आपने क्‍या खोया क्‍या पाया


Money is lost nothing is lost, Health is lost something is lost, Character is lost everything is lost.

आपने धन गँवा दिया समझिये कुछ नहीं खोया, आपने स्‍वास्‍थ्‍य गंवाया समझिये कुछ खो दिया, आपने अपना चरित्र गंवाया समझिये आपका सब कुछ खो गया नष्‍ट हो गया । – अँग्रेजी की एक कहावत

पूरी तरह ध्‍वस्‍त हुआ सूचना का अधिकार कानून, खामियों ने किया कमजोर और प्रभावहीन


पूरी तरह ध्‍वस्‍त हुआ सूचना का अधिकार कानून, खामियों ने किया कमजोर और प्रभावहीन

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनन्‍द’’

सूचना का अधिकार 2005- एक सिंहावलोकन भाग -7 (वर्ष सन 2005 से जारी आलेख)

  • नहीं मिलती आवेदकों को सूचना, तमाम विसंगतियां और सूराखों से मनमाने होते हैं निराकरण
  • धारा 4 का तीन साल बाद आज तक पालन नहीं किया किसी ने, सरकारी कार्यालयों के अलावा स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं ने बलाए ताक धरा कानून

पिछले अंक से आगे …….

अक्‍टूबर 2005 में जब भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू हुआ तो स्‍वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही भ्रष्‍टाचार, अनसुनेपन, मनमानेपन से त्रस्‍त लोगों को इससे काफी उम्‍मीद और आशा की किरणें जागीं, और जैसा कि इस कानून की मंशा को इसी कानून में लिखा गया कि यह पारदर्शिता लाने और भारत को भ्रष्‍टाचारमुक्‍त बनाने का ब्रह्मास्‍त्र साधन हो ।

कानून को सफलतापूर्वक सॅपादित करने हेतु इसके कुछ प्रारंभिक एवं कुछ प्रक्रियात्‍मक उपाय भी इस कानून में निर्धारित किये गये थे । कुल मिला कर कानून को क्रियान्वित व लागू किये जाने के लिये विशिष्‍ट व सकारात्‍मक प्रक्रिया अवधारित की गयी थी । जहॉं यह भारत का पहला ऐसा अधिनियम था जो जनता को सीधे सीधे सूचना प्राप्ति तथा उसके उपयोग किये जाने की केवल स्‍वतंत्रता ही नहीं देता था बल्कि इसके पश्‍चात अन्‍य कानूनी व प्रशासनिक तथा सार्वजनिक उपायों के जरिये हस्‍तक्षेप का पश्‍चातवर्ती अधिकार भी मुहैया कराता था ।

भारत में लम्‍बे अर्से से भ्रष्‍टाचार व अंधेरगर्दी की मलाई मार रहे अफसर इतना अधिक काला पीला नीला हरा किये बैठे हैं कि वे इस कानून के लागू होने के दिनांक 12 अक्‍टूबर 2005 से ही इससे अन्‍दरूनी दुश्‍मनी मान बैठे थे और हर हाल में शुरू से ही ठान कर बैठे थे कि इस कानून की न केवल धज्जियां ही उड़ानी हैं बल्कि इसे पूरी तरह असफल भी करना है । कानून लागू होने के दिन से ही उनका पुरजोर विरोध स्‍वत: ही चालू हो गया था, ठीक बिल्‍कुल उसी तरह जैसे इलेक्ट्रिकल इंजीनियर में लेन्‍ज का नियम होता है या न्‍यूटन का भौतिक शास्‍त्र का तीसरा नियम जिसे प्रतिक्रिया का नियम कहते हैं ।

इन राष्‍ट्र विरोधी तत्‍वों या अफसर वर्ग ने और उनके बाबू वर्गीय चेलों ने शुरू से ही न केवल हरेक को बरगलाना शुरू किया बल्कि अफवाह भी जम कर फैलायीं कि कुछ नहीं यह कानून तो पूरी तरह फेल हो चुका है और जल्‍दी ही इसे वापस लिया जा रहा है, या इसमें संशोधन किया जा रहा है वगैरह वगैरह …. मैंने इस प्रकार की कई अनर्गल बातें स्‍वयं कई जगह सुनीं । मुझे बड़ी कोफ्त होती थी और तकलीफ भी कि कल संभव है इन्‍हें खुद ही इसी कानून का सहारा लेना पड़ जाये और यही जो इस कानून को अवमंदित या भोंथरा करने की कोशिश जी तोड़ कर रहे हैं, खुद ही इसका इस्‍तेमाल करने लायक नहीं रहेंगे ।

इस कानून को ऐन दशहरे के दिन लागू किया गया था सो हिन्‍दू मान्‍यता के अनुसार इस त्‍यौहार के दिन दसों दिशायें चौकस खुलतीं हैं और इस दिन हुआ कार्य प्रत्‍येक दशा में पूर्ण सफल होता ही है ।

मैंने अब तक सूचना का अधिकार सम्‍बन्‍धी करीब डेढ़ दो हजार मामले हैण्‍डल किये और हर मामले का गहराई से अध्‍ययन करने का भी सुअवसर मुझे मिला ।

 

मुझे यह लिखने में कोई संकोच नहीं कि जनता का यह अमोध अस्‍त्र या अचूक हथियार आज न केवल दिशा से भटक कर दिशाहीन हो गया बल्कि इस कानून की शुरूआती ढांचागत खामियां इस अधिनियम के अवलंघन कारीयों के लिये न केवल वरदान सिद्ध हुयीं अपितु इस कानून की मंशा को पूरी तरह खत्‍म कर राष्‍ट्र विरोधी अवलंघनकारीयों की मंशा की गुलाम मात्र बनकर रह गयीं ।

शुरूआत में जब किसी महात्‍वाकांक्षी और दीर्घकालीय प्रभावक कानून की अवधारणा स्‍थापित की जाती है तो उसमें ढांचागत व अनुभवगत प्रक्रियात्‍मक दोषों का होना स्‍वा‍भाविक है किन्‍तु लम्‍बे अनुभव के बाद उन्‍हें निरन्‍तर रखा जाना तो त्रुटि नहीं बल्कि जानबूझ कर किया गया अपराध बन जाती है । इस कानून को स्‍थापित किये जाने और प्रचलन में लाये जाने तक जो विसंगतियां और खामियां थीं, यदि वक्‍त वक्‍त पर उनका सिंहावलोकन कर उन्‍हें ठीक किया जाता रहता तो इतने ताकतवर कानून की यह दुर्दशा और दुर्गति नहीं होती ।

 

अभी हाल ही में शीर्ष न्‍यायालय तक ने इस कमजोर अधिनियम का तीखा उपहास बना दिया, मामले ने एकसी विसंगतियों की स्थिति उत्‍पन्‍न कर दी कि गोया अब अधिनियम नहीं अल्कि अधिनियम से शासित व्‍यक्ति तय करेगा कि अधिनियम उस पर लागू है कि नहीं । खैर इसमें शीर्ष अदालत का अहम्‍मन्‍यतापूर्ण व्‍यवहार रहा हो या अधिनियम की अपने हिसाब से व्‍याख्‍या करने की कवायद, जो भी रहा हो देश में इसका संदेश कतई अच्‍छा नहीं गया । और इस अधिनियम की बची खुची दुर्गति हो गयी सो अलग । ऐसी अपमान जनक परिस्थितियों में जनता का कानून कहे जाने वाले इस अधिनियम को तो वापस ले लिया जायेगा तो बेहतर होगा, कम से कम जनता का झूठा भ्रम या आस तो टूटेंगे ।

 

क्रमश: जारी अगले अंक में …………..

राज्‍य सरकार का तर्कशास्‍त्र – प्रदेश में कम बिजली की वजह केन्द्र को बताई हकीकत


राज्‍य सरकार का तर्कशास्‍त्र – प्रदेश में कम बिजली की वजह केन्द्र को बताई हकीकत

योगेश शर्मा

राज्य सरकार अपनी हरसंभव कोशिश से प्रदेश में बिजली के इंतजाम को लेकर मुस्तैद है। हर जरूरी उपाय करने में कोई ढिलाई नहीं की गई है, लेकिन बावजूद इसके बिजली की मौजूदा कमी के पीछे ऐसे कारण हैं जिनकी अनदेखी नहीं हो सकती। केन्द्र के समक्ष ऐसी ही वास्तविकताओं को उजागर कर बिजली मुहैया कराने की लगातार पैरवी की जा रही है।

ऊर्जा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक केन्द्र का ध्यान 210 मेगावॉट क्षमता की अमरकंटक ताप विद्युत विस्तार इकाई के शुरू होने में देरी की ओर आकृष्ट किया गया है। यह सच्चाई बताई गई है कि मैसर्स बी.एच.ई.एल. के जरिए किए जाने वाले इस काम को 28 फरवरी 2007 तक पूरा हो जाना था। इसकी धीमी रफ्तार के चलते यह इकाई अब तक काम शुरू नहीं कर सकी है। अब आयल फायरिंग के जरिए इसके मई 2008 के अंत तक शुरू करने की संभावना बताई गई है। सच्चाई यह है कि अब तक इस इकाई में हुए काम की रफ्तार के मद्देनज़र इसका मई तक पूरा होना संभव नहीं जान पड़ता और ऐसे में यह अपनी पूरी क्षमता में सितंबर-अक्टूबर, 2008 के पूर्व शायद ही काम कर सके।

केन्द्र के समक्ष यह तथ्य भी उजागर किया गया है कि बी.एच.ई.एल. द्वारा 500 मेगावॉट क्षमता वाली बिरसिंहपुर ताप विद्युत विस्तार इकाई क्रमांक-5 के काम में भी देरी की गई है। आश्चर्यजनक बात यह है कि 10वीं पंचवर्षीय योजना के तहत कायम होने वाली इस इकाई को तो सितंबर 2006 तक काम शुरू कर देना था। बेवजह की देरी के चलते यह इकाई 2007 में क्रियाशील तो हुई, लेकिन इसमें ई.एस.पी., फेन्स और अन्य तकनीकी कार्यों को अधूरा छोड़ दिया गया। इसका नतीजा यह हुआ है कि वर्तमान में इससे 500 की बजाय केवल 300 मेगावॉट उत्पादन ही हो पा रहा है। इसी इकाई की दूसरी सच्चाई यह भी है कि इसमें इस्तेमाल किये गये कम गुणवत्ता के सामान की वजह से यह बार-बार बंद हो रही है। भीषण गर्मी में विद्युत कटौती करना इन हालात में मजबूरी है।

केन्द्र को इस सच्चाई से भी रूबरू कराया गया है कि वर्ष 2004 में प्रदेश को पूर्वी क्षेत्र के अनावंटित कोटे से 350 मेगावॉट बिजली आवंटित की गई थी। बाद में इसे क्रमश: कम करते हुए केवल 46 मेगावॉट कर दिया गया। दिसंबर 2007 में तो केन्द्रीय बिजली मंत्रालय ने हद करते हुए इस कोटे को और घटाकर केवल 31 मेगावॉट कर दिया। दु:खद पहलू यह है कि पूर्व के आवंटन को बहाल करने के लिये केन्द्र से लगातार आग्रह किया गया लेकिन अब तक कोई कार्रवाई वहां से नहीं की जा सकी है।

 

बंदी की मृत्यु के कारणों की न्यायिक जांच के लिये साक्ष्य आमंत्रित


बंदी की मृत्यु के कारणों की न्यायिक जांच के लिये साक्ष्य आमंत्रित

ग्वालियर 29 अप्रैल 08 । जयारोग्य अस्पताल के न्यूरोलॉजी वार्ड में केन्द्रीय जेल के एक कैदी की गत 25 मई 07 को उपचार के दौरान हुई मृत्यु के कारणों की जांच के सिलसिले में साक्ष्य आमंत्रित किये गये हैं ।

       जांचकर्ता अधिकारी एवं तृतीय व्यवहार न्याशधीश वर्ग-1 व न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री देवेन्द्र सिंह गौर ने बताया कि मृत्यु की उक्त घटना के संबंध में यदि किसी भी व्यक्ति या संस्था को कोई भी अभ्यावेदन, शपथ पत्र अथवा अन्य साक्ष्य प्रस्तुत करना हो तो 3 मई 08 को प्रात: 11 बजे जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर ग्वालियर स्थित उनके न्यायालय में उपस्थित होकर यह साक्ष्य प्रस्तुत किये जा सकते हैं ।

       ज्ञात हो बंदी गोकुल पुत्र प्यारे लाल पटेल आयु 38 वर्ष निवासी मनकी थाना सिमरिया जिला पन्ना, जो कि केन्द्रीय जेल सतना से मानसिक उपचार हेतु केन्द्रीय जेल ग्वालियर में दाखिल हुआ था । इस बंदी की मृत्यु बीते वर्ष 25 मई को जयारोग्य अस्पताल के न्यूरोलॉजी वार्ड में उपचार के दौरान हो गई थी । इस घटना की न्यायिक जांच गठित की गई है ।

 

बंदी की मृत्यु के कारणों की न्यायिक जांच के लिये साक्ष्य आमंत्रित


बंदी की मृत्यु के कारणों की न्यायिक जांच के लिये साक्ष्य आमंत्रित

ग्वालियर 29 अप्रैल 08 । जयारोग्य अस्पताल के न्यूरोलॉजी वार्ड में केन्द्रीय जेल के एक कैदी की गत 25 मई 07 को उपचार के दौरान हुई मृत्यु के कारणों की जांच के सिलसिले में साक्ष्य आमंत्रित किये गये हैं ।

       जांचकर्ता अधिकारी एवं तृतीय व्यवहार न्याशधीश वर्ग-1 व न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री देवेन्द्र सिंह गौर ने बताया कि मृत्यु की उक्त घटना के संबंध में यदि किसी भी व्यक्ति या संस्था को कोई भी अभ्यावेदन, शपथ पत्र अथवा अन्य साक्ष्य प्रस्तुत करना हो तो 3 मई 08 को प्रात: 11 बजे जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर ग्वालियर स्थित उनके न्यायालय में उपस्थित होकर यह साक्ष्य प्रस्तुत किये जा सकते हैं ।

       ज्ञात हो बंदी गोकुल पुत्र प्यारे लाल पटेल आयु 38 वर्ष निवासी मनकी थाना सिमरिया जिला पन्ना, जो कि केन्द्रीय जेल सतना से मानसिक उपचार हेतु केन्द्रीय जेल ग्वालियर में दाखिल हुआ था । इस बंदी की मृत्यु बीते वर्ष 25 मई को जयारोग्य अस्पताल के न्यूरोलॉजी वार्ड में उपचार के दौरान हो गई थी । इस घटना की न्यायिक जांच गठित की गई है ।

 

संभागायुक्त ने हरी झंडी दिखाकर प्रचार वीडियो वाहन रवाना किये


संभागायुक्त ने हरी झंडी दिखाकर प्रचार वीडियो वाहन रवाना किये

ग्वालियर 29 अप्रैल 08 । राज्य शासन की जन कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिये दो वीडियो वाहनों को संभाग आयुक्त डा. कोमल सिंह ने आज मोतीमहल से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया । इस अवसर पर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता श्री वैदेहीशरण शर्मा, संयुक्त संचालक जनसंपर्क श्री सुभाष अरोड़ा तथ अन्य विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे ।

       ग्रामीण अंचल में जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने निकले इन वाहनों में चलित प्रदर्शनी भी लगी है । जिले के हर विकासखंड में एक-एक माह तक प्रतिदिन चार स्थलों पर कार्यक्रम देने वाले यह प्रचार वीडियो वाहन प्रथम चरण में डबरा तथा भितरवार क्षेत्र में व दूसरे चरण में मुरार तथा घाटीगांव विकासखंड अन्तर्गत ग्रामों में कार्यक्रम देंगें ।  कार्यक्रम स्थल पर वीडियो वाहन में गये दल के लोग योजनाओं पर केन्द्रित लघु प्रदर्शनी लगायेंगें । साथ ही वीडियो फिल्म के जरिये भी लोगों को मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना, मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा , दीनदयाल अन्त्योदाय उपचार व जननी सुरक्षा, लाडली लक्ष्मी व मुख्यमंत्री कन्यादान योजना आदि के बारे में जानकारी दी जायेगी । साथ ही इस दौरान ग्रामीणों के स्वस्थ मनोरंजन की दृष्टि से चक दे इंडिया जैसी प्रेरणादायी फीचर फिल्में भी दिखाई जायेंगी ।

 

संभागायुक्त ने हरी झंडी दिखाकर प्रचार वीडियो वाहन रवाना किये


संभागायुक्त ने हरी झंडी दिखाकर प्रचार वीडियो वाहन रवाना किये

ग्वालियर 29 अप्रैल 08 । राज्य शासन की जन कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिये दो वीडियो वाहनों को संभाग आयुक्त डा. कोमल सिंह ने आज मोतीमहल से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया । इस अवसर पर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता श्री वैदेहीशरण शर्मा, संयुक्त संचालक जनसंपर्क श्री सुभाष अरोड़ा तथ अन्य विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे ।

       ग्रामीण अंचल में जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने निकले इन वाहनों में चलित प्रदर्शनी भी लगी है । जिले के हर विकासखंड में एक-एक माह तक प्रतिदिन चार स्थलों पर कार्यक्रम देने वाले यह प्रचार वीडियो वाहन प्रथम चरण में डबरा तथा भितरवार क्षेत्र में व दूसरे चरण में मुरार तथा घाटीगांव विकासखंड अन्तर्गत ग्रामों में कार्यक्रम देंगें ।  कार्यक्रम स्थल पर वीडियो वाहन में गये दल के लोग योजनाओं पर केन्द्रित लघु प्रदर्शनी लगायेंगें । साथ ही वीडियो फिल्म के जरिये भी लोगों को मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना, मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा , दीनदयाल अन्त्योदाय उपचार व जननी सुरक्षा, लाडली लक्ष्मी व मुख्यमंत्री कन्यादान योजना आदि के बारे में जानकारी दी जायेगी । साथ ही इस दौरान ग्रामीणों के स्वस्थ मनोरंजन की दृष्टि से चक दे इंडिया जैसी प्रेरणादायी फीचर फिल्में भी दिखाई जायेंगी ।

 

भू अर्जन और मुआवजा वितरण हेतु समय सीमा निर्धारित


भू अर्जन और मुआवजा वितरण हेतु समय सीमा निर्धारित

संभागायुक्त की अध्यक्षता में टास्क फोर्स की बैठक सम्पन्न

मुरैना 28 अप्रैल 08/ संभागायुक्त श्री विश्वमोहन उपाध्याय की अध्यक्षता में गत दिवस सम्पन्न संभाग स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में कूनो अभ्यारण्य से विस्थापित किये गये 24 राजस्व ग्रामों से संबंधित पात्र व्यक्तियों को भू-अर्जन और मुआवजा वितरण की कार्रवाई दो माह की समयावधि में पूर्ण कराने का निर्णय लिया गया । श्री उपाध्याय ने कहा कि पात्र व्यक्तियों को मुआवजा वितरण की कार्रवाई कलेक्टर श्योपुर द्वारा भू- अर्जन अधिनियम 1894 के अंतर्गत की जा रही है । इस कार्य में वन विभाग समन्वय स्थापित कर सहयोग प्रदान करें और समयावधि में मुआवजा वितरण की कार्रवाई सुनिश्चित करायें । इस अवसर पर वन संरक्षक (वाइल्ड लाईफ) श्री मुरली कृष्णन, वन संरक्षक श्री आर.पी.सिन्हा, कलेक्टर मुरैना श्री आकाश त्रिपाठी , कलेक्टर श्योपुर श्री शोभित जैन तथा मुरैना, भिण्ड और श्योपुर जिले के पुलिस अधीक्षक, वन मंडलाधिकारी  और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व उपस्थित थे ।

       बैठक में बताया गया कि अवैध उत्खनन की गतिविधियों पर नियंत्रण हेतु प्रभावी कार्रवाई जारी है । उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार चम्बल अभ्यारण्य के नजदीक पिपरई ग्राम में अवैध रेत उत्खनन नहीं होने देने के लिए विशेष सुरक्षा प्रबंध किये गये हैं । साथ ही उत्खनन कर्ताओं के विरूध्द उनके वाहन जप्त कर वन अपराध प्रकरण पंजीवध्द किये गये हैं । शनीचरा के आस-पास का क्षेत्र फर्शी पत्थरों के अवैध उत्खनन की दृष्टि से अत्याधिक संवदन शील है, अवैध उत्खनन रोकने के लिए नियमित पैट्रोलिंग के साथ ही खदानों के रास्तों को खुदाई कर बंद कराने के प्रयास किये गये हैं । माह मार्च में 11 वन अपराध प्रकरण दर्ज किये गये । शनीचरा क्षेत्र में पढ़ावली के आस-पास 100 स्थानों पर बोर कर ब्लास्ंटिग के जरिए खदानों को नष्ट कराया गया ।

       राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य की सीमाओं के युक्तियुक्त करण के संबंध में वन्य प्राणी अधि नियम 1972 की धारा 24 के अन्तर्गत अधिकारों के व्यवस्थापन उपरांत आदेशजारीकरने की कार्रवाई की जायेगी । इनमें वन मंडलाधिकारी कलेक्टर्स का सहयोग करें । राजस्थान के रणथम्बोर टाईगर रिजर्व और मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनों वन्य प्राणी अभ्यारण्य के बीच बाघों के आवागमन हेतु कॉरीडोर की पहचान संबंधी विषय पर चर्चा के दौरान संभागायुक्त ने 24 ग्रामों की व्यवस्थापन कार्रवाई को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए और तब तक कॉरीडोर की पहचान के कार्य को लंबित रखने को कहा ।

       बैठक में बताया गया कि चम्बल नदी के राजघाट पर तैरती हुई जेटी की स्थापना कर दी गई हैं । यहां एक अस्थाई कैम्प ऑफिस भी निर्मित कराया जायेगा । संभागायुक्त ने अभ्यारण्य में बोट सफारी के साथ- साथ ऊटों की सवारी के उपयोग हेतु प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए । बैठक में राजस्व और वन भूमि सीमा विवाद के निराकरण की प्रगति की भी समीक्षा की गई ।

 

भू अर्जन और मुआवजा वितरण हेतु समय सीमा निर्धारित


भू अर्जन और मुआवजा वितरण हेतु समय सीमा निर्धारित

संभागायुक्त की अध्यक्षता में टास्क फोर्स की बैठक सम्पन्न

मुरैना 28 अप्रैल 08/ संभागायुक्त श्री विश्वमोहन उपाध्याय की अध्यक्षता में गत दिवस सम्पन्न संभाग स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में कूनो अभ्यारण्य से विस्थापित किये गये 24 राजस्व ग्रामों से संबंधित पात्र व्यक्तियों को भू-अर्जन और मुआवजा वितरण की कार्रवाई दो माह की समयावधि में पूर्ण कराने का निर्णय लिया गया । श्री उपाध्याय ने कहा कि पात्र व्यक्तियों को मुआवजा वितरण की कार्रवाई कलेक्टर श्योपुर द्वारा भू- अर्जन अधिनियम 1894 के अंतर्गत की जा रही है । इस कार्य में वन विभाग समन्वय स्थापित कर सहयोग प्रदान करें और समयावधि में मुआवजा वितरण की कार्रवाई सुनिश्चित करायें । इस अवसर पर वन संरक्षक (वाइल्ड लाईफ) श्री मुरली कृष्णन, वन संरक्षक श्री आर.पी.सिन्हा, कलेक्टर मुरैना श्री आकाश त्रिपाठी , कलेक्टर श्योपुर श्री शोभित जैन तथा मुरैना, भिण्ड और श्योपुर जिले के पुलिस अधीक्षक, वन मंडलाधिकारी  और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व उपस्थित थे ।

       बैठक में बताया गया कि अवैध उत्खनन की गतिविधियों पर नियंत्रण हेतु प्रभावी कार्रवाई जारी है । उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार चम्बल अभ्यारण्य के नजदीक पिपरई ग्राम में अवैध रेत उत्खनन नहीं होने देने के लिए विशेष सुरक्षा प्रबंध किये गये हैं । साथ ही उत्खनन कर्ताओं के विरूध्द उनके वाहन जप्त कर वन अपराध प्रकरण पंजीवध्द किये गये हैं । शनीचरा के आस-पास का क्षेत्र फर्शी पत्थरों के अवैध उत्खनन की दृष्टि से अत्याधिक संवदन शील है, अवैध उत्खनन रोकने के लिए नियमित पैट्रोलिंग के साथ ही खदानों के रास्तों को खुदाई कर बंद कराने के प्रयास किये गये हैं । माह मार्च में 11 वन अपराध प्रकरण दर्ज किये गये । शनीचरा क्षेत्र में पढ़ावली के आस-पास 100 स्थानों पर बोर कर ब्लास्ंटिग के जरिए खदानों को नष्ट कराया गया ।

       राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य की सीमाओं के युक्तियुक्त करण के संबंध में वन्य प्राणी अधि नियम 1972 की धारा 24 के अन्तर्गत अधिकारों के व्यवस्थापन उपरांत आदेशजारीकरने की कार्रवाई की जायेगी । इनमें वन मंडलाधिकारी कलेक्टर्स का सहयोग करें । राजस्थान के रणथम्बोर टाईगर रिजर्व और मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनों वन्य प्राणी अभ्यारण्य के बीच बाघों के आवागमन हेतु कॉरीडोर की पहचान संबंधी विषय पर चर्चा के दौरान संभागायुक्त ने 24 ग्रामों की व्यवस्थापन कार्रवाई को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए और तब तक कॉरीडोर की पहचान के कार्य को लंबित रखने को कहा ।

       बैठक में बताया गया कि चम्बल नदी के राजघाट पर तैरती हुई जेटी की स्थापना कर दी गई हैं । यहां एक अस्थाई कैम्प ऑफिस भी निर्मित कराया जायेगा । संभागायुक्त ने अभ्यारण्य में बोट सफारी के साथ- साथ ऊटों की सवारी के उपयोग हेतु प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए । बैठक में राजस्व और वन भूमि सीमा विवाद के निराकरण की प्रगति की भी समीक्षा की गई ।

 

मुरैना में भारत माता की आरती 30 अप्रेल को


मुरैना में भारत माता की आरती 30 अप्रेल को

मुरैना 28 अप्रैल 08/ राज्यशासन के निर्देशानुसार 1857 मुक्ति संग्राम के 150वर्ष समारोह पूर्वक मनाये जाने के लिए प्रदेश भर में क्रांति यात्रायें, नुक्कड नाटक तथा एक शाम शहीदों के नाम भारत माता की आरती आयोजित की जा रही है । मुरैना जिले में भारत माता की आरती काआयोजन 30 अप्रैल कोकिया गया है ।

       संस्कृति विभाग की पहल पर 1857 की 150वीं जयंती पर क्रांति का संदेशजन- जन तक पहुचाने के लिए जन अभियान परिषद के समन्वय से एक शाम शहीदों के नाम भारत माता की आरती का आयोजन संस्थापक भारत मुक्ति संस्थान मुम्बई बाबा सत्यनारायण मौर्य द्वारा किया जा रहा है ।

       इसी प्रकार पंचायत स्तर पर एक पंचायत से दूसरी पंचायत तक आगामी 10 मई से 9 जून तक की अवधि में क्रांति यात्राओं का आयोजन कियाजायेगा, जिसमें विकास खंड स्तर पर 1857 मुक्ति संग्राम पर केन्द्रित नुक्कड़ नाटक भी आयोजित किये जायेंगे ।

 

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