एक्सपेरीमेंट दर एक्सपेरीमेंट , लाखों ने जान गंवाई , फिर भी एक्सपेरीमेंट , ध्वस्त लोकतंत्र , सस्पेंड संविधान और विचारहीन भारतीय विपक्ष ( भाग – 2 )


पत्ते पत्ते पर लिखा है उस प्रभु का नाम , हर बॉडी और हर डेड बॉडी पर लिखा है कोरोना के खाने का नाम , तेरे हर अंग पर भी लिखा है मरों को लूटने वाले तेरे हर काम का अंजाम, बस इंतजार कर मुनासिब वक्त आने का , तेरे हर काम का हिसाब रखा जायेगा , जरा वक्त तो आने दे , मासूमों के लहू के हर कतरे का बड़ा बेहिसाब तेरा हिसाब किया जायेगा  

  • नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनन्द’’

पिछले अंक से आगे ………

दूसरा – भाग

यद्यपि हमने सोचा था कि इस समसामायिकी आलेख को दो किश्तों में समाप्त कर देंगें लेकिन विषय बृहद और विषय सामग्री विस्तार से यह संभव नहीं लगता लिहाजा जहां तक विषय चले वहॉं तक इसकी विषय सामग्री चलेगी , इसलिये यह अब दो से अधिक भागों में आयेगा और केवल आखरी भाग पर ही अंतिम किश्त लिखेंगें – नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनंद’’ एडवाकेट

अभी पिछले अंक में कोरोना पॉजिटिव या संक्रमण के जांच के तरीकों पर इस आलेख में चर्चा कर रहे थे ।

उपकरणीय अन्य जांचें और प्रयोगशाला जांचें – हमें इस विषय को आगे ले जाने से पहले एक तथ्य विशेष रूप से स्मरण रखना होगा कि कोई भी बेहतरीन मेडिकल उपकरण या बेहतरीन प्रयोगशाला तीन विशेष लोगों से ही बन सकती है – एक बेहतरीन चिकित्सकीय ज्ञान रखे वाला डॉक्टर , दूसरा एक बेहतरीन इंजीनियर और तीसरा एक बेहतरीन साइंस यानि विज्ञान का विद्वान ।

विज्ञान के विद्वान में भी दो स्ट्रीमों का सम्मिश्रण या दो अलग अलग लोग जिसमें एक गणित स्ट्रीम  का और दूसरा बायोलॉजी यानि जीव विज्ञान स्ट्रीम का स्पेशलिस्ट होना चाहिये तब जाकर एक बेहतरीन मेडिकल उपकरण या लैब तेयार हो पाती है । उसे बाद में पैरामेडिकल विशेषज्ञ या विज्ञान स्ट्रीम के लोग ऑपरेट या संचालित करते हैं , लेकिन निर्माण की बुनियाद से लेकर प्रोटोटाइप बनाने और उसे विकसित कर असल मशीन या उपकरण बनाने या लैब तैयार करने में तो उपरोक्त तीन ही काम कर पायेंगें , वर्तमान में इन तीनों का एकसाथ बखूबी संयोजन व उपयोग भारत में किसी भी मेडिकल मशीन बनाने में या उपकरण या लैब तैयार करने में नहीं किया जाता है और केवल दो लोग ही इनमें से चुने जाते हैं जिससे मशीनें व उपकरण उस दक्षता व क्षमता के तथा एक्यूरेसी के भारत में नहीं बनते और न मेडिकल लैब ही उस दक्षता व क्षमता की होती है जो कि भारत बना सकता है मगर अयोग्य व अनुभवहीन जनप्रतिनिधियों और राजनेताओं की सत्ता लोलुपता और भ्रष्टाचार प्रियता के कारण ऐसा भारत में नहीं होता या हो पाता । इसकी बहुत सी वजह और कारण हैं मगर वे इस आलेख का विषय नहीं हैं ।

अगला परीक्षण या जांच स्वैब का परीक्षण , रक्त परीक्षण , मल मूत्र परीक्षण , प्यूबिक हेयर परीक्षण , अंदरूनी चोट आदि परीक्षण , बाहरी चोट आदि परीक्षण , आमाशय या आहार संबंधी परीक्षण , अन्य हड्डी संबंधी, सीमन टेस्ट तथा अन्येन्य प्रकारेण परीक्षण आदि । ये सभी परीक्षण इस आलेख का विषय नहीं हैं इनका हम केवल इस संदर्भ में प्रयोग करेंगें कि क्या परीक्षण वर्तमान में किये जा रहे हैं और क्या क्या जरूरी परीक्षण छोड़े जा रहे हैं ।

वर्तमान में कोरोना पॉजिटिव टेस्ट करने के लिये स्केनिंग के बाद स्वैब टेस्टिंग करने का रिवाज अपनाया जा रहा है जिसमें उल्टी , कफ , थूक और लार आदि के जरिये होने वाला स्त्राव या प्राप्त कर इनकी जॉंच करने को स्वैब टेस्टिंग कहा जा रहा है । और इसका परिणाम में कोरोना वायरस की मौजूदगी का अनुमान लगया जाता है या पुष्टि कर दी जाती है ।

इससे आगे कुछ  नहीं ,जो यह पुष्ट करे कि क्या वाकई किसी को कोरोना है या नहीं ।

किसी  कोरोना रोगी के रक्त की पहले क्या स्थिति थी , अब क्या है और उसके डिस्चार्ज के समय या श्मशान भेजते समय क्या स्थिति थी ,इस जांच की कोई व्यवस्था अभी तक भारत में नहीं है । इसलिये मौत की वजह या ठीक हो जाने के बाद इलाज पश्चात उसके प्रतिक्रियात्मक लक्षणों और पश्चातवर्ती रक्त लक्षणों के बारे में कोई भी जांच रिपोर्ट उसकी मेडिकल हिस्ट्री में नहीं होती लिहाजा न तो इसके बगैर किसी भी शख्स  में न तो कोरोना की पुष्टि की जा सकती है और न इससे इंकार कर नकारा जा सकता है ।

स्वैब टेस्टिंग मात्र खांसी बलगम आदि की जांच करने मात्र का एक सरल सा उपाय और जांच है , जिसके भी स्वैब में खांसी , फ्लू ( बुखार ) , कफ और छींक के साथ निकलने वाले छोटे मोटे जीव जंतु होंगे उस हर आदमी को यह टेस्ट खांसी जुकाम कफ से पीड़ित ही बतायेगा और बलगम भी मौजूद है तो गंभीर पॉजिटिव ही बतायेगा । इससे अधिक यह टेस्ट कुछ और नहीं बताता , कोरोना वायरस का डिटेल या सैंपल अभी तक न तो भारत के पास है और न विश्व के किसी अन्य देश के पास जिससे मिलान करके किसी को कोरोना होना साबित किया जा सके ।

जबकि इससे पूर्व पक्षियों के बर्ड फ्ल्यू , एड्स के वायरस ( एच आई वी ) तथा अन्य वायरस जन्य बीमारीयों के नमूने भारत सहित विश्व के अन्य देशों के पास हैं और उनसे मिलान के पश्चात ही किसी में इनकी पुष्टि कर दी जाती है ।  मगर कोरोना के बारे में जो रहस्य है वह यह है कि होती सबको केवल खांसी बुखार दर्द सर्दी और जुकाम ही है मगर कहा यह जाता है कि हर 15 – 20 दिन में यह वायरस अपना रूप बदलता है मतलब बीमारी के लक्षण बदल देता है या बीमारी ही बदल देता है । आश्चर्य यह है कि रोगी की न तो कभी बीमारी बदलती है और न कभी उसका जांच का तरीका या सिस्टम बदलता है , ऐसा ठोस पुख्ता और अद्वितीय जांच सिस्टम है कि रूप बदल रहे कोरोना वायरस के हर रूप को एक ही तरीके से पकड़ता रहता है , जबकि तार्किक तरीका यह है कि जब जब वायरस रूप बदले तो उसके हर बहुरूपिये रूप की एक तस्वीर खीच कर विश्व के सभी देशों के हर अस्पताल को भेजनी चाहिये और उसके उस रूप को पकड़ने और पहचानने का तरीका और बदले जाने वाले टेस्टिंग मैथड को भी साथ भेजा जाना चाहिये जिससे टेस्ट का तरीका और मिलान करके अच्छी जांच रिपोर्ट के साथ मरीज के नाम के आगे लिखा जाये कि उसे कोरोना के कौनसे रूप के किस वर्जन ने कब किस दिन जकड़ा , कब से वह उसके अंदर घुसा और कितना भीतर तक घुस चुका है और क्या इसके बावजूद उस कोरोना वायरस का अन्य कोई रूप या वर्जन भी उसके अंदर आ सकता और घुस सकता है या नहीं । और यह रूप टाइप क्या गड़बड़ीयां और खलबलियां उस मरीज के शरीर में मचायेगा और उसे क्या क्या ऐहतियातें और परहेज बरतने होंगें , वह बिना खाये पीये जिंदा रहे या खा पीकर मरे , ये सब जिक्र तभी संभव होंगें जब हर बदलते रूप का हर डिटेल हर अस्पताल , हर डाक्टर , हर नर्स और हर मरीज और उसके घरवालों को पता हो ।

……………. शेष अगले अंक में जारी …………..             

– नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’ आनंद’’ एडवोकेट

( कोराना में वीरगति पाकर शहीद हुये  लोगों के लिये,  उन शहीदों की ओर से भारत के सिस्टम के नाम )

हम राह की कुचली हुई धूल ही सही मगर कीचड़ बनाओगे तो हममें ही फंस जाओगे , जर्रा ही सही और हम लटके हुये झाड़ फानूस ही सही ,हमारी जांच बीमारी इलाज और मौत डैड बॉडी दौलत में तौलने वालो  तुम अमर आफताब ही बने रहो , जो जमीं पे आओगे तो हमारे आसपास ही कुचले जाओगे । हमारी दौलतें बिंकी , घर जेवर मकान दूकान तलक बिके , बीवी मिटी तो कहीं बच्चे भी मिटे , मिट गईं खुशियां, शानो शौकत और रिश्तेदारीयां , तुमने मजबूरियों का जाल कुछ इस कदर बुन दिया कि न मौक्ष न बेटे का कंधा न नाती का श्मशान तक साथ नसीब हुआ , न चिता पर भी मेरी कैद खोली पॉलीथीन के कफन से , जिंदा तो जिंदा मुझ मुर्दे को भी लूट लिया , मेरी अंगूठी गायब , मेरी झुमकियां गायब , पायलें भी गायब तो मरी तो कही आबरू भी गायब हुई अस्पतालों में । जीते जी न मिलने दिया तुमने अपनों से और अकेले मार कर तुमने कुछ ऐसा हाल कर दिया मेरा कि देखूं कैसे कि ऑखें भी गायब कर दी तुमने , बोलू कैसे दांत भी गायब तो अब जबड़ा भी गायब हो गया मेरा , अब कुछ खा पी कर पेशाब कर आता पूरी जिंदगी की तरह , मगर क्या करूं ऐ लूट और जुल्म के सितमगारो लीवर भी मेरा गायब , किडनी भी मेरी गायब है , वह जो लेटी है मेरे पड़ोस की अर्थी पर उसका मंगलसूत्र गायब क्या किया कि उसका सुहाग भी गायब हो गया , अब जितने भी हैं यहां सब पॉलीथीनों में पैक पड़े हैं , उनके दिमागो दिल में अपने घर के बसे हैं , इंतजार में बस उनके हाथ जल पाने की , जल की दो बूंदों को अटके पड़े हैं , काश  कोई तो आयेगा जो आजाद इन पॉलीथिनों से करेगा , मंदिरों की घंटियां कुछ मंत्र भी सुनायेगा , मस्जिदों की अजान सुनने को यहॉं सैकड़ों इंतजार कर रहे , और हम सब उसकी राह देख रहे , कोई होगा जो आयेगा , अपने पिता को बहन को कैद में डालने वाले कंस से कोई कृष्ण आकर हमें छुड़ायेगा , बस टकटकी है जिनकी आंखें बच गईं बाकी को वही हाल ए नजर सुनाते हैं , बिना आंख वालों को नजर वाले और बिना किडनी लीवर वालों को यहॉं कुछ मरे डॉक्टर रोजाना कुछ ऑक्सीजन और सांसें चुरा कर देते हैं , और फिर हम सब मिलकर राह तकते हैं , मेरे भारत मेरे कृष्ण हम तेरी राह तकते हैं ।

                                        – नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनन्द’’       

दिल तो दिल तेरा दिमाग भी जो न हिला दूं तो कहना


पत्ते पत्ते पर लिखा है उस प्रभु का नाम , हर बॉडी और हर डेड बॉडी पर लिखा है कोरोना के खाने का नाम , तेरे हर अंग पर भी लिखा है मरों को लूटने वाले तेरे हर काम का अंजाम, बस इंतजार कर मुनासिब वक्त आने का , तेरे हर काम का हिसाब रखा जायेगा , जरा वक्त तो आने दे , मासूमों के लहू के हर कतरे का बड़ा बेहिसाब तेरा हिसाब किया जायेगा  

  • नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनन्द’’

( कोराना में वीरगति पाकर शहीद हुये  लोगों के लिये,  उन शहीदों की ओर से भारत के सिस्टम के नाम )

हम राह की कुचली हुई धूल ही सही मगर कीचड़ बनाओगे तो हममें ही फंस जाओगे , जर्रा ही सही और हम लटके हुये झाड़ फानूस ही सही ,हमारी जांच बीमारी इलाज और मौत डैड बॉडी दौलत में तौलने वालो  तुम अमर आफताब ही बने रहो , जो जमीं पे आओगे तो हमारे आसपास ही कुचले जाओगे । हमारी दौलतें बिंकी , घर जेवर मकान दूकान तलक बिके , बीवी मिटी तो कहीं बच्चे भी मिटे , मिट गईं खुशियां, शानो शौकत और रिश्तेदारीयां , तुमने मजबूरियों का जाल कुछ इस कदर बुन दिया कि न मौक्ष न बेटे का कंधा न नाती का श्मशान तक साथ नसीब हुआ , न चिता पर भी मेरी कैद खोली पॉलीथीन के कफन से , जिंदा तो जिंदा मुझ मुर्दे को भी लूट लिया , मेरी अंगूठी गायब , मेरी झुमकियां गायब , पायलें भी गायब तो मरी तो कही आबरू भी गायब हुई अस्पतालों में । जीते जी न मिलने दिया तुमने अपनों से और अकेले मार कर तुमने कुछ ऐसा हाल कर दिया मेरा कि देखूं कैसे कि ऑखें भी गायब कर दी तुमने , बोलू कैसे दांत भी गायब तो अब जबड़ा भी गायब हो गया मेरा , अब कुछ खा पी कर पेशाब कर आता पूरी जिंदगी की तरह , मगर क्या करूं ऐ लूट और जुल्म के सितमगारो लीवर भी मेरा गायब , किडनी भी मेरी गायब है , वह जो लेटी है मेरे पड़ोस की अर्थी पर उसका मंगलसूत्र गायब क्या किया कि उसका सुहाग भी गायब हो गया , अब जितने भी हैं यहां सब पॉलीथीनों में पैक पड़े हैं , उनके दिमागो दिल में अपने घर के बसे हैं , इंतजार में बस उनके हाथ जल पाने की , जल की दो बूंदों को अटके पड़े हैं , काश  कोई तो आयेगा जो आजाद इन पॉलीथिनों से करेगा , मंदिरों की घंटियां कुछ मंत्र भी सुनायेगा , मस्जिदों की अजान सुनने को यहॉं सैकड़ों इंतजार कर रहे , और हम सब उसकी राह देख रहे , कोई होगा जो आयेगा , अपने पिता को बहन को कैद में डालने वाले कंस से कोई कृष्ण आकर हमें छुड़ायेगा , बस टकटकी है जिनकी आंखें बच गईं बाकी को वही हाल ए नजर सुनाते हैं , बिना आंख वालों को नजर वाले और बिना किडनी लीवर वालों को यहॉं कुछ मरे डॉक्टर रोजाना कुछ ऑक्सीजन और सांसें चुरा कर देते हैं , और फिर हम सब मिलकर राह तकते हैं , मेरे भारत मेरे कृष्ण हम तेरी राह तकते हैं ।           – नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनन्द’’

वोडाफोन आइडिया लि द्वारा असली सिम बंद कर अज्ञात व्यक्ति को नयी सिम देकर असली सिम का नेटवर्क बंद करने पर 5 लाख के हर्जाने का दावा दायर


मुरैना 17 मई 2021 , वोडाफोन आइडिया ( वी आई ) लिमिटेड पर मुरैना जिला उपभोक्ता फोरम में असली सिम घारक को पता चले बगैर ही किसी अज्ञात आदमी को नई सिम जारी कर एक्टीवेट करने और असली धारक की असली सिम का नेटवर्क बंद करने के मामले में वोडाफोन आइडिया लि ( वी आई ) की मैनेजर विभा मुंजाल सहित , गुजरात व मुंबई कार्यालयों के प्रमुखों सहित म.प्र. छत्तीसगढ़ के जोनल व सर्किल प्रभारी सहित मुरैना के दो लोगों वी आई स्टोर संचालक तथा एक अन्य सिम विक्रेता के खिलाफ एडवाकेट नरेन्द्र सिंह तोमर ने कुल 7 लोगों पर 5 लाख रूपये के हर्जाने का दावा दायर किया है ।

आवेदक द्वारा आवेदन में हा गया है कि यह सिम स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्यप्रदेश , हाईकोर्ट मध्यप्रदेश , न्याय विभाग भारत सरकार , सहित आधार कार्ड तथा अन्य सभी महत्वपूर्ण अकाउंटों में रजिस्टर्ड तथा उनसे लिंक है तथा वे सभी अकाउंट सहित नेश्नल कन्ज्यूमर्स हेल्पलाइन एवं सी एम हेल्पलाइन आदि के अकाउंट व अन्य अनेक खाते इसी सिम सि लिंक हैं और आपरेट होते हैं , इस सिम के नेटवर्क जाने से सभी कार्य तथा ओटीपी व मैसेज आदि बंद होने से रूक गये हैं और न्यायिक क्षति क साथ अन्य मानसिक तथा शारीरिक क्षतियां , प्रतिष्ठाजनक क्षतियां व हानियां निरंतर हो रहीं हैं । भारत सरकार के पी जी पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई लेकिन शिकायत को बगैर किसी कार्यवाही और सिम पर नेटवर्क चालू कराये बगैर बंद करा दिया , उल्टे विभा मुंजाल ने 50 रू मांगे , सायबर क्राइम में तथा सी एम हेल्पलाइन पर भी शिकायत रजिस्टर्ड है लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की है ।

यह प्रकरण ई फाइलिंग के जरिये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत 05 मई 2021 को प्रस्तुत किया गया जिसे जिला उपभोक्ता फोरम मुरैना म .प्र द्वारा क्रमांक CC/141/2021 पर रजिस्टर किया गया अनावेदक प्रतिवादीयों को जरिये ई मेल नोटिस भेजे गये , नोटििसमें न्यायालय ने उन्हें अपना जवाब पेश करने के लिये बुलाया है और अनुपस्थित रहने या जवाब न देने पर एकपक्षीय आदेश पारित करने की चेतावनी दी है । प्रकरण में अगली सुनवाई तारीख इसी मई में ही लगाई गयी है ।

भारतीय जीवन बीमा निगम की मुरैना शाखा पर 5 लाख हर्जाने का दावा दायर


नरेन्द्र सिंह तोमर आनंद

भारतीय जीवन बीमा निगम की मुरैना म .प्र की शाखा द्वारा बीमित व्यक्ति द्वारा चार साल बाद पांचवें साल में अपना जमा की गई किश्तों का रूपया वापस मांगने पर नहीं देने और बार बार घुमाने तथा बेवकूफ बना कर टालमटोल करने के मामले में मुरैना के एडवोकेट नरेन्द्र सिंह तोमर उपभोक्ता फोरम मुरैना में 5 लख रूपये के हर्जाने के दावा के साथ अपना जमा रूपया भी ब्याज सहित वापस मांगा है ।

बीमित व्यक्ति ने सन 2017 में भारतीय जीवन बीमा निगम की मुरैना शाखा से एक जीवन बीमा पॉलिसी ली थी जिसकी किश्तें लगभग 12 हजार रू थीं और उसने सन मार्च 2021 तक की सारी किश्तें बीमा निगम को चुका दीं थीं , अचानक उसके पिता के निधन के कारण उसे पैसे की सख्त आवश्यकता हुई तो उसने अपना जमा रूपया बीमा निगम से वापस मांगा , मगर भारतीय जीवन बीमा निगम ने बीमित के मामले में कोई ध्यान नहीं दिया उल्टे उसे मदद करने के बजाय परेशान और हतोत्साहित कर अगली किश्त जमा करने के लिये दवाब डालता रहा,आवेदक ने 23 मार्च 2021 को ई स्टांप ट्रेजरी से खरीदा और 24 मार्च को उसे नोटरी करा कर बीमा निगम को दिया जहां बीमा निगम के एजेंट और अधिकारी बेवकूफ बना कर उसे टालते रहे । जिला उपभोक्ता न्यायालय में यह प्रकरण ऑनलाइन ई फाइलिंग के जरिये एडवोकेट नरेन्द्र सिंह तोमर ने 25 अप्रेल 2021 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत फाइल किया तथा उपभोक्ता न्यायालय मुरैना द्वारा इसे 28 अप्रेल को क्रमांक CC/140/2021 पर रजिस्टर किया , जिस पर सभी प्रतिवादी अनावेदकों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत नोटिस जारी कर तलब किया गया ।

एक्सपेरीमेंट दर एक्सपेरीमेंट , लाखों ने जान गंवाई , फिर भी एक्सपेरीमेंट , ध्वस्त लोकतंत्र , सस्पेंड संविधान और विचारहीन भारतीय विपक्ष


नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’ आनन्द’’

नाम है कोरोना , सबसे ताकतवर , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जिसके दास हैं , तुच्छतम साबित कर दिये । उसी कोराना की बात करें तो जानेंगें कि आखिर कितना बड़ा है ये है और कहां तक कितनी पहुंच है इसकी । आज के इस समसामायिक आलेख में इसी सब पर चर्चा करते है दो किश्तों के इस आलेख में , यह पहली किश्त है इस आलेख की ।

कोरोना की भारत में दस्तक : यह कब हुई कैसे हुयी शायद किसी को कुछ पता नहीं , बस इतना पता है कि ये विदेश से आया , बाकायदा पासपोर्ट वीजा लेकर भारत आया , पहली महिला रोगी दक्षिण भारत में मिली । पहली से लेकर आज करोड़ों तक इसके पॉजिटिव आंके जा रहे हैं ।

जांचने का सूत्र और फार्मूला : अभी तक इसकी जांच और इसे ट्रेस करने का फार्मला भारत तो क्या समूचे विश्व में नहीं हैअगर होता तो इसे

ट्रेस किया जा सकता , और जब ट्रेस ही हो जाता तो इसे खत्म किया जा सकना बेहद आसान होता , ट्रेस नहीं हो पा रहा इसीलिये सब काम अंदाजिया हो रहा है , थर्मल स्केनर असल में बॉडी टेम्परेचर नापने या पता लगाने का एक जरिया या साधन है , किसी संक्रमण या रोग की जांच करने का उपकरण नहीं , बिल्कुल उसी तरह जैसे कि थर्मामीटर , बस फर्क इतना है कि वह मुंह में डालना पड़ता है या बगल में दबाना पड़ता है , उसे टेंपरेचर स्केनर कहना तक तो ठीक है लेकिन संक्रमण स्केन कर देगा या बॉडी स्केन कर देगा यह समझना निहायत ही नादानी है ।

एयरपोर्ट पर या कोर्ट आदि में या अन्य वी आई पी एंटर्स पर भी अनेक तरह के स्केनर्स होते हैं , मसलन मेटल डिटेक्टर , इन्फ्रारेड बॉडी स्केनर , एक्सरेज स्केनर , प्रैंक स्केनर्स इत्यादि इत्यादि ।

हर स्केनर या डिटेक्टर का काम करने का तरीका अलग अलग , थ्योरी और फार्मूला सब कुछ अलग अलग है , कुछ मैग्नेटिक वेव्स पर तो कुछ इलेक्ट्रोमैगनेटिक वेव्स पर , कुछ इन्फ्रारेड वेव्स पर तो कुछ फौटो इफैक्टिव बेस पर तो कुछ लेजर वेव्स पर काम करते हैं , सबसे अधिक प्रभावी और शक्तिशाली स्केनर्स कॉस्मिक वेव्ज और ईथर आधारित होते हैं । ये अभी भारत तो क्या संभवत: चीन के पास भी नहीं हैं , हालांकि ये अंतरिक्ष केन्द्र के लिये काम करने वाले इसरो या नासा जैसे संस्थान ईको के लिये इस्तेमाल करते हैं और इन्हें किसी ग्रह पर कास्मिक वेव्ज या ईथर वेव्ज भेजकर ईको प्राप्त करते हैं और उस ग्रह से ईको में मिली चीजें विश्लेषित करके अनुमानों की पूरी श्रंखला और थ्योरी तैयार करते हैं जिसके आधार पर किसी ग्रह की रिसर्च व स्टडी आगे बढ़ती है , हालांकि इन सब में संस्कृत भाषा और ऊँ आदि का प्रयोग किया जाता है लेकिन यह हमारा इस आलेख का विषय नहीं है । अत: मूल बात यह कि हमारे पास सुविधा तो है मगर कॉस्मिक वेव्स या ईथर वेव्ज स्कैनर्स नहीं हैं ।

कोई स्केनर कितनी डेप्थ तक यानि गहराई तक स्केन कर सकता है

वर्तमान में प्रचलित भारत के स्केनर 2 डायमेंश्नल स्केन ही कर पाते हैं इससे अधिक नहीं , 3 डायमेशनल स्केनर्स अभी उपलब्ध नहीं हैं , मल्टी डायमेंश्नल उपलब्ध होने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता , वह तो केवल ईश्वर प्रदत्त मनुष्य या किसी अन्य प्राणी के शरीर में ही खासियत है कि वह 3 डी या मल्टी डायमेंश्नल देख भी पाता है सुन भी पाता है , महसूस भी कर पाता है और एक्ट या रियेक्ट भी कर पाता है  । लिहाजा किसी भी प्राणी का या मानव शरीर संसार का या कहें कि ब्रह्मांड का सर्वश्रेष्ठ स्केनर है , इससे बेहतर कोई अन्य स्केनर नहीं , बाकी तो डिटेक्टर हैं कि धातु कहां है कितनी है , हड्डी जैसी सख्त अपारदर्शी चीजें जिन्हें एक्सरे नहीं भेद पातीं वे हड्डीयां  स्केन कर उनका फोटो केवल इस आधार पर बनातीं हैं कि अपारदर्शी चीज कहां कहां और क्या क्या हैं उन्हें ही एक्सरे प्लेट कहा जाता है , अगर कोई हुक वगैरह शरीर पर हुआ तो वह हुक भी एक्सरे के लिये अपारदर्शी होकर वह भी चित्र के रूप में एक्सरे प्लेट पर आ जाता है , मतलब ये कि यह स्केनर भी केवल कुछ सीमा तक ही परफेक्ट है , पूर्ण परफेक्ट नहीं ।

डिजिटल कैमरे दो टेक्नालाजीयों पर काम करते हैं , एक तो इन्फ्रारेड वेव्स के जरिये तस्वीरें या वीडियो खींचते हैं और दूसरे इलेक्ट्रो मैग्नेटिक वेव्स के जरिये तस्वीरें और वीडियो खींचते हैं । दोनों की गुणवत्ता अलग अलग प्रकार की होती है , लेकिन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स वाले कैमरे को बिजली की लाइनों या किसी मैग्नेटिक फील्ड से दूर रखना जरूरी है वरना करेंट पास होकर केमरा होल्डर की मौत का कारण बन जाता है । इन्फ्रारेड कनेक्टिविटी की इसी तरह से अलग प्रकार की सावधानियां हैं । खैर ये सब इस आलेख के विषय नहीं हैं ।

किस गहराई तक कोई स्केनर स्केन कर सकता है यह निर्भर करता है , एक्सरे पूरे शरीर को भेद जातीं हैं मगर कुछ स्किन ढांचा उनमें दिखता है , मतलब यदि इस स्केनर को कुछ विशेष तरीकों से इस्तेमाल किया जाये तो यह आदमी की स्किन के अंदर महज जरा सा ही भेद कर केवल स्किन और उसकी बनावट यानि बाल या रोयें तक दिखा सकता है , थर्मल स्केनर शरीर का टेंपरेचर और ब्लड सर्कुलेशन तक दिखा सकता है या बता सकता है यदि इसे तरीके से इस्तेमाल किया जाये तो ।

फौटो लाइट या फोटो इफेक्ट स्केनर केवल कंप्यूटर आदि में फोटो या डाक्यूमेंटस स्केन करने के काम आते  हैं । अलबत्ता इसे बड़े स्प में कभी कभी आदमी की आरिजनलिटी की पहचान के लिये भी विदेशों में इस्तेमाल किया जाता है , मगर भारत उन देशों में शामिल नहीं है , यहां अभी केवल ऑंखों के डाक्टरों के पास रहने वाली बायोमीट्रिक डिवाइस मात्र है । और फिंगर प्रिंट स्केन करने के लिये थर्मल + फोटो स्केनर है वह भी अभी 3 डी नहीं है । वरना ऊंगली दबा कर रखने के बजाय केवल मशीन में दिखाने मात्र से ही फिंगर प्रिंट स्केन हो जाते ।

……… शेष अगले भाग में …..      

नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’ आनन्द’’