राजपूतों की हुंकार में गरजा चम्बल का शेर , दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर का वंशज नरेन्द्र सिंह तोमर


दशहरा महोत्सव – हजारों हजार (करीब सवा लाख) राजपूतों का सम्मेलन – तंवरावाटी , सरूण्ड ग्राम – राजस्थान ओलम्प‍िक में निशानेबाजी के स्वर्ण पदक विजेता ( मंचासीन – वर्तमान मंत्री – भारत सरकार) जयपुर सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर, जोधपुर विश्व विद्यालय के कुलपति एल.एस. राठौर, जोधपुर विश्व विद्यालय के स्पोर्टस डीन एल.एस. शक्तावत, पाटन दरबार राजा साहब राव दिग्व‍िजय सिंह तोमर, राजकुमार रूद्रावत सिंह तोमर , कर्नल वीरेन्द्र सिंह तंवर , कुंअर जय सिंह तोमर (मंडोली- गॉंव का नाम मंडोली है , जयपुर में जय सिंह मंडोली के नाम से ही मशहूर हस्ती हैं, ) तथा अन्य राजपूत राजा महाराजा , सम्मेलन में शामिल अन्य सभी हजारों हजार राजपूत सरदार एवं इंडियन आर्मी के अनेक कर्नल एवं लेफ्टी. कर्नल गण नीचे सम्मेलन की सभा में आसन ग्रहण किये हुये हैं )Sarund

महाभारत सम्राट दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर की दिल्ली से चम्बल में ऐसाहगढ़ी तक की यात्रा और ग्वालियर में तोमर साम्राज्य


महाभारत सम्राट दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर की दिल्ली से चम्बल में ऐसाहगढ़ी तक की यात्रा और ग्वालियर में तोमर साम्राज्य
पांडवों की तीन भारी ऐतिहासिक भूलें और बदल गया समूचे महाभारत का इतिहास
भारत नाम किसी भूखंड या देश का नहीं , एक राजकुल का है, जानिये क्यों कहते हैं तोमरों को भारत
नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनंद’’ ( एडवोकेट )
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चम्बलघाटी सनातन धर्म के प्रचंड व तेजस्वी महाभारत सम्राट और समस्त विश्व भूमंडल के अंतिम चक्रवर्ती सम्राट पांडव अर्जुन के वंशज दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर की दिल्ली का राज सिंहासन त्यागने के बाद अगली राजधानी और अंतिम पड़ाव और दिल्ली सलतनत का अगला अध्याय, सनातन धर्म की बुनियाद और रक्षा का अंतिम निशान ।
धर्म को लेकर अक्सर विवाद पैदा होता है, लोग अनेक संप्रदाय और पंथों को धर्म कह कर पुकारते हैं, मगर धर्म असल में क्या है और धर्म की असल परिभाषा क्या है , यह सब जानने के लिये हमें भारत के असल इतिहास की ओर अपना ध्यान और स्मृति को काफी पीछे तक खींचना होगा । हमें सनातन धर्म के शास्त्रों में वर्णिचत सतयुग , त्रेता युग, द्वापर युग और कलयुग तक भारत के समूचे इतिहास पर न केवल विहंगम सिंहावलोकन व दृष्टिसपात करना होगा , बल्किव बहुत गहराई से भारत के असली इतिहास को जानना व समझना होगा । हमें अपने शास्त्रों व ग्रंथों की ओर ही मुख मोड़ना होगा । तभी हम भारत को महाभारत को और उसके असल इतिहास को जान पायेंगें ।
भारत का इतिहास न केवल पूरा का पूरा समूचा बदल दिया गया है बल्ि क उसका बहुत लंबा चौड़ा फर्जीकरण कर कभी पैसों व धन के बल पर तो कभी चाटुकारों , चापलूसों से जिन्हें भांड़ या भाट या चारण कहा पुकारा जाता है , दुर्भाग्यवश वही नकली फर्जी इतिहास उन फर्जी मनगढ़ंत व काल्पनिक राजाओं के चारण भाटों और धन पाकर इतिहास लिखने वालों ने कूटरचित एवं विद्रूपित काल्पनिक इतिहास रच डाला है, यह भी दुखद है कि भारत के स्कूलों से लेकर महाविद्यालयीन और विश्वविद्यालयीन छात्रों को वही फर्जी व कूटरचित नकली इतिहास पढ़ाया जाता है ।
भारत में सतयुग , त्रेता, द्वापर और कलयुग के करीब चार हजार साल तक भारत का इतिहास एकदम सही व सटीक मिलता है , जोभी भारत के इतिहास में गड़बड़ी होती है वह विगत करीब एक हजार वर्ष से मिलती है ।
सत्ता लोलुप ख्वाहिशमंदों ने भारत के इतिहास की असल कूटरचना सोलहवीं सदी के बाद की । राजपूत राजा महाराजाओं के तमाम दास और सेवक तथा अनुचर किसी भी राजा महाराजा के न रहने या उनके अभाव में स्वयं को पहले मुगलों का गुलाम , फिर अंग्रेजों का गुलाम कह कर उनकी दासता व गुलामी कर करें श्री व संपत्तिज एकत्र कर दबे चुपके पहले स्वयं को राजा और फिर महाराजा बताने कहने लगे ।
असल राजवंश और असल राजपूत राजा अपे गॉंवों , खेतों किसानी जैसे कामों में व्यस्त बने रहे , उधर देश में दासों अनुचरों से एक नई राजा महाराज की फसल उग गई, चाटुकारों ने भी उनका नाम राजा या महाराज रख दिया । लिहाजा वे राजा ये महाराजा बन गये ।
कलयुग में भारत के इतिहास को तीन भागों में बांटा जाना अपरिहार्य व समुचित है ।
प्रथम भाग भारत के इतिहास का महाभारत सम्राट दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर के दिल्ली के शासनकाल तक , दूसरा भाग प्थ्वीराज सिंह चौहान , मोहम्मद गौरी से लेकर मुगल शासनकाल तक का, और तीसरा भाग गुलाम भारत के दासों, अनुचरों के गुलाम और राजा बनने का । चौथे भाग की बात यदि की जाये कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का , तो वस्तुत: यदि आज के परिवेश में देखें तो न तो भारत ऐसा कभी गुलाम हुआ और न भारत कभी ऐसा आजाद हुआ । यदि भारत गुलाम था तो आज तक जस का तस गुलाम है, और यदि भारत अंग्रेजों या मुगलों के दौर में आजाद था तो भी आज तक जस का तस आजाद है । यह प्रश्न लाजिम है कि क्या मुगल शासन काल में भारत में स्वतंत्रता संग्राम या आजादी की लड़ाई किसी ने नहीं लड़ी ।
क्रमश: अगले अंक में जारी …….

चाहे राज्यपाल के हस्ताक्षर हों या न हों, मुरैना नगर निगम का चुनाव हर हाल में मई तक ही इसी साल ही होगा


चाहे राज्यपाल के हस्ताक्षर हों या न हों, मुरैना नगर निगम का चुनाव हर हाल में मई तक ही इसी साल ही होगा
संवैधानिक मजबूरी में बंधे हैं हाथ राज्य सरकार के , नियुक्त प्रशासक का राज्य संविधान की सीमा के दायरे में बंधा है
नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनंद’’ ( एडवोकेट )
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अपनी मनमर्जी और स्वेच्छाचारिता से काम कर रही म.प्र. की भाजपा सरकार भी अपनी मनमर्जी से मुरैना नगर निगम के चुनाव को संविधान में अनुच्छेद 243 में निर्धारित अवधि‍ के भीतर ही हर हाल में किसी भी ग्रामीण या शहरी निकाय का निर्वाचन कराने के लिये बाध्य है ।
कम से कम भारत का संविधान यही कहता है । बहरहाल मुरैना नगर निगम का चुनाव ज्यादा समय तक टाल पाना म. प्र. की शि‍वराज सरकार के लिये नामुमकिन और असंभव है ।
राज्यपाल यदि मुरैना नगर पालिका के सीमा परिवर्तन या नये क्षेत्र परिसीमन के जरिये नगर पालिका को नगर निगम में तब्दील करने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं भी करेंगें तो भी हर हाल में मुरैना नगरीय निकाय का चुनाव हर हाल में मई तक संपन्न करा लेना संविधान के तहत सरकार की मजबूरी ही नहीं बल्किि , बेहद जरूरी है ।
अपनी सुविधा के अनुसार नगरपालिका के और नगर निगमों के क्षेत्रों में वृद्धि या घटोत्तरी का खतरनाक षडयंत्री खेल खेल रही म.प्र. की भाजपा सरकार भी संविधान के अनुच्छेद 243 एवं इसमें 1992 के संविधान के 73 वें और 74 वें संशोधन के तारतम्य में 73 वें संशोधन की भाग- 9 में उल्लेखि‍त 16 अनुच्छेद, , ग्यारहवीं अनुसूची के 29 विषय और 74 वें संशोधन की भाग 9- ( क) के 18 अनुच्छेद , बारहवीं अनुसूची के 18 विषयों में बंधी हुई है । और संविधान के यह दोनों ही संशोधन भारत देश में 24 मार्च 1993 से प्रवृत्त हैं ।
मुरैना नगर निगम और मुरैना नगर पालिका मामले में संविधान के मुताबिक ‘’ संक्रमण क्षेत्र’’ एक विषय है और ‘’लघुत्तर नगरीय क्षेत्र से ‘’बृहत्तर नगरीय क्षेत्र ‘’ में तब्दीली दूसरा विषय है , या यूं कहिये कि विवाद या झगड़े की विषय वस्तु है ।
इसके बावजूद भी कलेक्टर मुरैना द्वारा म.प्र. के राज्यपाल को मुरैना नगर पालिका में संव्याप्त या आव्याप्त संक्रमण क्षेत्र को परिसीमित कर नया परिसीमन गठन कर यदि नगर निगम में बदले जाने के प्रस्ताव या नगरपालिका मुरैना द्वारा पारित संकल्प या प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किये जाते हैं या मुजूरी नहीं भी दी जाती है तो भी हर हाल में चालू या लागू पुराने नगरीय निकाय क्षेत्र के आधार पर ही अर्थात नगर निगम नहीं बल्किा नगर पालिका मुरैना के रूप में चुनाव कराने होंगें और यह म. प्र. की , भारत के संविधान की सबसे बड़ी विडम्बना व तौहीन होगी । (पिछली नगर पालिका के प्रथम अधि‍वेशन दिनांक से , उसके 5 साल पूरा होने के भीतर या उसके महज 6 माह पहले तक या 6 माह बाद के भीतर किसी नगरीय निकाय का चुनाव कराना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है )Morena Nagar Nigam

14 मार्च से ग्रहों की फिर बदलीं चाल, फिर होगा खेल शुरू उठापटक और बदलावों के दौर का, अधि‍क मास में गुरू बदलेंगें राशि‍


14 मार्च से ग्रहों की फिर बदली चाल, फिर होगा खेल शुरू उठापटक और बदलावों के दौर का, अधि‍क मास में गुरू बदलेंगें राशि‍
नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनंद’’
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ग्रहों की उठापटक और चालों का बदलाव निरंतर जारी है , इस बार भी 13 मार्च के बाद ग्रह फिर से अपनी चालों में बदलाव करने जा रहे हैं , जिसमें व्यापक असर डालने वाले और बड़े ग्रहों , गुरू व शनि की चालों में बदलाव प्रधान है तथा ज्योतिषीय दृष्टिग से भी काफी महत्वपूर्ण व असरकारक है । इसके साथ ही इसी साल गुरू राशि‍ भी बदलेंगें तो वहीं अगले साल जनवरी महीने में राहू व केतु भी राशि‍ परिवर्तन करेंगें । शनि का राशि‍ चक्र भ्रमण अभी वृश्चिैक राशि‍ में ही निरंतर वक्री कभी तो मार्गी कभी की गति के साथ बना रहेगा ।
पहली चाल शनि बदलेंगें और 14 मार्च 2015 से वृश्चि क राशि‍ में रहते हुये ही वक्री हो जायेंगें, शनि इस वक्त वृश्चिरक राशि‍ में 10 अंश 51 कला ( 10 डिग्री 51 मिनिट) पर होंगें । इसका सीधा सा तात्पर्य यह है कि अभी शनि किशोर अवस्था में आकर होश में आये ही हैं और अपना असर दिखाना व फेंकना शुरू कर ही पाये हैं कि 14 मार्च से पुन: वक्री गति पकड़ लेंगें और वापस उल्टे चलने लगेंगें , और विशेष बात यह है कि शनि की यह वक्री गति अर्थात उल्टी चाल 2 अगस्त सन 2015 तक जारी रहेगी , और उस समय शनि 4 अंश 12 कला तक वापसी करेंगें , कुल मिलाकर लंबी वापसी का दौर शनि तय करेंगें , इस दरम्यान अपनी वक्री गति में या उल्टी वापसी चाल में न्यायप्रिय एवं धर्म, दान दक्षिाणा प्रिय शनि यह देखते हैं कि जिस जिस को वे कुछ दे दे कर आये , या छीन छीन कर ले गये , उन्होंनें उस वक्त का या समय का , या दी हुयी चीजों को पाकर या छीनी हुई चीजों को खोकर क्या किया व उनका आचरण , चरित्र व व्यवहार आदि कैसा रहा , फिर तदनुसार ही वे मनुष्य को उल्टी चाल में या वक्री गति में उसका प्रतिफल देते हैं और लेते हैं , शनि मार्गी गति में लिये दिये का परीक्षण व प्रतिफल अपनी वक्री गति में करते हैं एवं तदनुसार या तो दिया हुआ वापस छीन लेते हैं , या छीना हुआ वापस दे देते हैं , या सम्यक तदनुसार दंड देने , सम्मान, पुरूस्कार या अपमान आदि देने का व्यवहार व उपाय करते हैं ।
ग्रहों में दूसरी बड़ी चाल में गुरू के दो प्रकार के परिवर्तन इस वर्ष नजर आयेंगें , वर्तमान में गुरू वक्री चल रहे हैं अर्थात उल्टी चाल विगत 8 दिसम्बर 2014 से चल रहे हैं , उस समय गुरू 28 अंश 30 कला पर ( लगभग मृतप्राय: हो चुके और राशि‍ बदलने के नजदीक ही ) वक्री हो गये थे , अतिचारी चाल से चलते हुये गुरू पुन: होली और चैत्र नवरात्रि के बाद वैशाख के महीने में 8 अप्रेल 2015 से पुन: मार्गी होंगें । इस गुरू बेहद प्रचंड स्वरूप में वक्री हैं, और 8 अप्रेल 2015 को यह करीब 18 अंश 32 कला की प्रचंड स्थि ति से मार्गी होंगें , और आगे बढ़ेगें , किंतु गुरू इस समय बेहद अतिचारी चाल से चल रहे हैं अत: मार्गी गति में इसी चाल से चलते हुये दिनांक 14 जुलाई 2015 को अधि‍क मास आषाढ़ के दूसरे महीने में राशि‍ बदल देंगें , और कर्क राशि‍ का चक्र पूर्ण कर सिंह राशि‍ में प्रवेश कर जायेंगें । उल्लेखनीय व स्मरणीय है कि इस वर्ष दो आषाढ़ के महीने रहेंगें , जिन्हें अधि‍क मास या मल मास या पुरूषोत्तम मास कहा जाता है , इस समय धर्म, दान पुण्य अधि‍क करने का विधान है । इन ग्रहों की चालों च राशि‍ परिवर्तन के साथ ही सबका सब कुछ बदल जायेगा । सबके दिन दशाओं में हेरा फेरी हो जायेगी ।

फेसबुक हो या व्हाटसएप्प, आप चाहें तो इसका बेहतरीन उपयोग भी कर सकते हैं-2


फेसबुक हो या व्हाटसएप्प, आप चाहें तो इसका बेहतरीन उपयोग भी कर सकते हैं
नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनंद’’
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गतांक से आगे ( भाग- 2 ) यह बात बाद में बतायेंगें कि फेसबुक पर या अन्य सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को या किसी विशेष बात को वायरल कैसे किया जाता है और कैसे फैलाया जाता है ।
पहले इनके कुछ सदुपयोंगों के सम्बन्ध में चर्चा की जाये । तो सबसे पहले यह मानना या समझ लेना आवश्यक है कि सोशल नेटवर्किंग मीडिया की सबसे बड़ी खासियत है इसका ‘’इन्टरेक्टि‍व मोड’’ में होना और इसी वजह से इसे सोशल नेटवर्किग का सबसे प्रभावी और सशक्त माध्यम कहा पुकारा और माना गया ।
इसी इंटरेक्टिकव मोड के कारण यह तुरंत ही एक ऐसी 24 घंटे चलने वाली उस वीडियो कान्फ्रेन्स की तरह आमुख सामुख माध्यम बन जाता है जहॉं , अपनी बात कहने वाला या अपनी चीज दिखाने और बताने वाला एक दूसरे के आमने सामने न रहते हुये भी एकदम समक्ष रहते हैं , और परस्पर चर्चा व वाद प्रतिवाद एवं पंचायत आदि भी कर सकते हैं । इसलिये इसे पूरी दुनिया को एक लघु ग्राम इकाई में बदल कर ‘’ वसुधैव कुटुम्बकम’’ भारत बना देने वाला सशक्त, सक्षम व सापेक्ष माध्यम कहा जाना सर्वोपयुक्त होगा ।
कुछ समय पहले तक यही मानना या समझना बहुत अधि‍क उपयुक्त एवं उचित था , लेकिन इस दशक के आरम्भ से ही सोशल नेटवर्किंग मीडिया की इस प्रभावी भूमिका और बृहद उपयोग को देखते हुये इसमें अनेक उपयोगी फीचर्स जोड़ कर इसे बहुत अधि‍क कारगर एवं उपयोगी बनाया गया । इसमें ऑनलाइन वीडियो चैटिंग जैसा फीचर आने के बाद यह एकदम सदा 24 घंटा मौजूद रहने वाला वीडियो कान्फ्रेन्स या साथ रहने वाला सापेक्ष व्यक्तिि माना गया और इसके बाद तो इसमें अनेक फीचर्स जुड़ते चले गये और यह दिनोंदिन उपयोगी दर उपयोगी होता चला गया ।
सोशल मडिया के कुछ बेहतरीन सदुपयोग
आप केवल अपनी सहेली से अचार डालने की ही पूरी विधि‍ या किसी ज्योतिषी से अपनी जन्म कुण्डली पर ही या किसी तीसरी की बुराई कर कर के निन्दारस में या किसी की शादी विवाह या पिकनिक सैरसपाटे की चर्चा पर ही केवल डिस्कस मत करिये फेसबुक या व्हाटसएप्प के माध्यम से, इससे आगे जाईये और अपने जीवन के बाहरी एवं अन्य सामाजिक क्षेत्रों में भी इसका बहुत बृहद उपयोग है वह करिये ।
व्यवसाय, रोजगार एवं व्यापार – आप सोशल मीडिया में उन व्यक्तिोयों से या संस्थाओं या औद्योगिक संस्थानों आदि जुड़ सकते हैं जहॉं आपकी जरूरत उन्हें है और आपको उनकी जरूरत है लेकिन अब तक पता ही नहीं चल पा रहा था कि आपकी जरूरत कहॉं है और किसको आपकी जरूरत है ।
राजनीति – यदि आप राजनीति से जुड़ना चाहते हैं या राजनीति में हैं तो आप अपनी पार्टी का चयन या राजनीतिक नेटवर्क का चयन सोशल मीडिया पर बहुतेरे राजनीतिक दलों की उपस्थिटति में से किसी को भी अपनी रूचि पसंद एवं विचारधारा के अनुरूप चुन सकते हैं , आप उच्च स्तरीय राजनेताओं से इंटरेक्ट यानि सीधा समक्ष आमुख सामुख संवाद कर सकते हैं । तदनुसार अपनी योग्यता व क्षमता प्रदर्श प्रतिभा सक्रि यता के अनुसार सही जगह , सही पद आदि पा सकते हैं , आप अपनी बात उच्च स्तर पर सीधे ही पहुँचा सकते हैं ।
व्यवधानमुक्त / दलाल मुक्त / भ्रष्टाचार मुक्त शासकीय कार्य एवं प्रशासन सुविधा – आप सीधे ही सोशल मीडिया के माध्यम से सरकारी कार्यालयों , पुलिस , कानून, वकील, सरकारी अफसर कर्मचारी आदि से जुड़ सकते हैं , सीधे ही अपना आवेदन संबंधि‍त कार्यालय को प्रस्तुत कर सकते हैं , जन शि‍कायत निवारण प्रणाली के लिये भी यह एक बेहतरीन माध्यम है, वहीं इस माध्यम के जरिये त्वरित व शीघ्र कार्य संपादन , पारदर्शििता , भ्रष्टाचार मुक्ति दलाल आदि से मुक्तिह प्राप्त होकर कार्य विलंब की समाप्ति एवं किसी भी समय उपलब्धता सुनिश्चि त होती है ।
क्रमश: अगले अंक में जारी …….

फेसबुक हो या व्हाटसएप्प, आप चाहें तो इसका बेहतरीन उपयोग भी कर सकते हैं-1


फेसबुक हो या व्हाटसएप्प, आप चाहें तो इसका बेहतरीन उपयोग भी कर सकते हैं
नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनंद’’
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फेसबुक या व्हाटस एप्प दोनों में से कोई भी सोशल नेटवर्किंग का माध्यम हो या दोनों ही किसी व्यक्तिस द्वारा एक साथ प्रयोग किये जा रहे हों । इनका अधि‍कांश लोग अक्सर फालत व बेकार समय पास उपयोग या दुरूपयोग ज्यादा करते हैं । बहुत कम लोग ही हैं जो इन माध्यमों का सदुपयोग या बेहतरीन उपयोग कर पाते हों । या ऐसा उपयोग जानते हों ।
तीन शब्दों पर हमें खासा ध्यान देना पड़ेगा, पहला शग्द है सोशल जिसका अर्थ है सामाजिक , जो कि पूरी तरह से समाज के भीतर रहने व समाज में व्यापक रूप से जुड़े व संबद्ध रहने का परिचायक है ।
दूसरा शब्द है नेटवर्क या नेटवर्किंग , हिन्दी में कहें तो बहु व्यापक जाल या संजाल फैलाना और हर स्तर तक व हर कोने तक पहुँचना ।
तीसरा शब्द है मीडिया जिसका अर्थ है माध्यम , अर्थात एक ऐसा माध्यम जो कि समाज को नेटवर्किंग में बनाये रखने या जोड़े रखने के लिये एक सु माध्यम का कार्य करता है ।
अब यदि इन तीनों शब्दों को मिलाकर पढ़ें तो ‘’ सोशल नेटवर्किंग मीडिया ‘’ का अर्थ है , सारे समाज को नेटवर्क में या त्वरित व सक्रिंय नेटवर्क में बनाये रखने का समुचित व सर्वोत्कृष्ट माध्यम ।
बहुधा हमारा निजी अनुभव रहा है कि अक्सर लोग यहॉं सोशल मीडिया पर आकर सोशल न रहकर या सामाजिक न रहकर , पूरी तरह से असामाजिक हो जाते हैं । समाज के अंदर असामाजिक बर्ताव करने लगते हैं । व्यावहारिक दुनिया में समाज के अंदर एक दूसरे की बात पर या जिसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कहा जाता है , पर की गई छींटाकशी या टीका टिप्पणी अक्सर लोग पीठ पीछे करते हैं और चुगली आदि शब्द उनके लिये प्रयोग किये जाते हैं ।
लेकिन सोशल मीडिया पर आप किसी की भी पोस्ट पर कमेण्ट या छींटाकशी , टीका टिप्पणी आदि करते हैं तो वह पीठ पीछे नहीं प्रत्याक्ष होती है , बात कहने वाले के सामने भी और बात सुनने वालों के यानि कि सारी दुनिया के सामने भी । ऐसा नहीं कि वहॉं लोग पीठ पीछे बातें या चुगली नहीं करते , अवश्य करते हैं लेकिन केवल प्राइवेट चैटिंग के जरिये या फिर आपस में मोबाइल या अन्य मैसेजिंग के जरिये । इसलिये चुगली या चुगलखोरी सोशल मीडिया पर बहुत कम ही हो पाती है । सोशल नेटवर्क में सारा भारत देश ही नहीं , विश्व व कभी कभी किसी प्रोफाइल विशेष में समूचा विश्व या समाज की जानी मानी ऊँची हस्तिसयां व जिनसे आप कभी मुलाकात तो दूर , दर्शन तक नहीं कर सकते , वे लोग जुड़े रहते हैं , जो नित्य उस बात को या पोस्ट को व उस पर आने वाले कमेण्टों को पढ़ते हैं । इसके साथ ही वे अपने मतलब के लोग व मतलब की सामग्री खुद ही खोज कर उसे फॉलो करते हैं ।
फॉलोअर्स की संख्या ही असल में आपकी पोस्टिंग कैपेबिलिटी और आपकी पढ़ी जाने व पसंद की जाने वाली असल संख्या है । फालोअर्स की यह संख्या फेसबुक के किसी पेज पर तो खरीदी जा सकती है लेकिन व्यक्तिरगत प्रोफाइल पर यह संभव नहीं होती , और हम अपने निजी अनुभव से मानते हैं कि किसी की निजी वाल के फालोअर्स की संख्या ही उसकी असल अनुगामीयों व समर्थकों की संख्या होती है , न कि उसके मित्रों की संख्या या उस पोस्ट पर लाइक किये जानी वाली संख्या । कभी कभी फालोअर्स व अन्य बहुत से लोगों के लिये लाइक करने व कमेण्ट आदि करने पर भी प्रोफाइल यूजर प्रतिबंध या कड़ा प्रतिबंध लगा कर रखता है जिससे अवांछित तत्वों को रोका जा सके ।
अत: आपका प्रत्येक लाइक या कमेण्ट किसी भी पोस्ट को बहुत बेहतरीन व उम्दा बना देता है तो आपका खुद का भी रूतबा और दर्जा उससे बढ़ता है , जब एक अति लोकप्रिय या काफी उन लोगों की नजर में भी बड़ा व बेहतरीन हो , जिन लोगों को आप बड़ा मानते हैं , तो निसंदेह उसमें कुछ तो बात , विशेष बात होगी ही होगी ।
क्रमश: अगले अंक में जारी …….