ मुरैना अनेक उत्पातों व उपद्रवों  से ग्रस्त बना रहा वहीं अनेक तंत्र क्रियाओं के जाल में भी जिला फंसा रहा ! शनि की खिलाफत और मंगल के बल ने तंत्र प्रयोगों को असफल किया वहीं क्षत्रिय जाति को भी अपराधों में घसीट लिया , साथ ही पुलिस को चकरघिन्नी बना कर रखा !
आने वाले दिनों में गुरू 4 मार्च को तुला राशि में वक्री होंगें , ऐसी स्थिति में मुरैना के जिला प्रशासन के ऊपर जहाँ संकट के दौर चालू होंगें वहीं अपराध या अन्य प्रकार के घटनाक्रमों में ब्राह्मण समाज का नाम आ सकता है !

तंत्र साधनायें और गृहस्थ : अनेक सुगम साधनायें


तंत्र साधनायें और गृहस्थ : अनेक सुगम साधनायें
भाग-1
नरेन्द्र सिंह तोमर”आनन्द”
तंत्र का नाम आते ही साधारण मनुष्य नाक भौं सिकोड़ने लगता है, और साधारण तौर पर तंत्र को अछूत व घृणित वस्तु मान कर उससे दूर रहने का प्रयास करता है ! किन्तु जब वह किसी अनजानी मुसीबत में फंसता है और सारे इलाज उपाय अपनाने के बाद जब कोई रास्ता समझ नहीं आता तो वह ईश्वर और तंत्र की ही शरण में अंततोगत्वा जा पहुँचता है!
कई बार उसे सही पथ प्रदर्शक तथा सच्चे क्रियाकारक से भेंट हो जाती है लेकिन कई बार वह नकली व ढोंगी फर्जी तांत्रिकों के चुगुल में फंस कर अपना कीमती धन व समय बर्बाद कर देता है और लुटने पिटने के बाद भी उसके हाथ कुछ नहीं लगता , आखिर वह अपनी किस्मत और झूठे ठग तांत्रिक को कोसते हुये मन मार कर अपना नुकसान होते बर्दाश्त करता रहता है !
ऐसी अवस्थाओं से बचने के लिये अत्यंत बेहतर है , कि प्रारंभ और सामान्य अवस्था से ही तंत्र से नफरत न की जाये बल्कि , उसके बारे में कम से कम छोटी मोटी बातें जान समझ और सीख लीं जायें तथा वक्त बेवक्त परीक्षण तथा कसौटी के जरिये सत्य को ग्रहण करें मिथ्या का त्याग करे !
मैं विज्ञान और प्रौद्योगिकी का छात्र रहा हूं तथा वर्तमान में अभिभाषक के पेशे से संबध्द हूं ! मैंनें तंत्र के क्षेत्र को वैज्ञानिक कसौटीयों पर कस कर देखा है , और कई करिश्मे भी देखें हैं ! साधारण मनुष्य को ऐसे करिश्में समझ नहीं आते अत: वह इन्हें ईश्वरीय करामात कह कर छुटकारा पाने का प्रयास करता है और इन क्रियाओं की गहराई व वैज्ञानिकता की तह में जाने का प्रयास नहीं करता !
वर्तमान प्रचलित तंत्र में जहाँ बेबुनियाद, मिथ्या अनर्गल प्रलाप की अधिकता है वहीं इसका बहुत बड़ा भाग सत्यता व प्रमाणिकता से भी परिपूर्ण है ! आपको सिर्फ सत्य ग्रहण करना चाहिये मिथ्या का त्याग करना चाहिये ”सार सार को गहि रहे , थोथा देय उड़ाय” वाली उक्ति पर अमल करते हुये आप चलेंगें तो न तंत्र आपको धोखा देगा न तांत्रिक !
स्वामी विवेकानन्द ने राजयोग में पहले ही पेज पर भारत की प्राच्य विद्याओं को एक्जेक्ट साइन्स की संबा देकर इनकी महत्ता सत्यता और प्रमाणिकता का वर्णन किया तथा इनकी उपयोगिता व उपादेयता पर गंभीर प्रकाश डालते हुये साफ शब्दों में कहा कि , जो दिखे, जो प्रत्यक्ष हो , जो साक्षात्कार द्वारा महसूस किया जा सके, जिसकी प्रमाणिकता संदिग्ध न रहे उसी पर विश्वास करो !
यदि स्वामी विवेकानन्द की इस उक्ति को आप मस्तिष्क में बनायें रखेंगें तो भारत की अत्यंत उपयोगी प्राचीन विद्या जहाँ लुप्त होने से बचेगी वहीं इसका दुरूपयोग और पाखण्ड भी थमेगा ! और यथार्थ के धरातल पर टिके प्रमाणिक तंत्र सूत्र न केवल मनुष्य मात्र के मददगार होंगें अपितु सही मायने में कल्याण भी कर सकेगें !
यद्यपि मेरे पास काफी समयाभाव रहता है और ऐसे बृहद विषय पर लेखनी चला पाना मेरे लिये काफी दुष्कर होता है , फिर भी इस लेख को आगामी  अंकों में मैं पूरा करने का प्रयास करूंगा !
क्रमश: अगले अंक में

सूचना का अधिकार,सहकारी समितियों पर भी लागू है एक और परिपत्र जारी


सूचना का अधिकार,सहकारी समितियों पर भी लागू है एक और परिपत्र जारी  

नोटशीट देखी जा सकती है, पर गोपनीय प्रतिवेदन नहीं 

मध्‍यप्रदेश तथा विशेषकर ग्‍वालियर चम्‍बल संभाग में अपने आप को स्‍वयंभू स्‍वयंसेवी संस्‍थायें घोषित कर, सूचना का अधिकार अधिनियम में प्रयुक्‍त शब्‍द ‘’नॉन गवर्नमेण्‍टल आरगेनाइजेशन’’ के लिये वित्‍त पोषित होने पर लागू शर्त का दुरूपयोग कर सूचना का अधिकार अधिनियम को ठेंगा दिखा कर उसे पूरी तरह नकार चुकी सहकारी समितियों ने खुले आम खुद को एन.जी.ओ. कहना और अधिनियम से परे अपने आप को दर्शाना शुरू कर दिया था । मध्‍यप्रदेश सरकार ने आज जारी किये आदेश में सहकारी समितियों को एन.जी.ओं. बनने के सपने को गहरा तमाचा लगाया है । और करोड़ों का नीला पीला करने में लगी सहकारी संस्‍थाओ व बैंकों पर अंतत: लगाम कस ही गयी । अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार इन पर भी अधिनियम 12 अक्‍टूबर 2005 से ही लागू माना जायेगा ।  

मध्यप्रदेश में गत अक्टूबर से लागू सूचना के अधिकार को लेकर लोगों और कई सरकारी महकमों के सामने भ्रान्तियों भी निर्मित हुई हैं। राज्य सरकार ने उपरोक्त दोनों ही पक्षों को अनिश्चय एवं भ्रमपूर्ण स्थिति से उबारने की कार्रवाई की है। दफ्तरों को विस्तृत मार्गदर्शन वाले पत्र भी भेजे गए हैं। 

सूचना के अधिकार संबंधी अधिनियम के प्रावधान के मुताबिक यह व्यवस्था है कि किसी व्यक्ति की माँग पर उसे सरकारी नोटशीट की प्रति दिखाने या उपलब्ध कराने में कोई दिक्कत नहीं है। इस बारे में लेकिन लोक सूचना अधिकारी यह जरूर जाँचेंगे कि माँगी गई नोटशीट ऐसी प्रकृति की न हो जिसे उजागर करने से लोक हित या निजता पर प्रभाव पड़े। 

इसी तरह गोपनीय प्रतिवेदनों को लेकर यह बताया गया है कि इन्हें दिखाया या उपलब्ध कराया जाना जरूरी नहीं है। अधिनियम के प्रावधान के तहत यह माना गया है कि ये दस्तावेज एक व्यक्तिगत सूचना से संबंधित हैं और इनसे किसी व्यक्ति की निजता पर अनावश्यक अतिक्रमण हो सकता है। इसलिए लोक सूचना अधिकारी, या अपीलीय अधिकारी जब तक इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाएं कि किसी गोपनीय प्रतिवेदन की प्रति का दिया जाना व्यापक जनहित में न्यायोचित है, तब तक वे इसे देने के लिए बाध्य नहीं होंगे। 

सरकारी कर्मचारी से जुड़े विभागीय पदोन्नति समिति के एक महत्वपूर्ण दस्तावेज मूल्यांकन पत्रक को भी दिखाया या उपलब्ध नहीं कराया जाएगा। लेकिन विभागीय पदोन्नति समिति के कार्रवाई विवरण की प्रति माँग की जाने पर दिखाई या दी जा सकेगी। यद्यपि इस बारे में स्पष्ट किया गया है कि यह विवरण समिति की कार्रवाई पूरी होने और पदोन्नति के आदेश पूर्ण या आंशिक रूप से जारी किये जाने के बाद ही दिया जा सकेगा। लोक सूचना अधिकारी मूल्यांकन पत्रक दिखाने के लिए बाध्य नहीं होंगे।

सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत किसी चयन या अन्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिका को दिखाया या उपलब्ध कराया जाना भी जरूरी नहीं है। इस दस्तावेज को भी व्यक्तिगत सूचना से संबंधित माना गया है। इसलिए लोक सूचना अधिकारी जब तक यह न जाँच लें कि उत्तर पुस्तिका का अवलोकन या उपलब्ध कराया जाना व्यापक जनहित में न्यायोचित है, तब तक इसे देने या दिखाने के लिए मजबूर नहीं होंगे। 

अधिनियम में गरीबी रेखा के नीचे के सूचना माँगने वाले आवेदकों के बारे में फीस को लेकर खुलासे किए गए हैं। यह साफ कर दिया गया है कि इन लोगों को सूचना लेने के लिए कहीं भी कोई फीस और लागत मूल्य नहीं देना है। यह छूट पूरे मध्यप्रदेश में लागू रहेगी। जहाँ तक उनके इस श्रेणी में होने की पुष्टि का सवाल है तो उसका सबूत ऐसे व्यक्ति को जारी किए गए कार्ड की सत्यापित प्रति ही होगी।

अधिनियम के मुताबिक एक और यह तथ्य भी स्पष्ट किया गया है कि ऐसी सहकारी समितियाँ जो अधिनियम की धारा 2 (एच) के तहत गठित हैं उन्हें पब्लिक अथॉरिटी की श्रेणी में ही माना जाएगा, भले ही वे राज्य या केन्द्र सरकार की निधियों से सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से पोषित न हों।