साइबर क्राइम से बचने के तरीके तथा आपको इंटरनेट या आनलाइन या सोशल मीडिया पर हतोत्साहित करने वालों को , कार्यवाही न करने वाले पुलिस वालों को कैसे जेल भिजवायें


सायबर क्राइम और हेकिंग कैसे पहचानें और क्या कानूनी कार्यवाही करें कि हैकर्स और आनलाइन आपको सोशल मीडिया तथा अन्य जगह हतोत्साहित करने वाले क्रिमिनल्स को सजा दिलाकर जेल भिजवायें
‘ नरेन्द्र सिंह तोमर ” आनंद” एडवोकेट , सायबर क्राइम स्पेशलिस्ट एडवोकेट
बहुत खतरनाक है माइक्रोसाफ्ट का एज क्रोमियम ब्राउजर ….. हेकर्स के लिये बेहद आसान और प्राक्सी वेबसाइट … नकली वेबसाइटों की ओर रीडायरेक्ट करना …. नये एज क्रोमियम वेब ब्राउजर की विशेषता है , सेव्ड पासवर्ड का हैकर्स के लिये आसानी से इस्तेमाल करना तथा मनमाने नकली प्रदर्शन करना आदि नये एज क्रोमियम ब्राउजर की खासियतें हैं , बच कर रहिये , इसे एंटीवायरस भी सिक्यारिटी प्रदान नहीं करता है , इसमें व्हाटस वेब भी नहीं चलता है और इस एज क्रोमियम ब्राउजर को डिनाई कर देता है ,जबकि इसके उलट इंटरनेट एक्सप्लोरर , गूगल क्रोम ब्राउजर सही काम करते हैं , जबकि फायर फॉक्स को एंटीवायरस सिक्योरिटी प्रदान नहीं करता , हालांकि इसमें व्हाटस एप्प वेब सही चलता है …. अत: इंटरनेट इस्तेमाल करते समय या सर्फिंग करते समय ब्राउजर का चयन काफी सोच समझ कर करें और सिस्टम के सेव पासवर्डों को हर 36 र्घंटे पर बदलते रहें , हालांकि मात्र अकेला माइक्रोसाफ्ट अपने ई मेल में हर 72 घंटे पर पासवर्ड बदलने की सुविधा देता है लेकिन अन्य कोई नहीं , लिहाजा आप कोई सा अकाउंट इस्तेमाल करें दो चरणीय सत्यापन अवश्य लागू करें । हैकर इसके बाद अपने आपकी मोबाइल सिम को कनेक्ट करने/ हैक करने का प्रयास करेगा , आप बड़ी आसानी से पकड़ सकेंगें कि हैकर अगल बगल में है या दूर से रिमोट कंट्रोल किया जा रहा है , दूर से कंट्रोल करने वाला मोबाइल सिम कंट्रोल नहीं कर पायेगा और लोकल में ही अगर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनी का एजेंट या मांबाइल सिम बेचने वाले कारिंदे या इंटरनेट सामान रूटर या वायरलेस डिवाइसेज , कैमरे वाइफाइ या वेबकैम बेचने या इस्तेमाल करने वाले किसी के द्वारा गड़बड़ी की जा रही होगी तो आसानी से पकड़ में आ जायेगी , यह गड़बड़ी ट्रांसमिशन टावर से भी की जा रही होगी तो आसानी से पकड़ में लाने के लिये अपने मोबाइल फोन को एक टावर से दूसरे स्थान की ओर ले जाते वक्त स्विच आफ करके ले जाइये , दूसरे तीसरे चौथे टावर लोकेशन पर इसी तरह अलग अलग चेक कर लीजिये , गड़बड़ी वाला टावर आसानी से पकड़ में आ जायेगा , आपको आई टी एक्ट 2000 के संशोधित अधिनियम व सभी संशोधित प्रावधानों का बेहतर ज्ञान किसी अच्छे सायबर क्राइम स्पेशलिस्ट एडवोकेट से पाना चाहिये , उसके उपरांत ललिता कुमारी बनाम बिहार राज्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश और दिशा निर्देशों के अनुसार पुलिस को एफ आई आर देना चाहिये , सबूत इकठ्ठे करना पुलिस का काम है , यदि फॅिर भी पुलिस कार्यवाही न करे तो ललिता कुमारी बनाम बिहार राज्य के अनुसार आप पुलिस को केस देने के 15 दिन गुजरने ( 15 दिन गुजरने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने सन 2019 में जारी किया है ) के बाद कभी भी आप जिला अदालत में धारा 200 का परिवाद लायें और जिला अदालत उसे रिजेक्ट करे या न सुने तो हाईकोर्ट में धारा 482 की पिटीशन लायें हाईकोर्ट एफ आई आर दर्ज करने और विवेचना करने व उसका धारा 173 के तहत रिपोर्ट यानि कि चालान पेश करने का आदेश जारी करेगा । इसमें खास ख्याल रखने वाली बात यह होगी कि आपने खुद ने जो भी जानकारी या साक्ष्य या सबूत इकठ्ठे करें हैं उन्हें बाकायदा किसी तकनीकी स्पेश्लिस्ट या किसी ऐसे एडवोकेट की मदद से जिसने कि बी एस सी गणित से या इंजीनियरिंग करने के बाद एल एल बी की हो , उसकी सहायता से एक डायरी में सारे ब्यौरे कलमबद्ध कर लेने चाहिये , यह न केवल हाईकोर्ट में काम देंगें बल्कि बाद में एफ आई आर के अदालत में मुकदमें में यानि क्रिमिनल केस के रूप में चलने में मुलजिमों को सजा दिलाने में काम आयेंगेंं , क्योंकि इलेक्ट्रानिक एविडेसेज और इलेक्ट्रानिक रिकार्डस कितने भी बार डिलीट करने के बावजूद कभी ख्त्त्म नहीं होते , ये डिलीट हो जाने के बाद भी बड़ी आसानी से रिकवर हो जाते हैं । चूंकि इन मामलों में एफ आई आर दर्ज न करने वाले या इससे जिम्मेवार सभी पुलिस कर्मी भी इस अपराध में मुलजिम बनते हैं और उनकी नौकरी तो जाती ही है , वेतन पेंशन तो जप्त होते ही हैं , जेल भी तुरंत ही जाना पड़ता है , लिहाजा वे आखरी दम तक साक्ष्य सबूत नष्ट करेंगें और आपको अदालतों तक जाने से रोकेंगें ही , क्योंकि उन्हें अपनी हर चीज जाजी और सीधे सीधे सजा और जेल नजर आती है , इसलिये इस प्रकार के मामले में जिला स्तर पर भी और हाई कोर्ट के स्तर पर भी एडवोकेट सही सोचसमझ कर चयन करें , जिसे पुलिस के खिलाफ और सायबर क्राइमों का लड़ने का बेहतरीन ज्ञान और तजुर्बा हो । …….. नरेन्द्र सिंह तोमर ,एडवोकेट , म. प्र. उच्च न्यायालय , खंडपीठ ग्वालियर एवं समस्त अधीनस्थ जिला एवं सत्र न्यायालय ।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि मेघ का किया शुभारम्भ


केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि मेघ का किया शुभारम्भ

नए भारत की डिजिटल कृषि की दिशा में उठाया गया एक कदम है कृषि मेघ : श्री तोमर

प्रविष्टि तिथि: 11 AUG 2020 6:11PM by ग्वालियर टाइम्स एवं चम्बल की आवाज

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज वर्चुअल माध्यम से केवीसी एल्युनेट (कृषि विश्वविद्यालय छात्र एल्युम्नी नेटवर्क) और उच्च कृषि शिक्षण संस्थानों के लिए ऑनलाइन प्रत्यायन प्रणाली (एचईआई) के साथ ही कृषि मेघ (राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा व्यवस्था- क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं) का शुभारम्भ किया।

केन्द्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत सरकार-विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना को कृषि विद्यालयों के विद्यार्थियों को ज्यादा औचित्यपूर्ण और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से देश में राष्ट्रीय कृषि शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए डिजाइन किया गया है, जो देश की नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप है। श्री तोमर ने महत्वपूर्ण अनुसंधान आधारित डाटा डिजिटल रूप में सुरक्षित एवं संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे उस तक देश और दुनिया के किसी भी कोने से पहुंच हासिल की जा सके। उन्होंने कृषि में निजी निवेश को सक्षम बनाने पर भी जोर दिया। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि मेघ नए भारत की डिजिटल कृषि की दिशा में उठाया गया एक कदम है, जिसकी कल्पना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई है।

 

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कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि 2-3 आईसीएआर संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा वाले अनुसंधान केंद्र के रूप में तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने अनुसंधानकर्ताओं को रियल टाइम आधार पर डाटा उपलब्ध कराए जाने पर भी जोर दिया।

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने कृषि मेघ की स्थापना के लिए आईसीएआर की सराहना की, जो आईसीएआर- भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के आईसीएआर डाटा सेंटर को आईसीएआर- राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद के डिजास्टर रिकवरी केन्द्र के साथ एकीकृत करता है। केन्द्रीय मंत्री ने इस पहल को कृषि में एक क्रांति के रूप में संबोधित किया।

सचिव (डेयर) और महानिदेशक (आईसीएआर) डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने 58 विश्वविद्यालयों का उल्लेख किया, जिन्हें आईसीएआर राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी) के अंतर्गत विभिन्न श्रेणियों में सहयोग दिया गया है। महानिदेशक ने लगभग 377 विद्यार्थियों (यूजी, पीजी और पीएचडी) का उल्लेख किया, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण/इंटर्नशिप हासिल की है और उन्हें विभिन्न अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के लगभग 120 संकाय सदस्यों ने प्रशिक्षण दिया है। उन्होंने इंटरनेट तकनीक/ डिजिटलीकरण के अधिकतम उपयोग पर भी जोर दिया। डॉ. महापात्रा ने कृषि मेघ की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डाला, जो छवि विश्लेषण, पशुओं में बीमारी की पहचान आदि के माध्यम से एप्लीकेशन आधारित डीप लर्निंग के विकास और लागू करने के लिए नवीनतम एआई/डीप लर्निंग सॉफ्टवेयर/ टूल किट्स से युक्त हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृषि मेघ किसानों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और नीति निर्माताओं को आईसीएआर संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा डिजिटल माध्यम से कृषि, शोध, शिक्षा एवं विस्तार के संबंध में जारी अद्यतन एवं ताजा जानकारी हासिल करने में सक्षम बनाने के लिए डिजिटल इंडिया में एक नया अध्याय है।

इससे पहले, अपने उद्घाटन भाषण में आईसीएआर के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. आर सी अग्रवाल ने कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य के बारे में बताया। उन्होंने केवीसी एल्युनेट के विकास पर प्रकाश डाला, जो कृषि विश्वविद्यालयों के पूर्व छात्रों के लिए सोशल नेटवर्किंग के विचार का परिणाम है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इससे 74 कृषि विश्वविद्यालयों के सभी पूर्व छात्र एक दूसरे से जुड़ने में सक्षम होंगे और इससे विद्यार्थियों को इंटर्नशिप, नियुक्तियों में सहायता मिलेगी, साथ ही उन्हें पूर्व छात्रों का सहयोग भी हासिल होगा।

विश्व बैंक के टास्क टीम लीडर श्री एडवर्ड विलियम ब्रेसन्यान ने आईसीएआर की पहल को परिवर्तनकारी बताते हुए कहा कि इससे कृषि शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव आएगा। आईसीएआर और उसके संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से भागीदारी की।

कृषि मेघ की प्रमुख विशेषताएं

  1. राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा व्यवस्था (एनएआरईएस) की डिजिटल कृषि की सेवाओं और बुनियादी ढांचा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 2012 के दौरान विकसित वर्तमान डाटा सेंटर (आईसीएआर-डीसी) को क्लाउड कम्प्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ मजबूत बनाया जाएगा।
  2. एनएआरईएस- क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विसेस अपने घटकों आईसीएआर-डीसी और आईसीएआर-कृषि मेघ के साथ ई-ऑफिस, आईसीएआर- ईआरपी, शिक्षा पोर्टल, केवीके पोर्टल और मोबाइल ऐप्स, आईसीएआर संस्थान की वेबसाइट, अकादमी प्रबंधन प्रणाली, एल्युमनी पोर्टल, परास्नातक और स्नातक आदि स्तरों के ई-कोर्सेस जैसे अहम एप्लीकेशन को लागू करने के साथ एनएआरईएस प्रणाली की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मजबूत और गतिशील प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है।
  3. एनएएचईपी के अंतर्गत आईसीएआर डाटा केन्द्र की पहुंच में विस्तार के साथ कृषि विश्वविद्यालय अपनी वेबसाइट और आईटी समाधान चलाने में सक्षम हो जाएंगे।
  4. वर्तमान कोविड-19 महामारी के दौर में आईटी एप्लीकेशंस की 24×7 उपलब्धता के माध्यम से घर से काम करने के साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साथी वैज्ञानिकों के साथ सहयोग संभव हुआ।
  5. आईसीएआर- आईएएसआरआई, नई दिल्ली के आईसीएआर- डाटा सेंटर के साथ जोड़े गए एनएएआरएम हैदराबाद स्थित आईसीएआर- कृषि मेघ का निर्माण भारत में कृषि के क्षेत्र में जोखिम कम करने, गुणवत्ता बढ़ाने, ई-प्रशासन की उपलब्धता और पहुंच, शोध, विस्तार एवं शिक्षा के लिए किया गया है।
  6. एनएएआरएम हैदराबाद को चुना गया है, क्योंकि आईसीएआर-आईएएसआरआई, नई दिल्ली के आईसीएआर- डाटा सेंटर से संबंधित विभिन्न भूकंपीय क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है। हैदराबाद भी इसके लिए उपयुक्त है, क्योंकि निम्न आर्द्रता स्तर जैसी अन्य उपयुक्त पर्यावरण स्थितियों के साथ ही कुशल कार्यबल उपलब्ध हैं। यहां के आर्द्रता स्तर को डाटा सेंटर के पर्यावरण के साथ नियंत्रित किया जा सकता है।
  7. इन नए केन्द्र में छवि विश्लेषण के माध्यम से बीमारी और पेस्ट की पहचान, फलों की परिपक्वता और उनके पकने का पता लगाने, पशुओं आदि में बीमारी की पहचान आदि से जुड़े डीप लर्निंग बेस्ड एप्लीकेशंस के विकास और उपयोग के लिए नवीनतम एआई/ डीप लर्निंग सॉफ्टवेयर/ टूल किट्स मौजूद हैं।

क्यूं इक शेर को शेरनी तेरा इंतज़ार आज तलक है


दूसरी भाषा में कहें तो , जूता सोने का भी हो तो भी पैरों में ही जगह पायेगा और मुकुट भले ही तांबे का हो शीष पर ही धारण किया जायेगा , और शेर यानि सिंह जहां भी बैठेगा वह जगह सिंहासन ही कहलायेगी और बन जायेगी , अब कूकरासन और सियारासन यानि गोहदूआसन का अंदाजा आप खुद लगा लीजिये , सोने की बनी हीरों मोतियों से जड़ी कुर्सी पर अगर सियार या गोहदूआ बैठ जाये तो सिंहासन भी सियार आसन यानि गोहदू आसन बन जाता है और शेर यानि सिंह जमीन पर या पत्थर पर भी बैठ जाये तो वह जगह सिंहासन ही कहलाती है , बस इत्ता सा फर्क है , आदमी आदमी की तासीर और खालिस शख्स होने में, स्वामी दयानन्द सरस्वती ने और कवि बिहारी ने दो राजाओं को यही संदेश दिया था जब वे वैश्याओं के फंदे में फंस कर राजपाट भूल रंगरेलियों में खो गये थे कि शेर के अंकपाश में शेरनी का स्थान तो देखा सुना है मगर पहली दफा कुतिया की गोद में शेर को खेलते देख रहे हैं , बिहारी ने कागज की नाव पर इसका दोहा लिख कर राजा को तालाब के दूसरी ओर वैश्या के साथ लेटे राजा को भेजा तो दयानन्द सरस्वती ने इसे राजा की आरामगाह में घुस कर सीधे ही वैश्या के साथ लताड़ते हुये कहा , दोनों राजाओं की चेतना जागी और माना कि लोहे की अंगूठी में हीरे नहीं जड़े जा सकते और न सोने की अंगूठी में मामूली पत्थर लगाये जाते हैं ( सच्ची ऐतिहासिक घटनायें , स्कूली पाठ्यक्रम में पढ़ाईं जातीं हैं ) सो खुद को पहचानो , जो हो संगत वैसी ही मिलेगी और खिताब भी वही मयस्सर होगा , इसीलिये शेरों के अंकपाश में अपने आप शेरनी ही जगह पाती है और उनकी जनसंख्या बेहद कम होती है जबकि कुत्तों और सियारों की जनसंख्या ज्यादा , तासीर कम और स्थान गलियों मोहल्लों में और दुबक छिप कर जंगलों में रहता है , शेर शेरनी पूरे जंगल के बेताज बादशाह रहते हैं – नरेन्द्र सिंह तोमर ” आनन्द”

अब म.प्र. शासन की पॉाच लोक सेवायें , भारत सरकार के प्रोबोनो एडवोकेट के हवाले


अब म.प्र. शासन की पूरे मध्‍यप्रदेश की पॉंच लोकहितकारी सेवायें भी भारत सरकार के डिजिटल इंडिया को म.प्र. शासन द्वारा साौंपी गईं , ये सेवायें भाारत सरकार के न्‍याय विभाग , विधि एवंन्‍याय मंत्रालय के के तहत प्रोबो एडवोकेट के कार्यालय पर ई लोक सेवा केन्‍द्रों के माध्‍यम से उपलब्‍ध होंगी , हर सेवा की समयावधि निर्धारित है , उतने समय के अंदर यदि किसी को प्रमाणपत्र नहीं प्राप्‍त होता है या सेवा प्राप्‍त नहीं होती है तो सीधा एक्‍शन प्रोबोनो एडवोकेट कार्यालय द्वारा लिया जायेगा और दोषी के विरूद्ध सीधी कार्यवाही कर म.प्र. शासन के प्रमुख सचिव को , नगर निगम आयुक्‍त , जिला कलेक्‍टर , संभागीय कमिश्‍नर तथा , अपने न्‍याय विभाग भारत सरकार को की गई कार्यवाही से अवगत करा दिया जायेगा । जनता अपना आवेदन अब सीधे प्रोबोनो एडवोकेट के ई लोक सेवा केन्‍द्र पर निम्‍न चित्रानुसार प्रस्‍तुत कर सकती है । – नरेन्‍द्र सिंह तोमर , 42 गांधी कॉलोनी , मुरैना , म.प्र.

Pro Bono Advocate has been Lodged F. I. R to D. G. P. of Madhya Pradesh


प्रोबोनो एडवोकेट नरेन्द्र सिंह तोमर ने भारत सरकार की ओर से म. प्र. पुलिस के डी. जी. पी. के सायबर सेल में दर्ज कराई एफ. आई. आर. और एडिशनल इत्तलायें दीं. मामला सायबर क्राइम , आई. टी. एक्ट, आई. पी. सी. एवं लीगल एड सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट 1987. से संबंधित.

अब वकीलों को कोर्ट कैम्पोस में बैठकर दूकान सजा कर नहीं बैठना पड़ेगा, अब जिला न्यायालय भी ऑनलाइन हुये


अब जिला न्यासयालय भी ऑनलाइन हुये , जिला ई कोर्ट में भी अब इंटरनेट के जरिये ऑनलाइन ई फाइलिंग तथा हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की तरह सारी सुविधायें ई कोर्ट हुईं
अब वकीलों को कोर्ट कैम्पकस में बैठकर दूकान सजा कर नहीं बैठना पड़ेगा
मुरैना / ग्वाकलियर/ भि‍ण्डा / जबलपुर , भोपाल, इंदौर । 20 फरवरी 18. ( ग्वाधलियर टाइम्स ) म.प्र. हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर म.प्र. की जिला अदालतें ( जिला एवं सत्र न्यारयालयों को भी ई कोर्ट में तब्दी,ल कर दिया गया है और अब म.प्र. के जिला एवं सत्र न्यादयालयों में भी केसो की ई फाइलिंग, नकल प्रतिलिपि लेना , किसी भी प्रकार का आवेदन देना आदि, ई पेपरबुक आदि सभी सुविधायें अब इंटरनेट के जरिये ऑनलाइन फाइल किये जा सकेंगें , इसके अलावा न्या.यालय की फीस भी ऑनलाइन ही जमा होगी ।
अभी तक प्रोबोनो एडवोकेट लीगल एड सेवायें एवं सहायता केन्द्रों को दूसरे जिले का केस मिलने पर अनेक जगह काफी दूरियों पर स्वोयं उपस्िें त होना पड़ता था , इस सुविधा के जिला न्याजयालयों में लागू होने के बाद अब प्रोबोनो एडवोकेटस अपने कार्यालय से ही सभी प्रकार की ई फाइलिंग एवं आवेदन आदि किसी भी जिला एवं सत्र न्यालयालय में इंटरनेट के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत ई कोर्ट में दे सकेंगें , इसके अलावा वे कोर्ट भी ऑनलाइन ही बदल सकेंगें , जिस कोर्ट में उन्हें मामला सुनवाई उपयुक्त व उचि‍त जान पड़ेगी , या जिस जिला में केस सुना जाना चाहिये उसमें वे केस ऑनलाइन ही ट्रांसफर कर सकेंगें । यह सुविधा एकदम उसी तरह है जैसे कि वर्तमान में हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट मं बेंच बदलने के लिये है ।
अब म.प्र. की जिला अदालतों में एडवोकेट का यूजर आई. डी. और पासवर्ड वही रहेगा जो कि उन्हें म.प्र. हाईकोर्ट के लिये प्राप्तप हुआ था , वे म.प्र. हाईकोर्ट से प्राप्तर यूजर आई. डी. व पासवर्ड का इस्तेरमाल कर ही किसी भी जिला न्या यालय में लॉगिन कर सकेंगें । उन्हे अलग से यूजर आई. डी. व पासवर्ड नहीं लेना होगा । जबकि सुप्रीम कोर्ट ऑफ इण्ि प्या का ए.ओ.आर. ( एडवोकेट ऑन रोल) यूजर आई. डी. व पासवर्ड पहले से ही अलग है , वह अलग व गुप्त ही रहेगा और सुप्रीम कोर्ट के लिये ही लॉगिन हेतु रहेगा ।
हालांकि आधि‍कारिक व घोषणा के तौर पर यह सुविधा जिला न्याूयालयों में शुरू कर दी गई है , और म.प्र. हाईकोर्ट की यूजर आई.डी. और पासवर्ड प्राप्त एडवोकेटस एवं प्रोबोनो लीगल एड एवं सर्वि‍सेज के लिये यह लिंक्स ओपन हो रहीं हैं, किन्तुई व्यारवहारिक तौर पर अभी कई जिला न्या‍यालयों में बहुत तेजी से इस पर काम चल रहा है और इस समय हर जिला कोर्ट में ई फाइलिंग व अन्यक ई कार्य हेतु अभी ई फाइलिंग लिंक्सं आनलाइन नहीं की गई हैं , केवल ई कॉमर्स कोर्ट की लिंक ही प्रदर्शिइत होती है , ऐसी दशा में ई एडवोकेटस , म.प्र. हाईकोर्ट की संबंधि‍त बेंच के वेब पोर्टल पर उपलब्ध सुपवधाओं के जरिये अधनीस्थव जिला न्या यालय के वेबपोर्टल पर इन सुविधाओं का उपयोग कर जरिये म.प्र. हाईकोर्ट अपना केस ई फाइल व अन्यस सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं ।
इस प्रक्रिया के ऑनलाइन होते ही , जिला न्या यालयों में स्वकत: ही वकीलों का बैठना बंद और इंटरनेट पर काम करना व आई.सीटी. में सुप्रशि‍क्षि त होना अनिवार्य हो जायेगा ।

Govardhan Giriraj Ji Ki Parikrama Part – 2


शनीचरी अमावस 19 नवंबर को, शनिधाम में ये उपाय करें


श्री गोवर्धन गिरिराज की परिक्रमा


मिशन इन्‍द्र धनुष मुरैना


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