35 घण्‍टे के दरम्‍यां 73 बार कटी बिजली, कटौती का एक नया स्‍टाइल


35 घण्‍टे के दरम्‍यां 73 बार कटी बिजली, कटौती का एक नया स्‍टाइल

टीप इस समाचार के प्रकाशन होते होते के बीच में तीन बार गुल हुयी बिजली (यह वक्‍त इस समाचार में शामिल नहीं किया गया है, आगामी समाचार में अंकित किया जायेगा)  

मुरैना 31 मई 2008, समाचार लिखे जाने के वक्‍त से 35 घण्‍टे पहले से बिजली कटौती की एक नयी शैली अजीबोगरीब अंदाज में बिजली कम्‍पनी ने लागू की है जिसमें एक बार में केवल 10 मिनिट के लिये बिजली काटी जाती है मगर एक घण्‍टे के दरम्‍यां कितनी बार बिजली कटती है, इसका हिसाब आप लगाईये ।

वैसे हाईस्‍कूल इण्‍टर के बच्‍चों के लिये गणित के पाठयक्रम में यह मजेदार सवाल रखा जायेगा तो वाकई उनका गणित बहुत तेज हो जायेगा ।

हिसाब आप लगाईये यानि सवाल आप हल करिये आंकड़े हम देते हैं हमने वक्‍तवार रिकार्डिंग की है । और मुरैना शहर में की जा रही बिजली कटौती के नये व अजीबो गरीब अंदाज से आपको वाकिफ करा रहे हैं । जिसे आप नानस्‍टाप भी नहीं कह सकते और फुल स्‍टाप भी नहीं । आप इसे कामर्शियल ब्रेक जरूर दूरदर्शन वालों की शैली में कह सकते हैं । इसमें रात और दिन दोनों वक्‍त चल रही बिजली कटौती शामिल है ।

शुक्रवार 30 मई 2008 को सुबह 7 बजे से यह नयी शैली लागू होकर शनिवार 31 मई 2008 को शाम 6 बजे तक यह बिजली कटौती रिकार्डिंग की गयी यानि 35 घण्‍टे के दरम्‍यां 73 दफा बिजली कटी, और हर बार केवल 10 मिनिट के लिये बिजली गयी ।

बिजली कटौती जारी है, हमारी रिकार्डिंग भी जारी है ।  

 

मुरैना में बिजली कटौती के चलते शराबीयों ने सब्‍जी मण्‍डी फूंकी

मुरैना 27 मई 2008, आज मंगलवार को बिजली कटौती के चलते अज्ञात कारणों से कुछ उपद्रवी शराबीयों ने मुरैना की सब्‍जी मण्‍डी में आग लगा दी । इस अग्निकाण्‍ड से महज आधा घण्‍टे के अन्‍दर मुरैना की बीच शहर में स्थित सब्‍जी मण्‍डी पूरी तरह जल कर राख हो गयी ।

सूत्रों से प्राप्‍त घटना क्रम के अनुसार रात 9 बज कर बीस मिनिट पर जब शहर की बिजली कटौती के चलते गुल थी उस वक्‍त कुछ शराबीयों ने मुरैना की सब्‍जी मण्‍डी को आग के हवाले कर दिया, और महज आधा घण्‍टे में मण्‍डी जल कर राख के ढेर में तब्‍दील हो गयी । हमारे संवाददाताओं द्वारा ि‍लये गये घटनास्‍थल के चित्र व वीडियों में जहॉं सारी सब्जियां जल भुन गयीं और कोयले में तब्‍दील हो गयीं वहीं फल भी इसी प्रकार जल कर कोयला हो गये ।

चित्र व वीडियो खींचे जाने के वक्‍त तक सब्‍जी मण्‍डी में चारों ओर कोहराम मचा हुआ था और सब्‍जी विक्रेता दहाड़ें मार मार कर रो रहे थे । ग्‍वालियर टाइम्‍स के संवाददाताओं से रिरिया रिरिया कर व घिघिया धिघिया कर उनके दुख को ऊपर तक पहुँचाने के लिये मिन्‍नतें कर रहे थे । वहॉं जो भी राजनेता या पत्रकार पहुच रहा था, सब्‍जी विक्रेता उसी के सामने हाथ जोड़ कर पॉंव पकड़ कर घिघियाने लगते थे ।

उल्‍लेखनीय है कि मुरैना सब्‍जी मण्‍डी में इस अग्निकाण्‍ड से लगभग दस लाख रू की मोटी क्षति हुयी है ।

बिजली कटौती का चम्‍बल में कहर लम्‍बे समय से जारी है, जिसके चलते इन दिनों बीच शहर में 16-17 घण्‍टे की बिजली कटौती की जा रही है, रात्रि के वक्‍त की जाने वाली बिजली कटौती से अपराधी तत्‍व आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं, पिछले चन्‍द रोज के भीतर कई आपराधिक वारदातें बिजली कटौती के दरम्‍यान ही हुयीं । उसी श्रंखला में बिजली कटौती ने एक और उपलब्धि अपने खाते में जोड़ लीं ।

मुरैना शहर के बीचोंबीच स्थित सबजी मण्‍डी के चौकीदार सनी राइन निवासी डॉ. उवेश वाली गली मुरैना के अनुसार घटना रात 9 बज कर 20 मिनिट पर घटी और आधा घण्‍टे के भीतर पूरी सब्‍जी मण्‍डी जल कर स्‍वाहा हो गयी ।

घटनाकाण्‍ड के दरम्‍यान चौकीदार ने न तो पुलिस को इत्‍तला दी और न फायर ब्रिगेड को, उसके मुताबिक वह इस दरम्‍यान सब्‍जी विक्रेताओं को ही फोन लगाता रहा और तब तक मण्‍डी जल कर कोयले में बदल गयी । चोकीदार की भूमिका मामले में कुछ संदिग्‍ध नजर आ रही है ।

वहीं स्‍थानीय निवासीयों जो कि सब्‍जी मण्‍डी के आस पास के घरों में रहते हैं, उन्‍होंने स्‍थानीय राजनेता, सांसद विधायकों मंत्री पर खुला आरोप लगाया है उनके मुताबिक यह आग जानबूझ कर इन लोगों द्वारा लगवाई गयी है जिससे आने वाले चुनाव में राहत के बहाने सहानुभूति बटोरी जा सके । स्‍थानीय मंत्री रूस्‍तम सिंह से लोग अधिक खफा हैं ।

रोते कल्‍पते सब्‍जी विक्रेताओं में हमने बर्बाद हो चुके सब्‍जी विक्रेताओं राखी शिवहरे पुत्री बनवारी शिवहरे, अशोक पुत्र मूलचन्‍द, ओमप्रकाश पुत्र भरोसी लाल, सलीम पुत्र सुबराती, इस्‍माइल पुत्र इस्‍लाम, फरीद पुत्र कल्‍लू, रमजान पुत्र छोटे खॉं, हसीना पत्‍नी सुलेमान, सुशीला पत्‍नी कीरतराम से चर्चा की सबके सब बिजली कटौती औंर स्‍थानीय विधायक, सांसद और मंत्री को कोस कोस कर बद्दुआयें दे रहे थे ।         

सत्‍यमेव जयते


लगातार झूठ बोलने से सत्‍य मिथ्‍या नहीं होता, सत्‍य के धुंधले होने का केवल आभास होता है अंत में सत्‍य ही विजयी होता है संकलित

महिलाओं पर कुदृष्टि न डालें


अनुज वधु, भगिनी सुत नारी, सुनु सठ कन्‍या सम ए चारी ।

इन्‍हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई, ताहि बधे कछु पाप न होई।।

छोटे भाई की पत्‍नी, बहिन, पुत्र वधु, पराई स्‍त्री ये चारों कन्‍या पुत्री के समान हैं, इन पर कुदृष्टि डालने वाले का वध करने से पाप नहीं लगता किष्किन्‍धा काण्‍ड, रामचरित मानस, तुलसीदास  

सोच समझ कर थूकिये, थूक बड़ा अनमोल, लघुशंका भी कीजिये सोच समझ और तोल


सोच समझ कर थूकिये, थूक बड़ा अनमोल, लघुशंका भी कीजिये सोच समझ और तोल
नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनन्‍द’’
अभी आजकल ताजा खबर चल रही है , ग्‍वालियर नगर निगम ने थुक्‍का फजीहत बन्‍द कराने के लिये, थूकना प्रतिबन्धित कराने की जुगाड़ खोज ली है खबर कुछ इस प्रकार है –
थूकने के सौ रूपये, लघुशंका के ढाई सौ, दीर्घ शंका पॉच सौ में हो सकेगी
ग्वालियर दिनांक 21 मई 2008 – नागरिकों को सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाने के लिये अब नगर निगम ग्वालियर द्वारा विभिन्न प्रकार के अर्थदण्ड निर्धारित कर दिये गये हैं । अब नागरिक सार्वजनिक स्थान पर थूकने पर 100/-, पेशाब करने पर 250/-, शौच करने पर 500/-, पशु को आवारा छोड़ने पर 1000/- तथा सार्वजनिक स्थानों पर रासायनिक अपशिष्ट डालने पर 1000/- रू., सार्वजनिक स्थानों पर हानिकारक द्रव्य बहाने 1000/- रू. तथा गंदगी फैलाने पर 2500/- से दण्0श्निडत हों सकेंगे।
निगमायुक्त डॉ. पवन शर्मा द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि म0प्र0 शासन, नगरीय प्रशासन के आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि नगर निगम क्षेत्र में अपशिष्ट प्रबंधन के उल्लंघन हेतु दाण्डिक प्रावधानों का पालन किया जावे, जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर व्यक्ति दुकानदारों, संस्थानों, होटलों, फैक्ट्रीयों, रेस्टोरेंटों पर गंदगी फैलाई जाती है तो उनके खिलाफ म0प्र0 शासन नगरीय प्रशासन नियमों में आरोपित अर्थदण्ड से दण्डित किया जावेगा।
निगमायुक्त द्वारा जारी निर्देश में अपर आयुक्त समस्त उपायुक्त, सहायक आयुक्त, स्वास्थ्य अधिकारी, सहायक प्रभारी स्वास्थ्य एवं कचरा प्रबंधन अधिकारी निगम के चिकित्सा अधिकारी क्षेत्राधिकारियों ए.एस.आई. तथा दरोगा स्तर के अधिकारियों को क्षेत्रांतर्गत नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों, संस्थाओं, घरों, दुकानों, फैक्ट्रीयों के मालिकों जिनके द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी प्रदूषण उत्तेजक ठोस तथा द्रव्य पदार्थ कचरे के रूप में डाले जायेंगे। अधिसूचित क्षेत्रों को छोड़कर उनके विरूद्व उपरोक्तानुसार अर्थदण्ड लगाने के लिये अधिकृत किये गये हैं । उक्त प्राधिकृत अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रांतर्गत नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्व अर्थदण्ड की कार्यवाही करेंगे तथा जुर्माना राशि की रसीद देंगे। साथ ही जुर्माने से वसूल की राशि 24 घण्टे के अंदर निगम कोष में जमा करावेंगे।

गोया कुछ दिनों से बड़ी थुक्‍का फजीहत चल रही थी, कोई भी कहीं भी आकर थूक जाता था, थूकना ग्‍वालियर के लिये टेंशन हो गया । कोई इस पर थूक रिया है, कोई उस पर थूक रिया है, कोई नेता जी पे थूक रिया है कोई पुलिस पे तो कोई सरकार पे । कोई कोई पठ्ठा तो नगर निगम पे ही डायरेक्‍ट थूक देता था । हुम्‍फ थूक थूक बेहाल कर दिया ग्‍वालियर को ।
ग्‍वालियर वालों की एक और पुरानी आदत है, बड़ी जल्‍दी लपक के ऊंगली छोड़ पहुँचा थाम लेते हैं, सो यह लाजमी था कि बात थूक से भी आगे बढ़ती, बढ़ते देर न लगती । प्राब्‍लम शुरू में ही फिक्‍स हो जाये तो बेहतर रहती है, कहावत है कि रोग बढ़ने से पहले इलाज बेहतर है, थुक्‍का थुक्‍की से आगे मामला जाये इससे पहले ही, सरकार बैठ गये चिन्‍तन, मन्‍थन और मनन में । नगर पालिका अधिनियम छान मारा, सारी धारायें खंगाल डालीं । और आखिर मिल ही गया अलादीन का चिरागी जिन्‍न, कि सार्वजनिक प्‍लेस पर गंदगी करना अपराध ए अधिनियम है । आई.पी.सी. में तो लघुशंका पे से ही मामला बनता है लेकिन नगरपालिका अधिनियम ने थूकने पर से ही मामला बनाने की राह सुझा दी । अफसरों की जान में जान आयी । गोया पॉंत में जात मिल गयी ।
थूका, मूता, या …..वगैरह वगैरह तो बेटा निबट जाओगे । अब अगर ग्‍वालियर में कहीं थूकना है तो बेटा जेब में सौ का एक नोट कड़कड़ाता हुआ डाल कर चलना । और मूतना है तो ढाई सौ के पत्‍ते कड़कड़ाते हुये जेब में होने चाहिये । वरना निहाल हो जाओगे ।
अगर आप सौ के कई नोट जेब में रख कर चलेंगे तो ग्‍वालियर में कई बार थूक सकेगे, आपकी जेब के नोटों की संख्‍या के अनुसार जम कर मूत भी सकेगे । यानि जेब में नोट हैं तो ग्‍वालियर में जम कर थूको और मूतो, वरना पतली गली से निकल लो ।
देश भर के थुकेरों और मुतेरों को ग्‍वालियर बुला रहा है, पैसा लाओ, थूको और मूतो ।
मेरे वकील मित्रों को यह खबर बड़ी बढि़या लगी, उनकी खुपडि़या घूमी बोले गुरू ये मामला जनहित में आ सकता है, मैं बोला कैसे, वे बोले कि अरे भईया ग्‍वालियर जाकर खांसी वाले, टी.बी. वाले इलाज कराते हैं, और थूकना उनके संग चलता है अब क्‍या उनको थूकदान संग ले जाना पड़ेगा या सार्वजनिक प्‍लेस पे अपने निजी थूकदान या पीकदान या मूतदान में कोई विसर्जन नहीं कर सकेगा, आदेश स्‍पष्‍ट नहीं है ।
मैंने कहा नहीं यार ये तो थुक्‍का थुक्‍की कर थुक्‍का फजीहत वालों के लिये आदेश है । जनरल पब्लिक के लिये नहीं है । लेकिन अब भई वकील तो वकील हैं, हर जगह कील ठोकना उनका पेशा है, लगी तो कील न लगी तो अपील, वकील साहब बोले कि गुरू, बात कुछ जँची नहीं, इस आदेश के मुतल्लिक तो सार्वजनिक प्‍लेस पर सब कुछ मना है, यानि सार्वजनिक मूत्रालय और सार्वजनिक शौचालय भी इसमें वर्जित प्‍लेस हो जाते हैं ।
मेरी खुपडि़या वकील साहब चेंट चेंट कर चाट गये, मुझे तो कोई समाधान नहीं सूझा, फिलहाल मुझे कोई टेंशन भी नहीं है, हमारे मुरैना में तो सब फ्री है, चाहे जहॉं चाहे जिस पर चाहे जितना थूको, नो टेंशन, चाहे जिधर बैठकर, खड़े होकर, चाहे जिस दिशा में निवृत्‍त हो लो नो टेंशन, थुक्‍कमथुक्‍क, दिशा मैदान, लघुशंका यहॉं सारे आइटम फ्री हैं, चाहे जिसके दरवाजे पर कर आओ । डायरेक्‍ट नगरपालिका पे भी कर दो, नो टेंशन । हमारे यहॉं तो फुल डेमोक्रेसी है भईया, ग्‍वालियर वाले ग्‍वालियर की जाने, नो टेंशन ।

दौलत पद और सत्‍ता मिलने और खोने पर क्‍या होता है


दौलत की दो लात हैं, तुलसी निश्‍चय कीन ।

आवत में अंधा करें, जावत करे अधीन ।।

दौलत, संपत्ति और पद जब मिलते हैं, तो मनुष्‍य अंधा हो जाता है, और जब ये छिनते हैं तो मनुष्‍य पागल हो जाता है यानि उसका दास गुलाम होकर पगलाया फिरता है तुलसीदास

प्रश्‍न : क्‍या मैं प्रधानमंत्री जी को इण्‍टरनेट से शिकायत भेज सकती हूँ – रमा बांदिल, सदर बाजार मुरैना


प्रश्‍न : क्‍या मैं प्रधानमंत्री जी को इण्‍टरनेट से शिकायत भेज सकती हूँ रमा बांदिल, सदर बाजार मुरैना

उत्‍तर : जी हॉं बिल्‍कुल आप प्रधानमंत्री जी को ऑनलाइन शिकायत कर सकतीं हैं आपको शिकायत का क्रमांक और उस पर की गयी कार्यवाही की जानकारी भी नियमित रूप से मिलती है । इसके लिये आप हमारी ई सेवाओं का प्रयोग कर सकतीं हैं, वर्तमान में यह सेवायें पूर्णत: निशुल्‍क हैं ।

प्रश्‍न : क्‍या इण्‍टरनेट के जरिये खरीददारी करना सुरक्षित है – अविनाश शर्मा, ललितपुर कालोनी, लश्‍कर, ग्‍वालियर म.प्र.


प्रश्‍न : क्‍या इण्‍टरनेट के जरिये खरीददारी करना सुरक्षित है अविनाश शर्मा, ललितपुर कालोनी, लश्‍कर, ग्‍वालियर म.प्र.

उत्‍तर : इण्‍टरनेट के जरिये खरीददारी अभी सिर्फ एक हद तक ही सुरक्षित है, इसमें अधिकांशत: क्रेडिटकार्ड या डेबिटकार्ड के जरिये भुगतान मांगा जाता है । भारतवासी इन कार्डो की प्रणाली से अभी अधिक सुपरिचित यानि फेमिलियर नहीं है । लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि इण्‍टरनेट की खरीददारी इससे असुरक्षित है । केवल कुछ सवाधानीयां बरतीं जायें तो इसमें कोई खतरा नहीं है । आप जिस वेबसाइट को खोल कर उसके जरिये खरीददारी करते हैं, वह स्‍थानीय हो या सुपरिचित व सुप्रतिष्ठित हो, फर्जी वेबसाइट अक्‍सर ई मेल स्‍पामिंग या फिशिंग ई मेलों के जरिये अड़ी चालाकी से सुझाई जातीं हैं और किसी न किसी प्रकार का आकर्षक लोभ लालच देकर उसे खलवाने का प्रयास किया जाता है फिर उस पर कुछ भुगतान करने या अपना यूजर नेम पासवर्ड भरने की अपेक्षा की जाती है, इस प्रकार आपका आडेण्‍टीफिकेशन या यूजर नेम पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड से सॅम्‍बन्धित जानकारी इन जाली वेबसाइटों के जरिये चुरा ली जाती है और फिर आपके साथ ठगी व जालसाजी के जरिये आपको चूना लगाया जाता है । बेहतर है कि आप वेबसाइट को ई मेल में क्लिक करके या एड्रेस कापी कर के न खोलें, इसी प्रकार सर्च एन्जिन के जरिये साइट खोल कर खरीददारी न करें इसमें असल वेबसाइट के मिलते जुलते नाम या वेब पते जैसी फर्जी वेबसाइट खुलने के अवसर अधिक होते हैं । भविष्‍य में कभी हम बतायेंगे कि असल वेबसाइट और फर्जी वेबसाइटें कैसे पहचानी जा सकतीं हैं । बेहतर है कि आप अभी स्‍थानीय वेबसाइटों और स्‍थानीय सुपरिचित शापिंग माल या ई सेवाओं का ही प्रयोग करें, और बैंकड्राफ्ट या मनी आर्डर भुगतान करें । वर्ष 2009 तक आपके आसपास सैकड़ों की संख्‍या में ई शापिंग सेण्‍टर्स नजर आयेंगे ।

 

क्‍या होता है एफ.एम., ये एफ.एम. क्‍या बला है – राकेश सिंह धाकरे, सुभाष नगर, हजीरा ग्‍वालियर


प्रश्‍न : क्‍या होता है एफ.एम., ये एफ.एम. क्‍या बला है राकेश सिंह धाकरे, सुभाष नगर, हजीरा ग्‍वालियर

उत्‍तर: रेडियो तंरंगों को अभी तक दो पारम्‍परिक तरीकों से सूदूर सम्‍प्रेषित किया जाता है, पिछले कुछ साल तक सर्वाधिक लोकप्रिय तरीका था ए.एम. अर्थात एम्‍प्‍लीट्यूड मॉडयूलेशन के जरिये, इसमें तरंगों के आयाम का मॉडयूलेशन किया जाता है जिसे ए.एम. या एम्‍पलीटयूड मॉडयूलेशन कहते हैं । इस विधि से पारम्‍परिक रेडियो प्रसारण भारत में होता है, दूरदर्शन के देश भर में फैलने से पहले भारत में रेडियो ही एक ऐसा मीडिया था जो गॉंवो और जंगलों तक पहुँचता था इसमें यही एम्‍पलीटयूड मॉडयूलेशन इस्‍तेमाल किया जाता था/ है । इसकी विशेषता यह है कि इस प्रकार के मॉडयूलेशन में तरंगों का प्रसारण काफी दूर तक किया जा सकता है, जैसे बी.बी.सी. या रेडियो सीलोन, या विविधि भारती आदि करते थे, रेडियो पर बिनाका गीत माला जिसका कि प्रसारण काफी दूर से होने के बावजूद समूचे देश के गॉंवों जंगलों में सुना जाता था । इस विधि में कमी यह है कि इसमें नॉइज अर्थात शोरगुल एवं सिग्‍नल्‍स फ्लक्‍चुएशन्‍स अधिक रहते हैं और कभी कभी साफ सुनायी नहीं देता ।

रेडियो तरंगों के प्रसारण की दूसरी विधि भी हालांकि काफी पुरानी है परन्‍तु पिछले कुछ वर्षों से इसका अधिक प्रयोग किया जा रहा है, इसे एफ.एम. या फ्रिक्‍वेन्‍सी मॉडयूलेशन कहते हैं, इसमें तरंगों की आवृत्ति का माडयूलेशन किया जाता है और फिर इसे सम्‍प्रेषित करते हैं इस प्रक्रिया में नॉइज और सिग्‍नल्‍स फ्लक्‍चुएशन्‍स नहीं होते और मॉडयूलेशन के वक्‍त की गुणवत्‍ता रिसीवर को डिमॉडयूलेशन के बाद यथावत प्राप्‍त होती है । और रिसीवर सेट पर न तो शोरगुल आता है न सिग्‍नल्‍स फ्लक्‍चुएशन्‍स । इसका उपयोग वर्तमान में टी.वी. प्रसारण, एफ.एम.रेडियो, वायरलेस सेटों आदि में किया जाता है । इस विधि के सम्‍प्रेषण में कमी यह है कि इसे अधिक दूर तक सम्‍प्रेषित नहीं किया जा सकता अत: इसमें जगह जगह पुन:सम्‍प्रेषण केन्‍द्र यानि रिले सेण्‍टर्स या डिश रिसीवर्स लगा कर पुन: सम्‍प्रेषण करना पड़ता है । अत: यह विधि खर्चीली और मंहगी पड़ती है । यही एफ.एम. या फ्रिक्‍वेन्‍सी मॉडयूलेशन है ।

खतरनाक हैं चापलूस सलाहकार


मंत्री, गुरू, और वैद्य जो प्रिय बोलहिं भय आस ।

राज, धर्म, तन जीन करि होय बेग हि नास ।।

मंत्री (सलाहकार-परामर्श दाता), गुरू, और वैद्य (चिकित्‍सक) जब भयवश अर्थात आशंकित व आतंकित होकर प्रिय लगने वाला असत्‍य बोलने लगते हैं (चापलूसी करने लगते हैं) तो ऐसे राजा का राज्‍य, धर्म और शरीर तीनों ही तत्‍काल नष्‍ट हो जाते हैं

चम्‍बल की मशहूर और अच्‍छी चीजें कौनसी हैं – अमरजीत सिंह, लुधियाना पंजाब, वर्तमान में कनाडा


प्रश्‍न- चम्‍बल की मशहूर और अच्‍छी चीजें कौनसी हैं अमरजीत सिंह, लुधियाना पंजाब, वर्तमान में कनाडा

उत्‍तर- बड़ा मुश्किल सवाल है अमरजीत भाई, वैसे तो यहॉं का सब कुछ मशहूर है, लेकिन अगर टॉप टेन जानना चाहते हैं तो भारतीय सेना में यहॉं के फौजी, शहीद रामप्रसाद विस्मिल, तिली की गजक, देशी घी, सरसों और सरसों का तेल, चम्‍बल का बदला, चम्‍बल की गद्दारी, खुद चम्‍बल घाटी, चम्‍बल के डकैत और अपहरण, और दसवें नंबर पर हमें गिन लीजिये । अच्‍छी चीजें वैसे तो स्‍वाभिमान, देशभक्ति और न्‍यायप्रियता हैं, लेकिन चम्‍बल में मुझे जो सबसे अच्‍छा लगता है वह है यहॉं के गॉंव और खेत, यहॉं के भेले भाले और सीधे सच्‍चे लोग, मुझे फख्र है यह मेरी मातृभूमि और अब मेरी कर्मभूमि है ।    

   

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