ग्राम यात्रा-1: चम्बल के गाँवों में जान लेवा है भूख, कुपोषण और बीमारी, मरे सैकड़ों बिन भोजन बिन इलाज और दवा के – सरकारी दावे सरासर झूठ


ग्राम यात्रा-1: चम्बल के गाँवों में जान लेवा है भूख, कुपोषण और बीमारी, मरे सैकड़ों बिन भोजन बिन इलाज और दवा के – सरकारी दावे सरासर झूठ
ग्राम यात्रा
ऑंखों देखी विशेष रपट भाग-1
नरेन्द्र सिंह तोमर ”आनन्द”
लेखक ने इस आलेख को लिखने से पूर्व कई गाँवों और ग्राम पंचायतों में रह कर रूक कर सब कुछ ऑंखों से देखा है
यू तो अब काम की व्यस्तता से गाँवों की ओर जाना कम ही हो पाता है, लेकिन सरकारी बिजली कटौती की विशेष कृपा और अपनी ताई के निधन के कारण फिर एक अन्तराल बाद मुझे अपने गाँव जाना पड़ा !
मेरी ताईयों व ताऊओं की संख्या काफी लम्बी है, चूंकि कुटुम्ब व परिवार बड़ा है तो संख्या लम्बी ही होनी है ! किसी जमाने में हमारे इन ताऊ का आसपास के एरिया में बड़ा चलताड़ा था, उनके नाम की तूती बोलती थी और पत्ते भी उनके हुकुम से हिला करते थे !
समय चक्र के चलते गरीबी और लाचारी के साथ मजबूरीयों ने उन्हें कमजोर भी कर दिया और ताई के शोक में शामिल होने जब मैं अपने माता पिता और परिवार के साथ गाँव पहुँचा कुछ हैरत अंगेज व दिल व दिमाग को झकझोर देने वाली बातों ने मेरे अंतस को हिला दिया !
अपने काम के वक्त में मैंने शायद हजारों गरीबों या मजबूरों की मदद की होगी लेंकिन अपने ही परिवार में घटी इस घटना और उसका पृष्ठ वृतान्त सुन कर मेरा हृदय काँप गया ! हालांकि मुझे यह सब वृतान्त कई कारणों से पता नहीं लग पाया, और मैं सोचता रहा कि सारे शासन और प्रशासन को पता है कि मेरा गाँव कहाँ है, और वहाँ सब वैसे ही ठीक ठाक आटोमेटिक ही चल रहा होगा ! इसलिये अत्यधिक निश्चिन्तता और लापरवाही के साथ उदासीनता भी मैंने अपने गाँव और गाँव पंचायत के प्रति बरती !
लेकिन अपनी ताई (गरीब ताई ) की मृत्यु की पूरी दास्तान मैंने सुनी तो न केवल मैं चौंक गया बल्कि मुझे स्वत: ही अन्य लोगों की चिन्ता और परेशानी ने घेर लिया मैंने फिर सारे अपने कार्य छोड़ कर, गाँव और निवासीयों तथा आसपास के गाँवों की पड़ताल और खैर खबर लेना ही उचित समझा !
हालांकि सबसे सब प्रकार की बातें हुयीं, दुख तकलीफ, परेशानीयों की भी सरकारी व्यवस्थाओं और उसके फर्जीवाड़े की करम कहानी ऑंखों देखी, बिजली के हालात वहाँ रहकर वहीं देखे और महसूस किये, छोटी बातों से लेकर बड़ी बातों तक सब पर चर्चायें और विचार विमर्श हुये, राजनीतिक बाते भी हुयीं यानि कुल मिला कर सम्पूर्ण और समग्र यात्रा मेरी स्वर्गवासी ताई ने करवा दी, सबसे मिलवा दिया और सब कुछ ताजा करवा दिया ! सारी स्मृतियां तरोताजा कर ग्राम और पंचायत वासीयों के लिये उम्मीद के कई दिये जल गये, वे सदा ही मुझसे कुछ अधिक ही उम्मीदें रखते आये हैं ! सबने सब कुछ खुल कर कहा ! मैं उन सौभाग्यशालीयों में हूँ जिसे अपने गाँ, कुटुम्ब, परिवार और पंचायत का विशेष आशीष व स्नेह आजीवन प्राप्त होता रहा है, लेकिन अबकी बार मुझे स्वयं ही पर क्रोध आया कि पूरे साल डेढ़ साल बाद गाँव का चक्कर मारा, तब तक वहाँ बहुत कुछ उलट पुलट हो चुका था ! यद्यपि गाँव से सप्ताह या दो सप्ताह में कोई न कोई चक्कर मार ही जाता है, और मैं हल्की फुल्की खैर खबर लेकर अपने काम में जुटा रहता हूँ, अव्वल तो बिजली न रहने का भय रहता है, फिर फटाफट बहुत काम निपटा डालने की जल्दी सो मामूली खैरियत के बाद आगे अधिक चर्चा नहीं करने की इस आदत पर मुझे काफी रंज महसूस हुआ !
खैर किस्सा यूं हैं कि, ताई का निधन (हालांकि वे वृध्द थीं) गरीबी, भूख और बीमारी से हो गया !
मरते मरते ताई भूखीं मर गयीं, न भोजन न पानी ! बीमारी ने जान ली, इलाज चिकित्सा और दवायें नहीं मिलीं ! कई दिन लाचार बीमार और मजबूरी के चलते अभावों में ही तड़प तड़प कर ताई के प्राण निकल गये !
मेरे गाँव से ठीक चार खेत दूर यानि एक दो फर्लांग भर की दूरी पर निकट के ही गाँव में लगभग 30-35 साल पुराना प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र है, और अम्बाह तहसील नामक शहर की दूरी 4 किलो मीटर है यानि सवा कोस की दूरी पर है ! गाँव से लगभग आधा किलोमीटर दूर पहुँच मार्ग यानि पक्की सड़क भी है ! और गाँव में पढ़े लिखे लगभग सभी है यानि 90 फीसदी हैं !
गाँव के अन्य हालात तो इस रपट आलेख के अगले भागों में जिक्र में खुद ब खुद आयेंगें लेकिन खास बात ये है कि गाँव में असल बेहद गरीब परिवार लगभग 60 फीसदी है, और गरीबी रेखा में असल में अंकित परिवार केवल पाँच फीसदी हैं ! गरीबों के पास गरीबी रेखा में नाम लिखाने को पैसे नहीं हैं इसलिये न उनके नाम गरीबी रेखा में हैं, न और न सरकार उन्हें गरीब मानती है, वस्तुत: न उनके पास पहनने को कपड़े हैं, न खाने को रोटी और न रहने को मकान न इलाज या दवा के लिये पैसे !
ताई स्वर्गवासी होकर कई सवाल छोड़ गई, कई यक्ष प्रश्न दे गयी ! ताई की मौत एक किस्सा न बन कर रह जाये, अफसानों में खो न जाये इससे पहले ही ताई कई कथाओं को भी अपने अन्दर समेट ले गयी !
ताई की कहानी में मुंशी प्रेमचन्द की बूढ़ी काकी नामक कहानी की काकी या ताई भी शामिल है तो बागवान फिल्म के अमिताभ बच्चन और हेमामालिनी के बंटवारे का किस्सा भी शामिल है !
और सबसे बड़ी कहानी जो ताई छोड़ गयी वह सरकार की सच्चाई को चीख चीख कर बता गयी ! गरीबी, बीमारी, लाचारी, ग्रामीण जिन्दगी तथा जीवन मृत्यु के दरम्यां झेलते भारतीय जीवन और गाँवों में वृध्दों की दशा एवं खोखले सरकारी तमाशे का रंगमंच दिखा गयी !
इसके बाद कई ताईयों और ताऊओं से मिला, लगभग सबकी एक ही कहानी बस एक सी ही जिन्दगी और एक सी लाचारी, एक सी बीमारी, एक सा दुख ! कहीं कुछ भी फर्क नहीं , बस ताई चली गयी और वे अपने जाने की बाट जोह रहे हैं, न सरकार से उम्मीद न कोई शिकवा, मुकद्दर के लेख को ही सरकार माने बैठे लोगों को यह पता ही नहीं कि उन्हें क्या मदद कहाँ से और कैसे मिल सकती है, अधिकारी बने बैठे लोकसेवकों से सेवा कैसे ले सकते हैं ! शिकायत किसकी और कहाँ कर सकते हैं !
संयोगवश यूं ही अपनी आदत के चलते मैं कुछ सरकारी किताबें ” आगे आयें लाभ उठायें” इस किताब में सरकारी योजनायें और उनसे फायदे उठाने के तरीके दिये हैं, और म.प्र. में शिवराज सिंह द्वारा अब तक आयोजित विभिन्न पंचायतों का विवरण देने वाली किताबों की पाँच छह प्रतियां यह सोच कर ले गया था, कि जो भी जरूरतमन्द होंगें मैं उनमें यह किताबे बाँट दूंगा !
लेकिन किताबों को देखते ही वहाँ मारामार शुरू हो गयी किताबे कम थीं और जरूरतमन्द ज्यादा सो सब उलझ पड़े कि यह उसे मिल जायें ! मैं उलझन में था कि ऐसी अवस्था में क्या किया जाये, फिर मैंने वैकल्पिक व्यवस्था कि भई कुछ लोग जो सबसे ज्यादा जरूरत मन्द हैं और जो दूसरों को भी रास्ता बतायें तथा दूसरों का भी भला करते हों वे लोग एक एक किताब ले लो ! बाद बकाया को मैं जब फिर आऊंगा तो सबको दूंगा ! अगर ऐसे बाँटी जाये तो दस बीस हजार किताबे तो अकेले मेरी पंचायत में ही बँट जायेंगीं और मेरे पास थीं ही कुल दस दस किताबे उनमें से आधी मैं पहले ही कहीं और दूसरे गाँव वालों को बाँट आया था, बची हुयी इधर ले आया था ! जैसे तैसे किसी को पंचायतों की किसी को आगे आये लाभ उठायें दे कर बकाया आश्वासन देकर मैंने अपना पिण्ड छुटाया !
लोग किताबे देख कर आश्चर्यचकित थे, उनमें लिखीं योजनाओं और जानकारीयों को पढ़ जान कर विस्फारित थे (बात केवल आठ दिन पुरानी है) ! उन्हें अभी तक पता ही नहीं था कि कौनसी योजनायें सरकार चला रही है, और उनसे कैसे फायदा उठाया जाता है ! सरकार क्या क्या उनके हित के फैसले ले रही है, क्या क्या घोषणायें कर रही हैं ! अब जब उन्हें बुनियादी जानकारी ही नहीं है, तो सोचने वाली बात है कि फिर वे फायदा कैसे उठा सकते हैं, कैसे उसकी मानीटरिंग कर सकते हैं ! कैसा लोकतंत्र, कैसा आम आदमी का राज कैसी गरीब की सरकार ?
गाँव में अखबार आजादी के 62 साल गुजरने के बाद भी आज तक नहीं पहुँचते, गाँव तो छोड़िये, ग्राम पंचायत तक नहीं पहुँचते ! गाँवों में बिजली है ही नहीं सो टी.वी कबाड़खानों या भुस रखने की जगह यानि भुसेरों में पड़ें चूहों के बिल में तब्दील हो गये हैं यानि गांवों में अब टी.वी नहीं देखा जाता ! अब बताओं कि संचार व सूचना से शून्य होकर सत्ररहवीं अठारहवीं शताब्दी के इन गाँव को को विकास की परिभाषा और आयाम आज तक छू ही नहीं सके !
गाँव वाले बताते हैं सूचना का अधिकार कभी किसी के मुँह सुना तो हैं पर पता नहीं ये क्या होता है, हमें नहीं पता इसका क्या फायदा है, हमें नहीं मालुम हमारी पंचायत में कौनसी योजनायें चल रहीं हैं, पंच और सरपंचों को भी नहीं मालुम , वे भी कुछ नहीं बताते ! क्या हमारे गाँव में भी सूचना का अधिकार चलता है, चलता है तो यह क्या होता है इसमें कितना अनुदान मिलता है, भैंस के लिये मिलता है कि बीज के लिये ! क्या सूचना का अधिकार योजना हमारी पंचायत में भी चलती है, चलती है तो इसका फार्म कैसे भरेगा और कित्ते पैसे मिलेंगें ! वगैरह वगैरह !
मैंने पूछा रोजगार गारण्टी योजना कैसी चल रही है ? गाँव वाले बोले ये कहाँ चलती है, दिल्ली या भोपाल में होगी ! जाको झां कितऊं अतो पतो नानें (इसका यहाँ कोई अता पता नहीं है) मैंने कहा अरे भई किसी के जॉब कार्ड तो बने होंगें, किसी को रोजगार तो मिला होगा ! गाँव वाले बोले जब झां चलिई नाने रई तो का बतामें (जब यहाँ चल ही नहीं रही तो फिर क्या बतायें) मैंने कहा कि पंचायत सचिव आपको कुछ नहीं बताता, कोई आपके यहां सर्वे करने नहीं आया !
ग्रामीणों ने उत्तर दिया कि सेकेटटरी भजाय देतु हैं (सेक्रेट्री भगा देता है) झां कैसीऊ कोऊ वर्वे फर्वे नाने भई, भईअऊ होगी तो वैंसेई फर्जी भलेईं कर लई होगी के फिर जिनने (कुछ लोगों के नाम लेते हैं) फर्जी लिखवाय डारें होंगें जेई सारे दलाल हैं सिग गाम को पैसा मिल जुल के खाय जातें !
मैंने पूछा कि रोजगार गारण्टी का कोई काम यहाँ चल रहा है क्या ? या कभी चला है क्या ? ग्रामीणों ने कहा नानें झां ना कभऊं चलो ना चल रहो !

क्रमश: अगले अंक में जारी ………

आतंकवाद की छाया में साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते भारतीय त्यौहार


आतंकवाद की छाया में साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते भारतीय त्यौहार

तनवीर जांफरी

(सदस्य, हरियाणा साहित्य अकादमी, शासी परिषद) email:  tanveerjafri1@gmail.com tanveerjafri58@gmail.com  tanveerjafriamb@gmail.com  22402, नाहन हाऊस

अम्बाला शहर। हरियाणा फोन : 0171-2535628  मो: 098962-19228

 

       देश की राजधानी दिल्ली आतंकवादियों द्वारा किए गए सिलसिलेवार बम धमाकों से गत् 13 सितम्बर की सायम काल उस समय फिर दहल उठी जबकि मानवता के इन दुश्मनों ने राजधानी के तीन प्रमुख स्थानों कनॉट प्लेस, करोल बांग व ग्रेटर कैलाश में बम धमाके कर दो दर्जन से अधिक बेगुनाह लोगों की जान ले ली। इन धमाकों में लगभग 150 लोग बुरी तरह ंजख्मी भी हो गए। ऐसा ही जघन्य अपराध इन आतंकवादियों द्वारा गत् वर्ष भी त्यौहारों के इन्हीं अवसर पर किया गया था। हालांकि इन मानवता के दुश्मनों का मंकसद त्यौहारों के दिनों में देश में अशांति पैदा करना तथा साम्प्रदायिक तनाव पैदा करना है। परन्तु इसके विपरीत उत्सव व त्यौहारों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध भारतवर्ष में इन दिनों विभिन्न सम्प्रदायों के त्यौहारों का सिलसिला पूरे हर्षोल्लास के साथ पूर्ववत जारी है। हिन्दू समुदाय के लोगों ने गत् दिनों अपने धार्मिक पर्व गणेश पूजा का आयोजन बड़े पैमाने पर पूरे श्रद्धा व उल्लास के साथ किया तो देश का मुस्लिम समुदाय भी पवित्र रमंजान के महीने रोंजा (व्रत) रखने में व्यस्त रहा। आगामी दिनों में भी भारत में दशहरा, दुर्गापूजा तथा ईद जैसे प्रमुख त्यौहार मनाए जाने की तैयारियां ंजोर शोर से चल रही हैं। अनेकता में एकता की विश्वव्यापी मिसाल पेश करने वाले इस देश में जहां प्रत्येक समुदायों के लिए उनके अपने त्यौहार धार्मिक महत्व से जुड़े होते हैं, वहीं यही त्यौहार साम्प्रदायिक सौहार्द्र एवं सर्वधर्म सम्भाव की भी ऐसी अनूठी मिसाल पेश करते हैं जिसका मुंकाबला शायद दुनिया का कोई भी देश नहीं कर सकता। इसमें आश्चर्य की बात यह है कि भारत में साम्प्रदायिक सद्भाव की ऐसी मिसालें तब भी देखने को मिलती हैं जबकि आतंकवादी व साम्प्रदायिक शक्तियां अपने साम्प्रदायिक दुर्भाव फैलाने के नापाक मिशन में दिनरात लगी हुई हैं। आईए लेते हैं भारतीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र से जुड़ी हुई ऐसी ही कुछ घटनाओं का एक जायंजा।

              हरियाणा के बराड़ा ंकस्बे में जहां कि गत् वर्ष देश का सबसे ऊंचा रावण बनाए जाने का कीर्तिमान स्थापित किया गया था, वहीं स्थानीय रामलीला क्लब द्वारा इस वर्ष पुन: रावण की ऊंचाई को लेकर विश्व कीर्तिमान स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। क्लब के संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिन्द्र सिंह चौहान अपने सैकड़ों साथियों के साथ विश्व के सबसे ऊंचे रावण को बनाए जाने की तैयारी में गत् 3 माह से जुटे हुए हैं। इस परियोजना में उनका साथ देने के लिए आगरा से आया हुआ है मोहम्मद उस्मान का एक मुस्लिम परिवार। अपने घर से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी तय कर के मोहम्मद उस्मान अपनी पत्नी व बच्चों समेत गत् तीन माह से बराड़ा ंकस्बे में तेजिन्द्र सिंह चौहान के विशेष अतिथि के रूप में रह रहे हैं। मोहम्मद उस्मान की भी हार्दिक इच्छा है कि राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित करने के बाद विश्व कीर्तिमान स्थापित करने में भी वे तेजिन्द्र चौहान के इस महत्वाकांक्षी मिशन में उनके सहयोगी बने रहें। इस विशालकाय रावण के निर्माण के दौरान पवित्र रमंजान का महीना भी गुंजरा। मोहम्मद उस्मान व उनका परिवार नियमित तौर पर रोंजा रखता है। उनके रोंजे की पूरी व्यवस्था बड़े ही आदर व आस्था के साथ तेजिन्द्र चौहान द्वारा की जाती है। इतना ही नहीं बल्कि रमंजान की शुरुआत में जब मोहम्मद उस्मान की पत्नी को ंकुरान शरींफ की ंजरूरत महसूस हुई तो चौहान द्वारा स्वयं बांजार जाकर धार्मिक पुस्तकों की दुकान से ंकुरान शरींफ मुहैया कराया गया तथा उनकी धार्मिक ंजरूरतों व इच्छाओं की पूर्ति की गई। स्वयं मोहम्मद उस्मान का यह मानना है कि तेजिन्द्र चौहान द्वारा निर्देशित रावण का निर्माण करने हेतु बराड़ा आने पर उन्हें जो मान-सम्मान व सत्कार मिलता है तथा यहां जिस धार्मिक स्वतंत्रता का उन्हें यहां एहसास होता है, वह एहसास शायद उन्हें अपने समुदाय के लोगों के साथ    रहकर भी नहीं हो पाता। यही वजह है कि चौहान के निमंत्रण पर मोहम्मद उस्मान प्रत्येक वर्ष अपने सहयोगी मुस्लिम कारीगरों व अपने पूरे परिवार के साथ बराड़ा चले आते हैं। इस विषय पर तेजिन्द्र चौहान का कहना है कि वे मोहम्मद उस्मान व उनके परिजनों की धर्म संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति कर तथा उसमें भागीदार बनकर महंज अपनेर् कत्तव्यों का पालन करते हैं तथा अतिथि देवो भवकी भारतीय परम्परा का निर्वाहन करते हैं। चौहान का कहना है कि उनकी कोशिश है कि उनके कला निर्देशन व संरक्षण में मोहम्मद उस्मान के परिश्रम के परिणामस्वरूप तैयार होने वाले इस विशालकाय रावण का नाम गिनींज बुक ऑंफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो जाए। यदि ऐसा हो सका तो हरियाणा के बराड़ा ंकस्बे में इस वर्ष दशहरे पर तैयार किया जाने वाला रावण का पुतला न केवल ऊंचाई व भारी भरकमपन में विश्व कीर्तिमान स्थापित करेगा बल्कि भारतीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र के क्षेत्र में भी यह अपनी अनूठी मिसाल स्वयं पेश करेगा।

              इसी प्रकार गणेश पूजा का त्यौहार भी प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी साम्प्रदायिक सद्भाव के अनूठे उदाहरण पेश कर रहा है। जहां भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध नायक सलमान ंखान प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी गणेश पूजा के अवसर पर भक्ति भाव में सराबोर नंजर आए, वहीं देश के कई हिस्सों में ऐसे गणेशोत्सव भी मनाए गए जिनकी अधिकांश व्यवस्था मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा की गई। इतना ही नहीं बल्कि दिल्ली में हुए बम धमाकों के बावजूद देश में गणेश पूजा के अनेकों आयोजन ऐसे भी हुए जिसमें मुसलमानों द्वारा गणेश प्रतिमा अपने घरों में स्थापित की गई तथा उनका पूजा पाठ किया गया। दिल्ली के धमाकों को साम्प्रदायिक सौहार्द्र पर बदनुमा दांग बताते हुए गणेश प्रतिमा विसर्जन में इसी वर्ष मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। एक और प्रसिद्ध ंफिल्म अभिनेता शाहरुंख ंखान भी हिन्दू व मुस्लिम धर्मों के लगभग सभी त्यौहार स्वयं बड़े जोश व उत्साह के साथ मनाते हैं। होली दिवाली तथा ईद बंकरीद जैसे सभी त्यौहारों को अपने परिजनों एवं मित्रों के साथ मनाकर वे सच्चे भारतीय होने का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

              ऐसा नहीं है कि सर्वधर्म सम्भाव या साम्प्रदायिक सौहार्द्र से ओत-प्रोत उक्त आयोजन केवल सम्पन्न व्यक्तियों अथवा प्रसिद्ध हस्तियों द्वारा ही किए जाते हैं। बल्कि ंगरीबी, बदहाली व बेबसी से जूझते हुए लोगों के मध्य भी ऐसी भावना भारत में देखी जा सकती है। उदाहरण के तौर पर भारत के बिहार राज्य के 19 ंजिले इस वर्ष बिहार की कोसी नदी के तटबंध टूट जाने के कारण आई प्रलयकारी बाढ़ से प्रभावित हैं। इस बाढ़ के दौरान प्रभावित लोगों ने बिना किसी धार्मिक भेदभाव के एक दूसरे धर्म के लोगों को न केवल सहयोग व संरक्षण दिया बल्कि उनकी धार्मिक गतिविधियों में भी परस्पर सहयोगी रहे। अनेक स्थानों पर प्रलयकारी बाढ़ से शीघ्र निजात पाने के लिए पूजा पाठ करने व दुआएं आदि मांगने के सामूहिक तौर पर आयोजन किए गए। एक ही छत के नीचे हिन्दू समुदाय द्वारा भजन पूजन करने तथा मुसलमानों द्वारा नमांज पढ़कर ंखुदा से दुआ मांगने के नंजारे देखने को मिले। यही नहीं रमंजान के महीने में आई इस बाढ़ में मुस्लिम भाईयों के रोंजा रखने संबंधी ंजरूरतों को पूरा करने में भी हिन्दू समुदाय ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। कई स्थानों पर तो हिन्दू समुदाय के लोगों द्वारा भी रमंजान में रोंजा (व्रत) रखे जाने के समाचार प्राप्त हुए हैं।

              भारत में तेंजी से फैलता जा रहा आतंकवाद तथा इन आतंकवादी घटनाओं में अधिकांशतय: मुस्लिम समुदाय के लोगों के सम्मिलित होने के समाचार तथा इसके जवाब में गुजरात राज्य की तंर्ज पर भारत की हिन्दुत्ववादी शक्तियों द्वारा किए जाने वाले साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के घिनौने प्रयास और इन सबके बीच देश में साम्प्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश करने वाली उपरोक्त घटनाएं यह समझ पाने के लिए कांफी हैं कि रामानन्द, कबीर, नानक, चिश्ती, ंखुसरु, साईं बाबा, ंफरीद व बुल्लेशाह की इस पावन धरती पर साम्प्रदायिक दुर्भावना फैलाने की साम्प्रदायिक शक्तियों अथवा आतंकवादियों द्वारा कितनी ही कोशिशें क्यों न की जाएं। किन्तु सन्तों व ंफंकीरों के इस देश में साम्प्रदायिक सौहार्द्र की जड़ें इतनी गहरी हैं कि उन्हें कोई भी आतंकवादी अथवा साम्प्रदायिक संगठन हिला नहीं सकता।

                                                                                           तनवीर जांफरी

देश की एकता व अखण्डता को चुनौती देने वाले ढोंगी नेताओं से सावधान


देश की एकता व अखण्डता को चुनौती देने वाले ढोंगी नेताओं से सावधान
निर्मल रानी
163011, महावीर नगर, अम्बाला शहर,हरियाणा। फोन-09729229728 email: nirmalrani@gmail.com

दुनिया के किसी भी स्वच्छ लोकतंत्र में ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का अपना अलग ही महत्व होता है। जिस लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घुटने लग जाए, उसे लोकतंत्र नहीं बल्कि तानाशाह शासन या अलोकतांत्रिक व्यवस्था का नाम दे दिया जाता है। देशवासी भली-भांति उस राजनैतिक घटनाक्रम से परिचित है जबकि 1975 में देश में आपातकाल की घोषणा की गई थी। इस दौरान जहां अन्य तमाम कड़े ंफैसले लिए गए थे, वहीं मीडिया को भी नियंत्रित रखने हेतु कई कड़े नियम लागू किए गए थे। हमारे देश में आपातकाल का विरोध करने वालों ने तत्कालीन सरकार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने का आरोप लगाया था। इसका परिणाम यहां तक हुआ था कि आपातकाल लागू करने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व उनकी सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को स्वतंत्रता के पश्चात पहली बार भारतीय मतदाताओं ने सत्ता से बेदंखल कर दिया था। यही वह दौर था जबकि इंदिरा गांधी जैसी तेंज तर्रार, दूर दृष्टि रखने वाली महिला को एक तानाशाह शासक होने का प्रमाण पत्र भी उनके विरोधियों द्वारा जारी कर दिया गया था।
क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भारत जैसे बहुभाषी व बहुआयामी देश में कारगर प्रतीत होता है। अभी पिछले दिनों अमरनाथ श्राईन बोर्ड को जम्मु-कश्मीर सरकार द्वारा आबंटित की गई मामूली सी ंजमीन के मुद्दे को लेकर ‘अभिव्यक्ति’ का बांजार ंखूब गर्म देखा गया। कहीं सीमा पार चले जाने की धमकियां सुनने को मिलीं तो कहीं अलगाववादी विचार रखने वाले नेताओं द्वारा इसे 1947 के विभाजन जैसा माहौल बताया जाने लगा। मतों के ध्रुवीकरण के मद्देनंजर न सिंर्फ घाटी के क्षेत्रीय नेताओं द्वारा बल्कि साम्प्रदायिकता की आग में अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने वाले तथाकथित राष्ट्रवादी नेताओं द्वारा भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ऐसे ंजहर बोए जाने लगे जिसका नकारात्मक प्रभाव पूरे देश पर पड़ सकता था। परन्तु जैसा कि हमेशा होता आया है, भारत माता की रक्षा उसी ईश्वीरीय शक्ति ने की तथा अमरनाथ श्राईन बोर्ड की ंजमीन को लेकर लगी आग जोकि बुझती हुई प्रतीत नहीं हो रही थी आंखिरकार किसी समझौते पर पहुंचकर नियंत्रित हो गई। जबकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पैरोकार तथा सौदागर इस मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर इसे पूरी हवा देना चाह रहे थे। और कोई आश्चर्य नहीं कि आगामी लोकसभा चुनावों के दौरान स्वयं को राष्ट्रवाद का स्वयंभू ठेकेदार समझने वाली देश की एक पार्टी इस मुद्दे का प्रयोग अभी भी अपने राजनैतिक हित साधने के लिए करे।
उड़ीसा लगभग एक माह तक साम्प्रदायिकता की आग में जलता रहा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में ही उस राज्य में ईसाई मिशनरियों द्वारा बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन कराए जाने के आरोप हिन्दुत्ववादी संगठनों द्वारा लगाए जाते रहे हैं। हिन्दू नेता लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के पश्चात उड़ीसा के कंधमाल क्षेत्र में हिंसा का तांडव शुरु हो गया था। हिन्दुत्ववादी संगठनों का आरोप था कि धर्म परिवर्तन को रोकने के मिशन में लगे लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के पीछे उग्र ईसाई संगठनों का हाथ है। जबकि एक माओवादी संगठन द्वारा इस हत्या की ंजिम्मेदारी अपने ऊपर ली गई। इस प्रकरण में भी ‘अभिव्यक्ति’ का बांजार पूरी तरह गर्म रहा। हिन्दुत्ववाद के नाम पर ंजहर उगलने में महारत रखने वाले प्रवीण तोगड़िया ने कंधमाल जाकर अपनी ‘विशेष स्वतंत्र अभिव्यक्ति’ के
माध्यम से वह गुल खिलाया कि सैकड़ों ंगरीब व बेगुनाह लोग जाने से मारे गए तथा अपने घरों से बेघर होकर शरणार्थी शिविरों में रहने के लिए मजबूर हो गए। इसी प्रकरण में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी अपने दूरगामी लक्ष्य व प्रतिक्रिया के मद्देनंजर माओवादियों द्वारा लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या की ंजिम्मेदारी लेने को ंगलत करार दिया तथा ईसाई संगठनों पर ही उनकी हत्या करने का संदेह जताया।
और अब भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई इसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दंश झेल रही है। ‘अभिव्यक्ति’ करने वाले हैं मुंबई के तथाकथित स्वयंभू स्वामी ठाकरे परिवार विशेषकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे। उनकी इस ंजहरीली अभिव्यक्ति के निशाने पर हैं उत्तर भारतीय विशेषकर उत्तर प्रदेश व बिहार के लोग। राज ठाकरे क्षेत्रवाद का ंजहर बोकर अपनी ंजहरीली अभिव्यक्ति के माध्यम से मराठों के दिल में उत्तर भारतीयों के प्रति नंफरत पैदा करना चाह रहे हैं। इसका कारण यह ंकतई नहीं है कि उन्हें मुम्बई या महाराष्ट्र से गहरा लगाव है बल्कि उनकी इस चाल का मंकसद बहुसंख्य मराठा मतों पर अपना अधिकार जमाना मात्र है। ठाकरे परिवार ने मराठों के कल्याण के लिए कोई अभूतपूर्व कार्य किया हो, ऐसा कुछ भी नहीं। मात्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में उत्तर भारतीयों को गालियां देकर ठाकरे परिवार के लोग मराठों के दिलों में अपनी जगह बनाने का प्रयास कर रहे हैं। राज ठाकरे की हरकतें तो देखते ही बन पड़ती हैं। सार्वजनिक रूप से वे जिसकी चाहते हैं नंकल उतारने लग जाते हैं, जिसकी चाहें वे बोली बोलने लग जाते हैं तो कभी किसी को गालियां देने लग जाते हैं। मुम्बई में दुकानदारों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों तथा कार्यालयों पर लगने वाले साईनबोर्ड किस भाषा में हों, इसकी इजांजत राज ठाकरे से लेनी पड़ेगी। मुम्बई में किसी कलाकार की ंफिल्म कब चलनी है और कब नहीं, यह भी राज ठाकरे की कृपादृष्टि पर ही निर्भर करता है। अपनी राजनैतिक हैसियत व अपने ंकद को नापे तोले बिना जिस कलाकार अथवा नेता को चाहें, राज ठाकरे क्षण भर में अपमानित कर सकते हैं। और यह सब मात्र ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के नाम पर खेले जाने वाले ंखतरनाक खेल हैं।
गत् दिनों जब राज ठाकरे को उन जैसी रूखी भाषा में मुम्बई के संयुक्त पुलिस कमीश्र के एल प्रसाद द्वारा सांफ शब्दों में यह जवाब दिया गया कि ‘मुम्बई किसी के बाप की नहीं है’ तो राज ठाकरे तिलमिला उठे। आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के 1982 बैच के आई पी एस अधिकारी प्रसाद द्वारा मुम्बई की ंकानून व्यवस्था के मद्देनंजर की गई यह ‘अभिव्यक्ति’ तो कोई इतनी ंगलत एवं कष्टदायक नहीं थी कि राज ठाकरे तिलमिला उठें। परन्तु राज ठाकरे को पुलिस कमीश्र प्रसाद का यह दो टूक बयान नहीं भाया। उन्होंने प्रसाद को नौकरी छोड़कर मैदान में आने की चुनौती दे डाली। इससे सांफ ंजाहिर होता है कि एक तथाकथित नेता होने के नाते राज ठाकरे को तो यह अधिकार है कि वे जब और जिसे चाहें और जिस भाषा में चाहें अपमानित कर दें। परन्तु ंकानून व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनंजर यदि एक पुलिस अधिकारी खरी-खरी सुना दे तो वह ठाकरे को ंकतई बर्दाश्त नहीं है।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक महबूबा मुंफ्ती व राज ठाकरे जैसे और भी कई ऐसे नेता देखे जा सकते हैं जोकि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी न तो कोई पहचान रखते हैं, न ही उनकी राजनैतिक गतिविधियां यह दर्शाती हैं कि उनमें सम्पूर्ण राष्ट्र के प्रति कोई लगाव है। यदि हमें देश की एकता व अखण्डता को ंकायम रखना है तो ऐसी सीमित सोच रखने वाले स्वार्थी एवं ढोंगी नेताओं के राजनैतिक हथकंडों से हमें सावधान रहना होगा। हमें बड़ी सूक्ष्मता से इस बात पर नंजर रखनी होगी कि ऐसे नेता कब और क्या वक्तव्य दे रहे हैं और उनकी इस ‘अभिव्यक्ति’ के पीछे छुपा हुआ असली मंकसद क्या है? वह जो सुनाई दे रहा है और दिखाई नहीं दे रहा या फिर वास्तव में वह जो दिखाई बिल्कुल नहीं पड़ रहा अर्थात् सत्ता का सीधा रास्ता और वह भी नंफरत, दुर्भावना, दंगों व ंफसादों के रास्ते से होता हुआ। निर्मल रानी

चम्‍बल का बहादुर अन्‍तर्राष्‍ट्रीय धावक जो डकैत बना, पान सिंह तोमर पर बनेगी फिल्‍म


चम्‍बल का बहादुर अन्‍तर्राष्‍ट्रीय धावक जो डकैत बना, पान सिंह तोमर पर बनेगी फिल्‍म
नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनन्‍द’’
चम्‍बल के सीने में न जाने कितने देशभक्‍तों और बहादुरों की कहानीयां दफन हैं । चम्‍बल में इन्‍हे कभी वीर गाथाओं के तौर पर किस्‍से कहानीयों के रूप में तो कभी चौपाली चर्चाओं में तो कभी सर्दियों में अगिहानो (अलावों) पर बैठकर तापते हुये बुजुर्गवार बच्‍चों को सुनाते हैं ।
यूं कहीं किस्‍से कहानी सुनते सुनते चम्‍बल के बेटे बड़े हो लेते हैं, चम्‍बल का पानी कहिये या राजपूतों का खून या फिर पाण्‍डवों में सदा से अन्‍याय के प्रति हिकारत का भाव (तोमर राजवंश पाण्‍डवों के वंशज हैं) । चम्‍बल के बेटे अन्‍याय बर्दाश्‍त नहीं करते, चम्‍बल के बेटे दूसरे किसी अन्‍य के साथ होते अन्‍याय या अत्‍याचार को भी बर्दाश्‍त नहीं करते । और बस लड़ जाते हैं, भिड़ जाते हैं ।
आल्‍हा महाकाव्‍य में कुछ पंक्‍ितयां चम्‍बल के बेटो पर सटीक बैठती हैं –
ताको बैरी जीवित बैठो ताके जीवन कों धरकार । बारह बरस लौं कूकर जीवे, औ तेरह लौं जिये सियार । बरस अठारह क्षत्री जीवे आगें जीवन को धक्‍कार ।
गुम्‍मट बंध गये रजपूतन के, सेना गोलबन्‍द हे जाय ।
एकैं मारें, दो मरि जाय, तीजों दहशत सों मरि जाय । ईंट फूंटि के गुटईं हे जाय, गुटईं फूट छार हे जाय । छार फूटि कें रेता हो जाय, रेता आसमान मंडराय । सबके माथे चढ़ी भवानी, सबकीं ऑंख खून लहराय ।
चम्‍बल में अन्‍याय और अत्‍याचार (अब नया आइटम है भ्रष्‍टाचार) कतई बर्दाश्‍त नहीं हैं । चम्‍बल सत्‍ताद्रोही रही है, चम्‍बल बगावत करती आयी है, बगावत चम्‍बल की शान है । मगर यह बगावत कभी न्‍याय और न्‍यायप्रियता के विरूद्ध नहीं रही, कभी भी सही बात के खिलाफ आज तलक चम्‍बल के बेटे नहीं गये ।
चम्‍बल के बेटों ने भारत मॉं के मस्‍तक पर हमेशा अपने रक्‍त चन्‍दन का तिलक किया है, उसे हमेशा अपना रक्‍त स्‍नान करा कर ही उसका अभिषेक किया है ।
सत्‍ता पक्ष के अन्‍याय, भ्रष्‍टाचार और अनसुनवाई से सदा चम्‍बल नाराज रहती आयी है, स्‍वाभिमान चम्‍बल की रग रग में बसता है । जिसने सत्‍य की आवाज नहीं सुनी, जिसने न्‍याय की फरियाद नहीं सुनी वही चम्‍बल का दुश्‍मन हो गया । चम्‍बल के बेटे उसके खिलाफ बागी हो गये, सरकार ने न्‍याय नहीं किया, पुलिस ने न्‍याय नहीं किया, अदालत ने न्‍याय नहीं किया तो चम्‍बल के बेटों ने खुद की अदालत कायम की, खुद मुख्‍त्‍यार हुये, खुद ही पुलिस और खुद ही जज हो गये । देश की सर्वोच्‍च अदालत जो फैसला मुकम्‍मल न कर सके ऐसे फैसले चम्‍बल के बागीयों ने किये और सर्व मान्‍य हुये ।
हल से बल तक और बल से छल तक छल से खल तक यह एक अजीब दास्‍तान है जिस पर चम्‍बल के बेटो ने अपने लहू बहाये, इतिहास रचे ।
कोई जब गलत करे तो उसका विरोध कभी गलत नहीं होता, हॉं बात का विरोध करने का अपना अपना अलग अलग ढंग होता है, चम्‍बल के बेटो ने शठे शाठयम् अर्थात खग जाने खग ही की भाषा की नीति अख्‍त्‍यार की और बदमाशों को उन्‍हीं की भाषा में ज्ञान और नीति पढ़ाई ।
चम्‍बल के बेटे जब भारत के रक्षक हैं, देशभक्‍त हैं, वे बागी हो सकते हैं लेकिन डकैत कतई नहीं हो सकते । बागी को डाकू कहना एक बागी के लिये सबसे बड़ी गाली है । बागीयों ने जब कहीं गुजारा के लिये या गिरोह चलाने के लिये कहीं डाके डाले तो उन्‍हें डकैत की संज्ञा स्‍वत: प्राप्‍त हो गयी । वे पेशेवर डकैत कभी नहीं रहे ।
चम्‍बल में आजकल तो छिछोरे और ठग लुटेरे लम्‍पट हैं जिनका काम राहजनी , अपहरण और नकबजनी जैसे छिछोरे कामों से धन उपार्जन मात्र तक सीमित है ।
चम्‍बल की एक ताजी कहावत है कि जब तक जगजीवन परिहार (अभी इसकी मृत्‍यु प्रश्‍नचिह्नित है) जिन्‍दा रहा तब तक एक भी भैंस चोर (आजकल चम्‍बल में भभ्‍भर मचा रहे तथाकथित पुलिस मुखबिर रहे लोग उत्‍पात मचा कर चम्‍बल को परेशान किये हैं) नजर नहीं आया । सारे भैंस चोर (आजकल के छिछोरे) अपने अपने बिलों में दुबके बैठे रहे । चम्‍बल में चोरी, भडि़याई, लूट यब एक दम बन्‍द हों गयीं थीं । जगजीवन की तथाकथत मृत्‍यु के बाद सारे भैंस चोर आजाद हो गये और डकैत कहे जाने लगे ।
अब अन्‍याय के दुश्‍मन रहे या अत्‍याचार से ताजिन्‍दगी जूझे व्‍यक्ति ने बन्‍दूक उठाई तो न्‍याय और समाज की रक्षा के लिये, वे लोकतंत्र के सच्‍चे पहरेदार रहे । पुलिस और तथाकथित चम्‍बल से बाहर के कबाड़ी लेखकों और उपन्‍यासकारों ने उन्‍हें कभी दुर्दान्‍त कह कर तो कभी अत्‍याचारी और जुल्‍मी बता कर बदनाम किया । जबकि हकीकत इससे हजारों गुना दूर थी ।
खैर डकैतों को महिमा मण्डित करना गलत है, मैं इससे सहमत हूँ , लेकिन जब एक राबिनहुड पैदा होता है या कहीं कृष्‍ण अपना अवतार धारण करता है तो अन्‍याय और अत्‍याचार के खात्‍मे के लिये, आप उसे महिमा मण्डित भले ही न करें लेकिन उसके किस्‍से अपने आप लोगों के दिल पर अमिट हो जाते हैं, आप उन्‍हें रोक नहीं सकते, उनका स्‍वत: होने वाला अचूक महिमा मण्‍डन रोका नहीं जा सकता ।
बस आप तो यह इंतजार करिये कि आप जो भ्रष्‍टाचार, अंधेरगर्दी और जुल्‍म व अत्‍याचार की आंधी चला रहे हैं, जस्‍ट वैट कि कब चम्‍बल के किसी बेटे की खुपडि़या घूमती है, फिर देखिये कि क्‍या होता है – मारेगा पचास गिनेगा एक, खाल खींच कर भुस भर देगा । भोपाल और दिल्‍ली या बम्‍बई में बैठकर चम्‍बल के बारे में काल्‍पनिक लिखना बहुत आसान है, मुझे फख्र है , मैं चम्‍बल में पैदा होकर बाहर पढ़ लिख कर चम्‍बल को ही अपने कर्मक्षेत्र के रूप में चुना । हालांकि पैसा नहीं कमाया लेकिन एक आत्‍म संतोष है, मेरा ज्ञान मेरी विद्या मेरी मेहनत सब मेरी मातृभूमि की खिदमत में गुजर रही है । मैं उन लोगों में से नहीं जो अपनी मॉं के दूध को हराम कर गये, या जन्‍मभूमि का कर्ज चुकाये बगैर यहॉं से भाग गये । हॉं हम चम्‍बल से लिख रहे हैं ।
अभी बीबीसी हिन्‍दी पर खबर थी कि चम्‍बल के एक अन्‍तर्राष्‍ट्रीय धावक डाकू पान सिंह तोमर पर फिल्‍म बनेगी हम नीचे खबर को बीबीसी से सधन्‍यवाद उदृत कर हैं, मैं उन सौभाग्‍यशाली लोगों में से हूं जिन्‍हें पान सिंह तोमर तथा उसके गिरोह के सदस्‍यों से साक्षात मिलने का सौभाग्‍य नसीब हुआ था । पान सिंह तब डाकू नहीं थे, न उनके गिरोह में रहे लोग तब डाकू थे । तब वे भारी भले आदमी और भारी देशभक्‍त माने जाते थे । समय चक्र ने उन्‍हें डाकू बनाया । अम्‍बाह तहसील के गॉंव लेपा भिड़ौसा के रहने वाले पान सिंह तोमर के गिरोह में परिहार राजपूत, बीच का पुरा (उत्‍तर प्रदेश) तक के लोग सम्मिलित थे । पान सिंह तोमर एक बहादुर और वीर देशभक्‍त के रूप में ख्‍यात हैं, पुलिस जब हर प्रकार उन्‍हें मार पाने या पकड़ पाने में असफल रही तो उन्‍हे पूरे गिरोह सहित शराब और मुर्गो में जहर मिलवा कर मरवा दिया था । खैर जब फिल्‍म आयेगी तो हम भी देखेंगें कि वे क्‍या दिखाते बताते हैं, वैसे भाई इरफान खान जो पान सिंह तोमर का किरदार करने जा रहे हैं बहुत उम्‍दा कलाकार हैं, मुझे उनका अभिनय बेहद पसन्‍द है, भाई आशुतोष राणा भी साथ होते तो आनन्‍द आ जाता खैर एक समय की फिल्‍म कच्‍चे धागे में विनोद खन्‍ना या मुझे जीने दो में सुनील दत्‍त साहब ने जो जान फूंकी थी या चम्‍बल की कसम में राजकुमार या कसम भवानी की में जो तेवर थे उम्‍मीद है इरफान भाई बखूबी निभा ले जायेंगें –
बीबीसी हिन्‍दी से साभार

चंबल के डाकू बनेंगे इरफ़ान खान

वंदना
बीबसी संवाददाता

इरफ़ान खान राष्ट्रीय चैंपियन से डाकू बने शख़्स का रोल निभाएँगे.
पान सिंह तोमर- ये उस शख़्स का नाम है जिसने एथलेटिक्स में राष्ट्रीय चैंपियन की बुलंदियों से चंबल का कुख्यात डाकू बनने तक का सफ़र तय किया है.
इसी शख़्स की सच्ची कहानी को फ़िल्मी पर्दे पर उतारेंगे फ़िल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया.
किरदार को पर्दे पर उतारने का काम इरफ़ान खान करेंगे.
तिंग्माशु धूलिया ने इस बारे में बताया, “पान सिंह तोमर स्टीपलचेज़ में राष्ट्रीय चैंपियन थे. 10-11 वर्षों तक कोई उनका रिकॉर्ड तोड़ नहीं पाया था. उन्होंने टोक्यो में एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था लेकिन बाद में हालात कुछ यूँ बदले कि वे एक डाकू बन गए.”

पान सिंह तोमर स्टीपलचेज़ में राष्ट्रीय चैंपियन थे. 10-11 वर्षों तक कोई उनका रिकॉर्ड तोड़ नहीं पाया था. उन्होंने टोक्यो में एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था लेकिन बाद में हालात कुछ यूँ बदले कि वे एक डाकू बन गए.एक व्यक्ति जो देश के लिए दौड़ता था बाद में देश के क़ानून के ख़िलाफ़ हो गया और भागता रहा, ये कहानी मुझे दिलचस्प लगी

तिग्मांशु धूलिया
तिंग्माशु ने कहा कि एक व्यक्ति जो देश के लिए दौड़ता था बाद में देश के क़ानून के ख़िलाफ़ हो गया और भागता रहा, ये कहानी उन्हें दिलचस्प लगी और इसलिए इसे पर्दे पर उतारने का फ़ैसला किया.
खेल और खिलाड़ियों की दशा- दुर्दशा पर यूँ तो भारत में कई फ़िल्में बनीं हैं लेकिन तिग्मांशु मानते हैं कि इनमे से ज़्यातार फ़िल्में सतही और फ़र्ज़ी किस्म की रही हैं.
वे कहते हैं, “चक दे इंडिया बहुत अच्छी फ़िल्म थी, आपको प्रेरित भी करती है लेकिन सच्चाई अलग है- पुरुष हॉकी टीम की ही हालत देखिए तो महिलाओं की हॉकी टीम का क्या होगा. मैं उस किस्म की फ़िल्म बनाना चाहता हूँ कि बॉक्सर ने स्वर्ण पदक जीता है, उसके नाम पर सड़क है लेकिन उसी सड़क पर वो भीख माँगता है. ऐसे पता नहीं कितने खिलाड़ी हैं देश में अगर क्रिकेटर को छोड़ दें तो.”
ख़िलाड़ी से डाकू बने पान सिंह तोमर का किरदान निभाने वाले इरफ़ान खान ने किरदार की तैयारी शुरु कर दी है.
तिग्मांशु और इरफ़ान इससे पहले भी एक साथ काम कर चुके हैं. तिग्मांशु की पहली फ़िल्म हासिल में इरफ़ान ने अहम भूमिका निभाई थी.
इस रोल के लिए वर्ष 2003 में इरफ़ान खान को नकारात्मक भूमिका की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला था. उसके बाद से बॉलीवुड में इरफ़ान खान का ग्राफ़ तेज़ी से बढ़ा है.
बतौर निर्देशक ख़ुद तिग्मांशु को भी इस फ़िल्म के लिए ओलोचकों की काफ़ी सराहना मिली थी. दोनों ने फ़िल्म चरस में भी एक साथ काम किया था.
फ़िल्म की शूटिंग इस साल के अंत में शुरु होगी. तिग्मांशु की नई फ़िल्म शागिर्द अक्तूबर में रिलीज़ हो रही है जिसमें नाना पाटेकर ने काम किया है.

मूरख को उपदेश देने से क्‍या लाभ


उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्‍तये ।

पय: पानं भुजंगांनां केवलं विष वर्धनम् ।।

मूर्ख को उपदेश करने का कोई लाभ नहीं है, इससे उसका क्रोध शान्‍त होने के बजाय और उल्‍टे बढ़ता ही है । जिस प्रकार सॉंप को दूध पिलाने से उसका जहर घटता नहीं बल्‍ि‍क उल्‍टे बढ़ता ही है ।

 

सरकार की पिटाई और मराई मामले में 1014 लोगों पर मुकदमे 14 किरारों ने 40 को पीटा, मरणासन्‍न किया जिसमें 20 पुलिस वाले, प्रशासन का हैरत अंगेज केस


सरकार की पिटाई और मराई मामले में 1014 लोगों पर मुकदमे 14 किरारों ने 40 को पीटा, मरणासन्‍न किया जिसमें 20 पुलिस वाले, प्रशासन का हैरत अंगेज केस

Narendra Singh Tomar “Anand”

मुरैना 6 सितम्‍बर 08, आखिर भैस ने पूंछ उठाई और गोबर कर ही दिया । अरे गोबर क्‍या कर दिया पोंक (लूज मोशन) कर दिया ।

4 सितम्‍बर में अंचल में हुये जनता बनाम सरकार संघर्ष में दोनो जन संग्रामों को सरकारी चश्‍में ने अपने नजरिये से नाप तौल लिया है ।

पहला मामला महाराजपुर के किरारों का है, यहॉं प्रलिस और प्रशासन की कुटाई पिटाई के साथ,द बंधक बनाने और मरणासन्‍न व अचेत करने तक कूटने पीटने का काण्‍ड हुआ सरकारी सूत्रान ने कहा था । यह भी कि बिजली चोरी हो रही थी ।

गॉंव में बिजली थी ही नहीं पर चोरी हो रही थी, खैर इस पर एक व्‍यंग्‍य लिखेंगें । दूसरी बात ये कि बीस बिजली वाले, बीस पुलिस वालों को लेकर चोर किसानों को पकड़ने और जेल में ठूंसने गये थे यानि कुल मिला कर अलीबाबा और 40 चोर यानि गब्‍बर बोले तो कित्‍ते आदमी थे, 40 थे पूरे 40 । अब गब्‍बर फिर पूछे कित्‍ते लोगों ने मारा, अब जवाब आया सरकारी कि 14 लोगों ने हुजूर ।

ससुरी हमारी पूरी जिन्‍दगी गणित पढ़ते पढ़ते बीत गयी, हमेशा टॉप किया, कभी गणित में 98 प्रतिशत से कम अंक नहीं आये, हमने जिन्‍दगी में कई दंगे देखे, कई फसाद भी देखे ससुरा ऐसा गणित आज हमारी समझ में नहीं आया कि 14 ग्रामीण किसान 40 सरकारी आदमीयों को कूट दें, पीट दें और बंधक बना लें तथा मरणासन्‍न तथा अचेत भी कर दें ।

भैया हमारे पल्‍ले तो नहीं पड़ा किसी के पल्‍ले पड़ जायेगा तो बता देना ।

पुलिस पर हथियार भी रहते हैं, ऊपर से बाहर से पुलिस बल भी पहुंचा, प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस व बिजलीवालों सहित कुल मिला कर करीब 550 से ऊपर आदमी थे । फिर भी 14 निहत्‍थे ग्रामीण किसान 40 या 550 को कूट पीट दें, मेरे पल्‍ले नहीं पड़ी ।

मैं इंजीनियरिंग और एम.एससी करके वकील भी हूं, कानूनी तौर पर ऐसे केस पहले झटके में ही अदालत में उड़ जायेंगें यह मुझे पता है, क्‍योंकि प्रमुख आधारिक तथ्‍य सर्वथा अतार्किक व असंभाव्‍यता पर जुड़ा है ।

कोई भी चतुर वकील सिर्फ एक तर्क में ही बात खत्‍म करवा देगा । खैर महाराजपुर मामला आनन फानन में धोखे से कायम हो गया, पिटने वाले पिट गये, कुटने वाले कुट गये और मरणासन्‍न वाले अस्‍पताली मरघट की खटिया पर चित्‍त पड़े हैं ।

मुख्‍यमंत्री से किरारों के सम्‍बन्‍ध की बात अगर सरकार को पता नही लगती तो क्‍या होता, फिर ये होता नीचे दूसरा मामला उसी दिन का समान घटनाक्रम का देखिये, इसमें सरकार की खुपडि़या फोड़ दी, दांत तोड़ दिये और गाड़ी फूंक दी बताई गयी।

महाराजपुर में प्रशासन मुख्‍यमंत्री के किरारों के सामने पोंक गया (लूज मोशन कर गया) वही बानमोर में एक हजार लोगों पर मामले लादे गये, (है मजे की बात् बानमोर घटनाक्रम में एक हजार लोगों के खिलाफ पुलिस प्रकरण दर्ज किये गये हैं । साली समूची बानमोर को ही क्‍यों नहीं धर दिया एफ.आई.आर में साला सब संकट ही खत्‍म हो जाता ।

अब वे संघर्ष शान्‍त कर रहे थे कि एक हजार लोगों के मुखमण्‍डल चीन्‍ह रहे थे, राम जाने । एक हजार चीन्‍ह लिये हैं सैकड़ों थाने में बन्‍द कर पीट कूट डाले । सरकार खिसया खिसिया कर पोंक रहे हैं ।

पिटे कुटे आदमी अपने घर जाकर सिकाई कराते हैं, चोट पर मल्‍हम लगवाते हैं, और मालिशमत्‍ता करवा करू कर हड्डी पसली चेक कराते हैं । कहॉं यार हजार लोगों के मुख मण्‍डल पहचान पहचान कर ढ़ढ़ते फिर रहे हो, अब कुट पिट तो गये ही, हजारों को अदालत ले जाकर का करोगे । वैसे ही फोकट बरी हो जायेंगें । तुम खिसियाये फिर रहे हो, जनता तुम से ज्‍यादा खिसिया जायेगी, और अबकी बार मारेगी तो और ज्‍यादा मारेगी ।

साला चार दिन चम्‍बल का पानी लिये हो, तुम भी बदला बदला नर्राने लगे । पुलिस कायमी कराना, जेल में ठूंसना चम्‍बल में बदला नहीं माना जाता भइये ।

बदला लेना ही है तो, जनसेवा करो प्‍यारे, गरीब की फरियाद सुनो, मजबूर को सहारा दो, रोते के ऑंसू पोंछों । आत्‍मा शान्‍त हो जायेगी, चित्‍त में धीरज आ जायेगा । काहे काे चम्‍बल की धरती पर एक महाभारत और एक घमासान का शिलान्‍यास कर रहे हो, ससुरा मंत्रियों से सीख गये हो पत्‍थर गाड़ना और रिमोटी शिलान्‍यास ।

खैर ये वक्‍त बतायेगा कि क्‍या करना उचित था और आप क्‍या गलत कर बैठे ।

हमें बात जमी नहीं दोस्‍त, पब्लिक पर मुकदमे बाजी जमी नहीं, अपनी ऑंख का टैंट देखो, लोक सेवक हो, लोक सेवक बन जाओ, जनता तुम्‍हारी माई बाप और अन्‍नदाता है, इस पर इतना जुल्‍म न ढाओ कि अबकी बार दांत तोड़ने और सिर फोड़ने के बजाय कुछ और गंभीर कर डाले । जन आक्रोश को स्‍वीकार करो, समस्‍या सुलझ जायेगी । वरना और पिटोगे । जनता की सुनो, जनता की करो, जनता का हुक्‍म मानो, नेता मंत्री ससुरे चार दिना के हैं फिर अंधेरी रात है, अंध भक्ति अच्‍छों अच्‍छों को मरवा डालती है ।

क्‍या साला 14 ने 40 को कूटा 550 को खदेड़ा, बानमोर में एक हजार ने भभ्‍भर किया, बात कुछ हजम नहीं हो रही । पूरे मुरैना जिला को ही क्‍यों नहीं साला ठोक के बन्‍द कर देते । क्‍योंकि भैया हम ज्‍योतिषी भी हैं और ज्‍योतिष कहता है कि नहीं सुधरे तो और कुटोगे ।

चम्‍बल में किसानों की बगावत, बिजली कटौती से गुस्‍साये किसानों ने बिजली कर्मियों और पुलिस को धुना, बिजली घर का जे.ई. मरणासन्‍न हालत में अस्‍पताल में भर्ती


चम्‍बल में किसानों की बगावत, बिजली कटौती से गुस्‍साये किसानों ने बिजली कर्मियों और पुलिस को धुना, बिजली घर का जे.ई. मरणासन्‍न हालत में अस्‍पताल में भर्ती

घटना के बाद समूची चम्‍बल की बिजली दिन भर के लिये काटी, किसानों के गॉंवों की बिजली सप्‍लाई स्‍थायी रूप से बन्‍द की  

मामला मुख्‍यमंत्री के नजदीकी बिरादरी वालों का, गंभीर हो सकते हैं अंजाम

मुरैना महाराजपुर में जनता और सरकार के बीच हुयी जंग में एक खास पहलू यह भी है कि सम्‍पूर्ण महाराजपुर और उसके आसपास के गॉंव किरार जाति समुदाय के हैं । घटनाक्रम में जो लोग मुल्जिम बनाये गये हैं या जिनसे पुलिस, प्रशासन व बिजलीकर्मियों का युद्ध हुआ है वे सभी किरार हैं । और इस क्षेत्र के सारे किरार शिवराज सिंह के अंधे समर्थक एवं शिवराज सिंह से शक्ति प्राप्‍त हैं । इस क्षेत्र के किरार धन बल, जनबल एवं बाहुबल में काफी समृद्ध एवं शक्तिशाली हैं । मुख्‍यमंत्री से सीधे जुड़े होने तथा मुख्‍यमंत्री का समर्थन व संरक्षण होने से दु:साहस इन किरारों में स्‍वत: ही आ गया है ।  ये लोग मुख्‍यमंत्री को किरारों का गौरव और नक्षत्र बताकर सम्‍मानित एवं अभिनन्दित भी कर चुके हैं ।

मुरैना 4 सितम्‍बर आज प्रात: चम्‍बल में मुरैना शहर के नजदीकी गॉंव महाराजपुर के किसानों और बिजली घर कर्मियों तथा पुलिस के बीच जम कर दंगा और उपद्रव हुआ जिसमें सारे ग्रामीण और किसान पुलिस और बिजली कर्मियों पर टूट पड़े, और पुलिस तथा बिजली वालों की जम कर धुनाई पिटाई कर डाली जिसके दौरान बिजली घर का जे.ई. फेरन सिंह तोमर मारपीट से मरणासन्‍न हो कर अचेत हो गया, गंभीर अवस्‍था में उसे अस्‍पताल में भर्ती कराया गया है ।

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार चम्‍बल में चल रही भारी बिजली कटौती से अंचल की जनता में भारी आक्रोश व रोष व्‍याप्‍त है जिसका आज तेज असर किसानों और ग्रामीणों की भड़ास के रूप में निकला । एक तो अंचल में बिजली नहीं दी जा रही, ऊपर से किसानों को अनाप शनाप बिजली के बिल थमा कर उन्‍हें जबरदस्‍ती भरने को मजबूर किया जाता है, अन्‍यथा उनके खिलाफ फर्जी मुकदमे और पुलिस प्रकरण कायम कर उन्‍हें जेलों में ठूंस कर उनके घरबार, खेत खलिहानों, पशुओं और सामान की कुर्की करा ली जाती है । जिससे चम्‍बल के किसान काफी समय से भरे बैठे हैं, अम्‍बाह, जौरा और पोरसा जैसी घटनाओं के बाद एक गंभीर घटना के रूप में आज की घटना का परिदृश्‍य उभर कर सामने आया है । अम्‍बाह पोरसा काण्‍ड में जनता और पुलिस के बीच हुये संघर्ष व संग्राम का एक छोटा सा सीन इस घटनाक्रम में नजर आया जिसमें पुलिस, बिजली कर्मी और जनता फिर एक बार आमने सामने आ गयी । जनता फिर यहॉं भारी पड़ी और फिर एक बार भाजपा सरकार के ही राज में (अम्‍बाह पोरसा काण्‍ड भी भाजपा शासन काल के इसी सत्र में हुआ था) जनता और सरकार के बीच तगड़ा संग्राम हुआ, और जनता ने सरकार को न केवल बंधक बना लिया अपितु खदेड़ खदेड़ कर घसीट घसीट कर पीटा  

बिजली विभाग और पुलिस का कहना है कि वे ग्राम महाराज पुर में बिजली चोरी पकड़ने गये थे (उल्‍लेखनीय है कि चम्‍बल के गांवों में बिजली है ही नहीं , गांव वालों ने बिजली का प्रायवेट तार खींच कर एक जुगाड़ बना कर अन्‍यत्र से बिजली ले रखी थी जिस पर पूरे पूरे दिन और पूरी पूरी रात कटौती चल रही थी, मजे की बात यह भी है कि स्‍थानीय उद्योगों और कारखानों में करोड़ों की बिजली चोरी खुद बिजली वाले ही कराते हैं, महाशय उन्‍हें कभी पकड़ने नहीं जाते, इनसे एवज में हर माह दो करोड़ रूपये रिश्‍वत वसूली जाती है, तर्क है कि सौ पचास या ढाई सौ रूपये के मजबूर गरीब किसानों को चोर बनाने और जेल में ठूंसने गये थे)

मुतल्लिक सरकारी सूत्रान इन्‍हें देख ग्रामीण और किसान भड़क कर इन पर टूट पड़े और सबको बंधक बना कर धुन पीट दिया । बाद में मौके पर मुरैना कलेक्‍टर श्री रामकिंकर गुप्‍ता और पुलिस अधीक्षक मुरैना संतोष सिंह (ये अधिकारी जनता की बिजली समस्‍या पर कभी नहीं चेतते न पहुँचते न जनता की हिमायत और शिकायत दूर करते हैं) पहुंचे, इसके बाद भारी संख्‍या में अतिरिक्‍त पुलिस बल बुलाया गया और बंधक बनाये अधिकारीयों को छुड़ाया, इसके बाद ग्राम पंचायत महाराजपुर और उसके सभी संलग्‍न गांवों की बिजली सप्‍लाई तथा कनेक्‍शन पूर्णत: काट दी गयी ।

असल हकीकत क्‍या हुआ था वहॉं

असल घटनाक्रम और प्रत्‍यक्ष घटनादर्शीयों के बयान सरकारी बयान से मेल नहीं खाते,

असल घटनाक्रम और बकौल जनता-

बिजली कर्मियों और पुलिस की पिटाई से खुश था सारा शहर महाराजपुर के घटनाक्रम की खबर शहर में जंगल की आग की तरह फैल गयी, जिसके भी मुँह से निकला, सिर्फ वाह बहुत अच्‍छा हुआ निकला, लगभग सौ प्रतिशत ने सिफ यही कहा कि इन सालों में तो रोज ही ऐसे ही पड़नी चाहिये, सालों ने जीना हराम कर दिया है । चौतरफा जनता में प्रसन्‍नता की लहर थी । किसी एकमात्र ने भी नहीं कहा कि यह गलत हुआ ।

महाराजपुर में है सारे शहर की बिजली सप्‍लाई का मुख्‍य सब स्‍टेशन

महाराजपुर में सारे मुरैना शहर की बिजली सप्‍लाई का बृहद सबस्‍टेशन है मुरैना शहर और आसपास की ग्राम पंचायतों की बिजली सप्‍लाई तथा बिजली कटौती यहीं से नियंत्रित होती है, यहॉं पदस्‍थ अधिकार कर्मचारी मनमर्जी मनमानी बिजली कटौती अपने स्‍तर पर करते रहते हैं ।

आज का घटनाक्रम-

भारी बिजली कटौती से नाक तक भरे बैठे, ग्रामीणों की प्रायवेट तार लाइनों को बिजली वाले काट कर ले गये जिसकी खबर अंचल में फैलते ही जनता आक्रोशित हो गयी जनता ने मौके पर विरोध किया जिस पर पुलिस ने किसानों और ग्रामीणों पर लाठीचार्ज कर दिया । जिसमें कई लोग बुरी तरह घायल हो गये, कुछ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया ।

धीरे धीरे भारी संख्‍या में ग्रामीण जनता एकत्रित हो गयी, महिलायें औंर बच्‍चे भी निकल कर मैदान में आ गये । जम कर पथराव हुआ, दोनो ओर से लठ्ठ चले, भारी संख्‍या में किसान और ग्रामीण, उनकी महिलायें तथा बच्‍चे घायल हो गये तथा कई गंभीर अवस्‍था में पहुंच गये । बाद में पहुँची भारी संख्‍या के पुलिस बल ने जम कर महिलाओं, बच्‍चों किसानों और ग्रामीणों पर लाठीयां भांजीं ।

दोनो ओर से चले इस युद्ध के बाद घटनाक्रम में पिट कुट कर गंभीर रूप से घायल जे.ई. फेरन सिंह तोमर को मरणासन्‍न व अचेत हालत में अस्‍पताल में भर्ती किया गया ।

ग्रामीण किसानों और महिला बच्‍चों के खिलाफ पुलिस कार्यवाही करने और जेलों में ठूंसने की प्रशासन ने धमकी दी है । घायल ग्रामीणों की फरियाद सुनने और चिकित्‍सापर्यादि से प्रशासन व पुलिस ने सर्वथा मना कर दिया है ।

समूची चम्‍बल की बिजली की काटी

इस घटनाक्रम से खिसियाये झल्‍लाये बिजली कर्मियों ने समची चम्‍बल की बिजली आज दिन भर के लिये काट दी जिससे मुरैना व भिण्‍ड शहर सहित समस्‍त गॉंवों में आज दिन भर बिजली बन्‍द रही ।

देर रात दस बजे (समाचार लिखे जाने के वक्‍त यह बिजली कटौती जारी थी )  

बिजली कर्मी घर छोड़ छोड़ कर भागे, अधिकारी परिवार सहित चम्‍पत हुये

महाराजपुर के घटनाक्रम की खबर सुनकर मुरैना शहर में रहने वाले बिजली कर्मी अपने घर छोड़ छोड़ कर भाग गये, उन्‍हें लगा कि शहर में इससे अधिक खतरनाक आक्रोश व्‍याप्‍त है और यहॉं हालत और भी बुरी हो सकती है । बिजली घर के सभी बड़े अधिकारी भी पिटाई के डर से शहर मुरैना से अपने परिवारों सहित भाग खड़े हुये, एस.ई. ए.ई. डी.ई. आज सभी मय परिवार चम्‍पत थे ।

 

सरकार ने बन्‍द कराये फोन, मोबाइल और इण्‍टरनेट

चम्‍बल में मचे कोहराम तथा जनता और सरकार के बीच हुये खुलेआम संघर्ष की खबरों को नियंत्रित करने व मीडिया डीलिंग के लिये दोपहर 12 बजे से समूची चम्‍बल में प्रशासन ने फोन, मोबाइल और इण्‍टरनेट सेवायें ब्‍लॉक करवा दीं ।

स्थिति इतनी अधिक बदतर रही कि वायरलेस इण्‍टरनेट सेवायें भी चम्‍बल घाटी में दूसरे दिन सुबह पॉंच बजे तक ठप्‍प रहीं । इस बीच प्रशासन पत्रकारों को अपने फेवर में खबर लिखने के लिये साम दाम दण्‍ड भेद के जरिये साधता रहा ।

लगभग हर कम्‍पनी चाहे एयरटेल हो चाहे सरकारी क्षेत्र की बी.एस.एन.एल. सभी कम्‍पनीयों की समूची सेवायें 4 सितम्‍बर दोपहर बजे से 5 सितम्‍बर सुबह 5 बजे तक बन्‍द रहीं । एयरटेल ने जहॉं सेवायें बन्‍द करने के लिये डिस्‍कनेक्‍शन और सिग्‍नल जाम का सहारा लिया, उसका कस्‍टमर केयर सेण्‍टर इस दरम्‍यान पूरी तरह बन्‍द रहा । वहीं बी.एस.एन.एल. 3पी डिस्‍कनेक्‍शन और सिगनल जाम रखे । बी.एस.एन.एल. का कस्‍टमर केयर भी इस दरम्‍यान पूरी तरह ठप्‍प रहा । यही हालत आइडिया तथा अन्‍य कम्‍पनियों की सेवाओं की रही । देर रात तक प्रशासन मीडिया को सैटल करने में लगा रहा ।  

भाजपा के इसी सरकार के ही कार्यकाल में प्रशासन की यह अंचल में तीसरी बार मोबाइल, फोन और इण्‍टरनेट बन्‍द कराने की कवायद थी । इससे पहले अम्‍बाह पोरसा काण्‍ड और जगजीवन परिहार मुठभेड़ काण्‍ड के वक्‍त भी अंचल में प्रशासन ने फोन, मोबाइल और इण्‍टरनेट सेवायें बन्‍द करवा दीं थीं ।

 

इण्‍टरनेट चालू होते ही फिर काटी बिजली

सुबह पॉंच बजे जैसे ही 5 सितम्‍बर को इण्‍टरनेट चालू हुआ वैसे ही प्रशासन ने अंचल की बिजली फिर काट दी जो कि फिर लौट कर ही नहीं आयी ।        

 

एयरटेल की मोबाइल सेवायें पूरी तरह ठप्‍प,30 घण्‍टे से ठप्‍प पड़ा है एयरटेल नेटवर्क , कस्‍टमर केयर बन्‍द


एयरटेल की मोबाइल सेवायें पूरी तरह ठप्‍प,30 घण्‍टे से ठप्‍प पड़ा है एयरटेल नेटवर्क , कस्‍टमर केयर बन्‍द

मुरैना 5 सितम्‍बर 08, कल 4 सितम्‍बर दोपहर 12 बजे से आज 5 सितम्‍बर को शाम 5बजे तक एयरटेल की मोबाइल सेवायें पूरी तरह चम्‍बल घाटी में ठप्‍प हो गयीं हैं ।

एयरटेल उपभोक्‍ताओं ने बताया कि एयरटेल के नेटवर्क सिग्‍नल्‍स पूरी तरह गायब हो गये हैं । और कस्‍टमर केयर नंबर भी कल से नहीं लग रहा है । एयरटेल के किसी भी शिकायती नंबर पर अन्‍य किसी नेटवर्क से फोन करने पर भी अटैण्‍ड नहीं किये जा रहे हैं ।

कल सदोपहर 12 बजे से अर्थात 30 घण्‍टे से ठप्‍प पड़ा एयरटेल नेटवर्क खबर लिखे जाने तक चालू नहीं हो सका था ।

कई उपभोक्‍ताओं ने अपनी शिकायतें भारत सरकार के संचार मंत्रालय तथा ट्राई को इस सम्‍बन्‍ध में भेजीं हैं ।

चम्‍बल में किसानों की बगावत, बिजली कटौती से गुस्‍साये किसानों ने बिजली कर्मियों और पुलिस को धुना, बिजली घर का जे.ई. मरणासन्‍न हालत में अस्‍पताल में भर्ती


चम्‍बल में किसानों की बगावत, बिजली कटौती से गुस्‍साये किसानों ने बिजली कर्मियों और पुलिस को धुना, बिजली घर का जे.ई. मरणासन्‍न हालत में अस्‍पताल में भर्ती

घटना के बाद समूची चम्‍बल की बिजली दिन भर के लिये काटी, किसानों के गॉंवों की बिजली सप्‍लाई स्‍थायी रूप से बन्‍द की

मामला मुख्‍यमंत्री के नजदीकी बिरादरी वालों का, गंभीर हो सकते हैं अंजाम

मुरैना महाराजपुर में जनता और सरकार के बीच हुयी जंग में एक खास पहलू यह भी है कि सम्‍पूर्ण महाराजपुर और उसके आसपास के गॉंव किरार जाति समुदाय के हैं । घटनाक्रम में जो लोग मुल्जिम बनाये गये हैं या जिनसे पुलिस, प्रशासन व बिजलीकर्मियों का युद्ध हुआ है वे सभी किरार हैं । और इस क्षेत्र के सारे किरार शिवराज सिंह के अंधे समर्थक एवं शिवराज सिंह से शक्ति प्राप्‍त हैं । इस क्षेत्र के किरार धन बल, जनबल एवं बाहुबल में काफी समृद्ध एवं शक्तिशाली हैं । मुख्‍यमंत्री से सीधे जुड़े होने तथा मुख्‍यमंत्री का समर्थन व संरक्षण होने से दु:साहस इन किरारों में स्‍वत: ही आ गया है । ये लोग मुख्‍यमंत्री को किरारों का गौरव और नक्षत्र बताकर सम्‍मानित एवं अभिनन्दित भी कर चुके हैं ।

मुरैना 4 सितम्‍बर आज प्रात: चम्‍बल में मुरैना शहर के नजदीकी गॉंव महाराजपुर के किसानों और बिजली घर कर्मियों तथा पुलिस के बीच जम कर दंगा और उपद्रव हुआ जिसमें सारे ग्रामीण और किसान पुलिस और बिजली कर्मियों पर टूट पड़े, और पुलिस तथा बिजली वालों की जम कर धुनाई पिटाई कर डाली जिसके दौरान बिजली घर का जे.ई. फेरन सिंह तोमर मारपीट से मरणासन्‍न हो कर अचेत हो गया, गंभीर अवस्‍था में उसे अस्‍पताल में भर्ती कराया गया है ।

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार चम्‍बल में चल रही भारी बिजली कटौती से अंचल की जनता में भारी आक्रोश व रोष व्‍याप्‍त है जिसका आज तेज असर किसानों और ग्रामीणों की भड़ास के रूप में निकला । एक तो अंचल में बिजली नहीं दी जा रही, ऊपर से किसानों को अनाप शनाप बिजली के बिल थमा कर उन्‍हें जबरदस्‍ती भरने को मजबूर किया जाता है, अन्‍यथा उनके खिलाफ फर्जी मुकदमे और पुलिस प्रकरण कायम कर उन्‍हें जेलों में ठूंस कर उनके घरबार, खेत खलिहानों, पशुओं और सामान की कुर्की करा ली जाती है । जिससे चम्‍बल के किसान काफी समय से भरे बैठे हैं, अम्‍बाह, जौरा और पोरसा जैसी घटनाओं के बाद एक गंभीर घटना के रूप में आज की घटना का परिदृश्‍य उभर कर सामने आया है । अम्‍बाह पोरसा काण्‍ड में जनता और पुलिस के बीच हुये संघर्ष व संग्राम का एक छोटा सा सीन इस घटनाक्रम में नजर आया जिसमें पुलिस, बिजली कर्मी और जनता फिर एक बार आमने सामने आ गयी । जनता फिर यहॉं भारी पड़ी और फिर एक बार भाजपा सरकार के ही राज में (अम्‍बाह पोरसा काण्‍ड भी भाजपा शासन काल के इसी सत्र में हुआ था) जनता और सरकार के बीच तगड़ा संग्राम हुआ, और जनता ने सरकार को न केवल बंधक बना लिया अपितु खदेड़ खदेड़ कर घसीट घसीट कर पीटा

बिजली विभाग और पुलिस का कहना है कि वे ग्राम महाराज पुर में बिजली चोरी पकड़ने गये थे (उल्‍लेखनीय है कि चम्‍बल के गांवों में बिजली है ही नहीं , गांव वालों ने बिजली का प्रायवेट तार खींच कर एक जुगाड़ बना कर अन्‍यत्र से बिजली ले रखी थी जिस पर पूरे पूरे दिन और पूरी पूरी रात कटौती चल रही थी, मजे की बात यह भी है कि स्‍थानीय उद्योगों और कारखानों में करोड़ों की बिजली चोरी खुद बिजली वाले ही कराते हैं, महाशय उन्‍हें कभी पकड़ने नहीं जाते, इनसे एवज में हर माह दो करोड़ रूपये रिश्‍वत वसूली जाती है, तर्क है कि सौ पचास या ढाई सौ रूपये के मजबूर गरीब किसानों को चोर बनाने और जेल में ठूंसने गये थे)

मुतल्लिक सरकारी सूत्रान इन्‍हें देख ग्रामीण और किसान भड़क कर इन पर टूट पड़े और सबको बंधक बना कर धुन पीट दिया । बाद में मौके पर मुरैना कलेक्‍टर श्री रामकिंकर गुप्‍ता और पुलिस अधीक्षक मुरैना संतोष सिंह (ये अधिकारी जनता की बिजली समस्‍या पर कभी नहीं चेतते न पहुँचते न जनता की हिमायत और शिकायत दूर करते हैं) पहुंचे, इसके बाद भारी संख्‍या में अतिरिक्‍त पुलिस बल बुलाया गया और बंधक बनाये अधिकारीयों को छुड़ाया, इसके बाद ग्राम पंचायत महाराजपुर और उसके सभी संलग्‍न गांवों की बिजली सप्‍लाई तथा कनेक्‍शन पूर्णत: काट दी गयी ।

असल हकीकत क्‍या हुआ था वहॉं

असल घटनाक्रम और प्रत्‍यक्ष घटनादर्शीयों के बयान सरकारी बयान से मेल नहीं खाते,

असल घटनाक्रम और बकौल जनता-

बिजली कर्मियों और पुलिस की पिटाई से खुश था सारा शहर महाराजपुर के घटनाक्रम की खबर शहर में जंगल की आग की तरह फैल गयी, जिसके भी मुँह से निकला, सिर्फ वाह बहुत अच्‍छा हुआ निकला, लगभग सौ प्रतिशत ने सिफ यही कहा कि इन सालों में तो रोज ही ऐसे ही पड़नी चाहिये, सालों ने जीना हराम कर दिया है । चौतरफा जनता में प्रसन्‍नता की लहर थी । किसी एकमात्र ने भी नहीं कहा कि यह गलत हुआ ।

महाराजपुर में है सारे शहर की बिजली सप्‍लाई का मुख्‍य सब स्‍टेशन

महाराजपुर में सारे मुरैना शहर की बिजली सप्‍लाई का बृहद सबस्‍टेशन है मुरैना शहर और आसपास की ग्राम पंचायतों की बिजली सप्‍लाई तथा बिजली कटौती यहीं से नियंत्रित होती है, यहॉं पदस्‍थ अधिकार कर्मचारी मनमर्जी मनमानी बिजली कटौती अपने स्‍तर पर करते रहते हैं ।

आज का घटनाक्रम-

भारी बिजली कटौती से नाक तक भरे बैठे, ग्रामीणों की प्रायवेट तार लाइनों को बिजली वाले काट कर ले गये जिसकी खबर अंचल में फैलते ही जनता आक्रोशित हो गयी जनता ने मौके पर विरोध किया जिस पर पुलिस ने किसानों और ग्रामीणों पर लाठीचार्ज कर दिया । जिसमें कई लोग बुरी तरह घायल हो गये, कुछ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया ।

धीरे धीरे भारी संख्‍या में ग्रामीण जनता एकत्रित हो गयी, महिलायें औंर बच्‍चे भी निकल कर मैदान में आ गये । जम कर पथराव हुआ, दोनो ओर से लठ्ठ चले, भारी संख्‍या में किसान और ग्रामीण, उनकी महिलायें तथा बच्‍चे घायल हो गये तथा कई गंभीर अवस्‍था में पहुंच गये । बाद में पहुँची भारी संख्‍या के पुलिस बल ने जम कर महिलाओं, बच्‍चों किसानों और ग्रामीणों पर लाठीयां भांजीं ।

दोनो ओर से चले इस युद्ध के बाद घटनाक्रम में पिट कुट कर गंभीर रूप से घायल जे.ई. फेरन सिंह तोमर को मरणासन्‍न व अचेत हालत में अस्‍पताल में भर्ती किया गया ।

ग्रामीण किसानों और महिला बच्‍चों के खिलाफ पुलिस कार्यवाही करने और जेलों में ठूंसने की प्रशासन ने धमकी दी है । घायल ग्रामीणों की फरियाद सुनने और चिकित्‍सापर्यादि से प्रशासन व पुलिस ने सर्वथा मना कर दिया है ।

समूची चम्‍बल की बिजली की काटी

इस घटनाक्रम से खिसियाये झल्‍लाये बिजली कर्मियों ने समची चम्‍बल की बिजली आज दिन भर के लिये काट दी जिससे मुरैना व भिण्‍ड शहर सहित समस्‍त गॉंवों में आज दिन भर बिजली बन्‍द रही ।

देर रात दस बजे (समाचार लिखे जाने के वक्‍त यह बिजली कटौती जारी थी )

बिजली कर्मी घर छोड़ छोड़ कर भागे, अधिकारी परिवार सहित चम्‍पत हुये

महाराजपुर के घटनाक्रम की खबर सुनकर मुरैना शहर में रहने वाले बिजली कर्मी अपने घर छोड़ छोड़ कर भाग गये, उन्‍हें लगा कि शहर में इससे अधिक खतरनाक आक्रोश व्‍याप्‍त है और यहॉं हालत और भी बुरी हो सकती है । बिजली घर के सभी बड़े अधिकारी भी पिटाई के डर से शहर मुरैना से अपने परिवारों सहित भाग खड़े हुये, एस.ई. ए.ई. डी.ई. आज सभी मय परिवार चम्‍पत थे ।

सरकार ने बन्‍द कराये फोन, मोबाइल और इण्‍टरनेट

चम्‍बल में मचे कोहराम तथा जनता और सरकार के बीच हुये खुलेआम संघर्ष की खबरों को नियंत्रित करने व मीडिया डीलिंग के लिये दोपहर 12 बजे से समूची चम्‍बल में प्रशासन ने फोन, मोबाइल और इण्‍टरनेट सेवायें ब्‍लॉक करवा दीं ।

स्थिति इतनी अधिक बदतर रही कि वायरलेस इण्‍टरनेट सेवायें भी चम्‍बल घाटी में दूसरे दिन सुबह पॉंच बजे तक ठप्‍प रहीं । इस बीच प्रशासन पत्रकारों को अपने फेवर में खबर लिखने के लिये साम दाम दण्‍ड भेद के जरिये साधता रहा ।

लगभग हर कम्‍पनी चाहे एयरटेल हो चाहे सरकारी क्षेत्र की बी.एस.एन.एल. सभी कम्‍पनीयों की समूची सेवायें 4 सितम्‍बर दोपहर बजे से 5 सितम्‍बर सुबह 5 बजे तक बन्‍द रहीं । एयरटेल ने जहॉं सेवायें बन्‍द करने के लिये डिस्‍कनेक्‍शन और सिग्‍नल जाम का सहारा लिया, उसका कस्‍टमर केयर सेण्‍टर इस दरम्‍यान पूरी तरह बन्‍द रहा । वहीं बी.एस.एन.एल. 3पी डिस्‍कनेक्‍शन और सिगनल जाम रखे । बी.एस.एन.एल. का कस्‍टमर केयर भी इस दरम्‍यान पूरी तरह ठप्‍प रहा । यही हालत आइडिया तथा अन्‍य कम्‍पनियों की सेवाओं की रही । देर रात तक प्रशासन मीडिया को सैटल करने में लगा रहा ।

भाजपा के इसी सरकार के ही कार्यकाल में प्रशासन की यह अंचल में तीसरी बार मोबाइल, फोन और इण्‍टरनेट बन्‍द कराने की कवायद थी । इससे पहले अम्‍बाह पोरसा काण्‍ड और जगजीवन परिहार मुठभेड़ काण्‍ड के वक्‍त भी अंचल में प्रशासन ने फोन, मोबाइल और इण्‍टरनेट सेवायें बन्‍द करवा दीं थीं ।

इण्‍टरनेट चालू होते ही फिर काटी बिजली

सुबह पॉंच बजे जैसे ही 5 सितम्‍बर को इण्‍टरनेट चालू हुआ वैसे ही प्रशासन ने अंचल की बिजली फिर काट दी जो कि फिर लौट कर ही नहीं आयी ।

बुधवार गणेश चतुर्थी पर भी नहीं रही बिजली


बुधवार गणेश चतुर्थी पर भी नहीं रही बिजली

मुरैना 4 सितम्‍बर 08 । हिन्‍दूओं के प्रथम आराध्‍य भगवान श्री जी अर्थात श्री गणेश की स्‍थपना व प्रतिष्‍ठा भी चम्‍बलवासीयो को बिन बिजली के ही करनी पड़ी । बुधवार को दिन भर गायब रहने के बाद शाम को स्थिति इतनी बदतर थी कि लोगों को भगवान गणेश की पूजा आरती भी अंधेरे में श्री गणेश के दीपक के सहारे ही करनी पड़ी ।

प्रथम आराध हिन्‍दून कें विनती है कर जोरि

विनती है कर जोरि, कष्‍ट सुनहु प्रभु मोरि ।

हिन्‍दूवादी दे रहे हिन्‍दून कष्‍ट अनेक

ऐन चौथ गणेश की बिजली ना अभिषेक ।

बिजली ना अभिषेक प्रभु श्री जी हैं आये

कहत प्रभु श्री राज शिव्‍बू मति पाप हैं छाये ।

दे रह्यो कष्‍ट अनेक, असुर बन सत्‍ता में आयो

प्रभु तुम ही रखियो लाज सिन्‍दूरासुर सो धरियो ।

बिन पूजा औ आरती कैसो भयो कलेश

कैसो तेरो आगमन, पूजेंहिं तोहि गणेश ।

पाप छा गयो असुर पर मारी मति करतार

लाज राखियो गणपति, कर देओ बंटाढार ।

गुण्‍डा लुंगा पहनकें भगवा रंग तुम्‍हार

सौ सौ चूहा खाय कें बिल्‍ली हजहि हजार ।

बिल्‍ली हजहि हजार, हिन्‍दून पे संकट भारो

कीजो प्रभु संकट हरण, नकली हिन्‍दून ते म्‍हारो ।

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