फेसबुक पर छायी फर्जी ब्राह्मणों और फर्जी राजपूतों की बहार, जालसाजी का न या नुस्‍खा – नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’ आनन्‍द’’


फेसबुक पर छायी फर्जी ब्राह्मणों और फर्जी राजपूतों की बहार, जालसाजी का नया नुस्‍खा

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनन्‍द’’

यदि आप मशहूर सोशल नेटर्किंग साइट फेसबुक पर किसी शख्‍स का उपनाम देखकर यह भ्रम मन में पाल बैठे हैं कि वह अमुक शख्‍स वही है या उसी जाति आदि का है तो यह भ्रम अपने मस्तिष्‍क से निकाल दीजिये । हमने तीन महीने तक इस सम्‍बन्‍ध में कई फेसबुक प्रोफाइलों की गहन पड़ताल की और अनेक चौंकाने वाले रहस्‍योद्घाटन हमारे समक्ष हुये ।

फेसबुक पर कई जातिगत कैम्‍पेन यानि संगठन बने हुये हैं , जिसमें कायस्‍थों के कई , ब्राह्मणों के तीन और राजपूतों के पॉंच संगठन हैं , इसी प्रकार अन्‍य जाति समुदाय के लोगों ने भी अपनी अपनी लॉबीबन्‍दी कर रखीं हैं ।

सर्वाधिक संख्‍या में फेसबुक पर पिछले चार महीने के भीतर राजपूत और ब्राह्मण सइस्‍यों की संख्‍या असामान्य और अप्रत्‍याशित रूप से बढ़ी है । हमारा ध्‍यान जब इस ओर आकर्षित हुआ तो हमने बारीकी से न केवल प्रोफाइलों की छानबीन शुरू की अपितु इस नकली व फर्जी खेल को भी समझने की कोशिश की ।

बहुतेरे फर्जी व जाली प्रोफाइल राजपूतों और ब्राह्मणों के उपनामों में बनाकर न केचल फेसबुक के आम सदस्‍यों के साथ धोखाधड़ी की जा रही बल्कि आशंका है कि इसके पीछे बहत बड़ा कोई फर्जीवाड़ा और सुनियोजित रैकेट काम कर रहा है ।

ये फर्जी प्रोफाइलर्स राजनूत या ब्राह्मण बन कर इस प्रकार फर्जी , अभद्र एवं अश्‍लील कृत्‍य करते हैं कि शर्म भी शर्म से मर जाये ।

ये फर्जी राजपूत और फर्जी ब्राह्मण न केवल भद्र व कुलीन परिवारों की महिलाओं एवं युवतीयों की प्रोफाइलों, नोटस एवं फोटो आदि पर अश्‍लील एवं भद्दे कमेण्‍टस करते हैं एवं यदि कोई महिला या युवती इन्‍हें जरा भी ऑनलाइन नजर आई तो उससे प्रायवेट चाट जबरदस्‍ती करने के प्रयास करते हैं । यदि महिला या युवती अपने परिवार के सदस्‍यों या सहेलियों से भी बात करना या चैट करना चाहे तो ये फर्जी प्रोफाइलर्स उतनी देर उसका आनलाइन टिकना मुश्किल कर देते हैं , यहॉं तक कि सेलिब्रेटिज का भी यही हाल है , अत: इन फर्जी प्रोफाइलर्स गुण्‍डों के डर से अनेक युवतीयों , महिलाओं और सेलिब्रिटीज ने आन लाइन ही छोड़ दिया है । साथ ही अपनी प्रोफाइलों में चित्र अपने लगाना और नवीन चित्रों का अपलोड बंद कर दिया है ।

हमने कई युवतियों से इस बारे में चर्चा की , लगभग सभी बुरी तरह फफक कर रो पड़ीं और सबने एक ही बात कही कि गुण्‍डे बहुत तंग करते हैं सर ।

एक और कॉमन बात जो सामने आई वह यह कि फर्जी हिन्‍दूत्‍व और संस्‍कृति के तथाकथित फर्जी ठेकेदार इन महिलाओं , युवतियों और सेंलिब्रिटीज को अधिक तंग करते हैं और जबरदस्‍ती उन्‍हें ये करो , वो करो ये मत करो वो मत करो का उपदेश पिलाते रहते हैं और जब कोई इन फर्जी हिन्‍दूओं और फर्जीं संस्‍कृति के ठेकेदारों की बात नहीं मानता या विरोध करता है तो ये उसका फेसबुक पर जीना मुहाल कर देते हैं , और ऐसी ऐसी गंदी, भद्दी व अश्‍लील कारगुजारियां करते हैं कि कोई भी भला शख्‍स तुरन्‍त फेसबुक छोड़ कर भाग जाये । यहॉं तक कि ये लोग सार्वजनिक रूप से बेइज्‍जत करने, अश्‍लील गालियां देने , आपत्तिजनक कमेण्‍ट करने उपदेश झाड़ने और अनर्गल प्रवंचनाओं में कोई कोर कसर नहीं रखते ।

मजे की बात ये हैं कि इन फर्जी प्रोफाइलर्स ने एक एक शख्‍स ने औसतन 30 से 40 तक फर्जी प्रोफाइलें बना रखीं हैं । और एक ही शख्‍स विभिन्‍न समय काल और कभी समान समय काल में विभिन्‍न नाम और विभिन्‍न आई डी से फेसबुक पर अवतरित होता है । यहॉं लड़के लोगों को लड़की बन कर और लडकियां लड़के बनकर मूर्ख बनाते रहते हैं । हमने सभी केसों की गहरी छानबीन की ।

फर्जी प्रोफाइलर्स की असल जाति का उल्‍लेख किये बगैर संकेत में हम बता दें कि सरनेम शर्मा, त्रिपाठी, त्रिवेदी, उपाध्‍याय, दुबे, चतुर्वेदी या अन्‍य इसी प्रकार चौहान, सिकरवार, भदौरिया , तोमर , राठौर, जड़ेजा, शेखावत, चूड़ावत जैसे अन्‍य कई सरनेम प्रयोग कर फेस बुक पर आ रहे नाम लगभग 60 फीसदी जाली हैं । असल राजपूत या ब्राह्मण तो महज 40 फीसदी ही फेसबुक पर है बकाया इनके सरनेम उपयोग कर रहा रैकेट 60 फीसदी फर्जी राजपूत और ब्राह्मणों का जालसाज गिरोह है । जो सुनियाकजत तरीके से राजपूतों और ब्राह्मणों को मौका पा कर नीचा दिखाने, बदनाम करने , उनके सरनेम का इस्‍तेमाल कर सेक्‍स रैकेट के कार्यों को अंजाम देने, राजनीतिक कार्य करने, फर्जी हिन्‍दुत्‍व और फर्जी सांस्‍कृतिक प्रोपेगण्‍डा के नाम पर राजपूतो व ब्राह्मणों के नाम से लोगों को तंग करने आदि कार्यों में लिप्‍त है ।

यदि आप सरनेम देखकर किसी को फेसबुक पर राजपूत या ब्राह्मण समझ बैठे हैं तो एकदम सचेत व सतर्क हो जाईये , इन्‍हें अपने खुद के और मामा या अन्‍य रिश्‍तेदार पक्ष के कुल गोत्र शाखा , वंशावली और ठिया ठिकाना खेरा आदि का ज्ञान नहीं होता । आप इनसे झड़ी लगाकर प्रश्‍न करना शुरू करें और सात पुश्‍तों तक इनके कुल गोत्र शाखा वंशावली और रिश्‍तेदारों के कुल वंश गोत्रादि विवरण अवश्‍य पूछें । इन फर्जी प्रोफाइलर्स को केवल उतनी ही जानकारी है जितनी इण्‍टरनेंट आदि माध्‍यमों पर उपलबध है ।

संस्‍कृति और धर्म के नाम पर हड़काने वालों से उनके द्वारा कही गई हर बात का शास्‍त्रीय प्रमाण व सन्‍दर्भ अवश्‍य मांगें , इसी प्रकार ये लोग मनुस्‍मृति का उल्‍लेख कर या उसके श्‍लोंको का तोड़ मरोड़ कर या मनमानी फर्जी व्‍याख्‍या कर लोगों को गुमराह करते रहते हैं , ज्ञातव्‍य है कि मनुस्‍मृति अव्‍वल तो सामान्‍य प्रचलन में और सामान्‍य हिन्‍दू जीवन में मान्‍य ग्रंथ नहीं हैं , अन्‍य ग्रंथों का इनको ज्ञान नहीं है और इधर उधर से श्‍लोक कबाड़ कर या बिगाड़ कर फर्जी कुत्सित एवं मनमानी व्‍याख्‍या कर धार्मिक सामाजिक विद्वेष फैलान , फर्जी नाम और फर्जी आई डी से राम और कृष्‍ण सहित अन्‍य देवी देवताओं को गालीयां देना उनके खिलाफ अश्‍लील एवं भद्दे लेख लिखना तथा फिर खुद ही लोगों का ध्‍यान उसकी ओर आकषित कर फर्जी निन्‍दा अभियान चलवाना इनका पेशा है । लोगों को दिखाने को ये स्‍वयं भागवान का नाम जपते दिखते हैं और खुद को 24 घण्‍टे हिन्‍दू साबित करने में लगे रहते हैं और खुद ही फर्जी आई डी और फर्जी नामों से दूसरी ओर से भगवानों , धर्म , देवी देवताओं की मॉं बहिन करने में कसर नहीं छोड़ते ।

स्‍मरणीय है कि असल हिन्‍दू को भी कहना या बार बार याद नहीं दिलाना पड़ता कि वह हिन्‍दू है और ये फर्जी हिन्दू और फर्जी प्रोफाइलर्स 24 घण्‍टे लोगो को स्‍मरण कराते रहते हैं कि वे एकमात्र हिन्‍दू हैं अन्‍य कोई नहीं ।

भारतीय क्षत्रिय राजपूत वंश और उपव ंश – एक परिचय , एक सिंहावलोकन – नरेन्‍ द्र सिंह तोमर ”आनन्‍द”


क्षत्रिय वंश KSHATRYA VANSH
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सूर्य वंश ऋषि वंश चन्‍द्र वंश अग्नि वंश
सूर्य वंश एक परिचय ऋषि वंश एक परिचय चन्‍द्र वंश एक परिचय अग्नि वंश एक परिचय
सूर्य वंश के उपवंश ऋषि वंश के उपवंश चन्‍द्र वंश के उपवंश अग्नि वंश के उपवंश
रघुवंश (मतान्‍तर से इसे उपवंश की जगह मूलवंश में भी माना जाता है) सैंगर यदुवंशी सोलंकी
कुशवाह पुण्‍ढीर तोमर परिहार
सिसौदिया धाकरे, ढाकरे चन्‍देल परमार, पमार, पवार
बड़गूजर गर्ग वंश सोमवंशी चौहान
गहरवार दाहिमा कल्‍चुरी
राठौर कदम्‍ब वंश बनाफर
गौड़ महेला बघेल
निकुम्‍भ तरकन झाला
कटिहरिया काकन कौशिक
श्रीनेत उदमतिया बैस
रैकवार गौतम
विसेत्तिया

उपरोक्‍त समस्‍त विवरण भारतीय क्षत्रिय राजपूतों की छत्‍तीस कुरी और मूल वंशालियों तथा प्रमाणित एवं मान्‍य राजपूत इतिहास पर आध्‍धरित है । भारतीय क्षत्रिय राजपूतों की बृहद वेबसाइट तैयार की जा रही है , कृपया आवश्‍यक संपर्क एवं सहयोग हेतु हमारे ई मेल पते gwaliortimes पर संपर्क स्‍थापित करें । धन्‍यवाद – नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनन्‍द’’

भारत में जाति व्‍यवस्‍था और आज का यु वा – अहससासे आफताब नहीं, कब्‍जा ए आफ ताब कीजिये


भारत में जाति व्‍यवस्‍था और आज का युवा – अहससासे आफताब नहीं, कब्‍जा ए आफताब कीजिये

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनन्‍द’’

राजपूत नौजवान हों या कि ब्राह्मण नौजवान हों या कि वैश्‍य या शूद्र, हिन्‍दू हों मुस्लिम हो या ईसाई तकरीबन सभी को अवस्‍था विशेष तक अनेक झंझावातों से गुजरना होता है कई सवालों से जूझना पड़ता है, जब तक जवाब मिल पाते हैं उमर गुजरती चली जाती है और अनेक महत्‍वपूर्ण अवसरों को वे खोते जाते हैं । यह आलेख नौजवानों को समर्पित है, यद्यपि मुझे वक्‍त नहीं मिल पाता फिर भी मैंने आपके लिये वक्‍त निकाला है इसे लिखने के लिये । यदि किंचित भी यह आपके लिये उपयोगी हुआ या आपके काम आ सका तो यह मेरे वक्‍त का एवं श्रम का समुचित प्रतिफल होगा ।

भारतीय सामाजिक व्‍यवस्‍था

अनेक युवा इस बात पर भ्रमित हैं कि भारत की सामाजिक व्‍यवस्‍था और ढांचा कई छोटी जाति या अन्‍य धर्मावलम्बियों के लिये कष्‍टकारक व फर्क बताने वाला है । विशेषकर शूद्र वर्ग के युवा अक्‍सर भारतीय सामाजिक व्‍यवस्‍था से आहत एवं क्षुब्‍ध हैं, अक्‍सर वे मनुवाद की प्रत्‍यक्ष आलोचना करते रहते हैं और वर्ण व्‍यवस्‍था आदि को दोष देकर उसकी निन्‍दा करते रहते हैं । आपको यह जानकर हैरत होगी कि मैं शूद्र जाति के लोगों के द्वारा लिखी पुस्‍तकें गंभीरता से पढ़ता हूं उन पर चिन्‍तन एवं मनन भी करता हूं ।

ब्राह्मण , क्षत्रिय व वैश्‍य सभी के कर्म विभाजित हैं शूद्र का कर्म सेवा नियत है, अब यदि आज के युग से देंखें तो शूद्र अध्‍यापन का कार्य कर रहे हैं और ब्राह्मण सेवा का, कलेक्‍टर शूद्र है और चपरासी ब्राह्मण, कलेक्‍टर को ब्राह्मण चपरासी पानी भी पिलाता है उसका सामान भी उठाता है और उसे गाड़ी का दरवाजा खोल कर गाड़ी में भी घुमाने ले जाता है ।

कई बार युवा कहते हैं कि नाम के साथ उपनाम न लिखा जाये, जाति संबोधन न लगायें जायें, ठीक बात है लेकिन प्रश्‍न यह है कि जाति संबोधन या उपनाम लगाने की व्‍यवस्‍था आखिर आई कहॉं से और क्‍यों शुरू हुयी ये परम्‍परा , क्‍या आदिकाल से ऐसा था । इसका स्‍पष्‍ट जवाब है कि नहीं, आदि काल से कतई ऐसा नहीं था, अब सवाल है कि क्‍या ये मनुवाद है या मनु की देन है या मनुस्‍मृति के कारण जाति व्‍यवस्‍था बनी तो भी जवाब है कि नहीं ।

आदिकाल से वर्ण व्‍यवस्‍था विद्यमान रही है जाति व्‍यवस्‍था नहीं, त्रेतायुग में वर्ण व्‍यवस्‍था थी और केवट मल्लाह निषादराज, रावण का एवं उसे कुल का ब्राह्मण होना, धोबी की घटना, शबरी भीलनी जैसे कई उदाहरण हैं जो त्रेताकाल में वर्ण व्‍यवस्‍था का उल्‍लेख करते हैं ।

वर्ण विभाजन के बाद कर्म आधार पर जाति व्‍यवस्‍था कलियुग में अस्तित्‍व में आयी, जबकि द्वापरकाल तक केवल वर्ण व्‍यवस्‍था ही अस्तित्‍व में रही । जाति व्‍यवस्‍था अस्तित्‍व कलियुग काल में आया । द्वापर काल तक यह व्‍यवस्‍था रही कि अधिक निर्देशांक प्रयोग नहीं किये जाते थे, पहचान करने के लिये अधिक सटीक निर्देंशांक मान एवं मानदण्‍ड तय नहीं करने होते थे ।

आईये जाति व्‍यवस्‍था का असल गणितीय रूप समझें और जानें कि जातियां क्‍यें व कैसे बनी –

जो लोग गणित के छात्र होंगें वे जानते होंगें कि गणित में एक महत्‍वपूर्ण विषय निर्देशांक ज्‍यामिति होता है जो कि वर्तमान में दो प्रकार की प्रचलन में है एक तो सामान्‍य द्विविमीय निर्देशांक ज्‍यामिति और दूसरी त्रिविमीय निर्देशांक ज्‍यामिति । निर्देशांक ज्‍यामिति गणित की वह विकट अकाट्य विधा है जिससे पता चलता है कि कोई चीज कहॉं स्थित है, उसका पता ठीया क्‍या है । तयशुदा निर्देंशांक किसी भी चीज की असल स्थिति तक एक क्षण मात्र में पहुंचा देते हैं । बिल्‍कुल इसी शास्‍त्र के आधार पर भूगोल के नक्‍शे, देशान्‍तर व अक्षांश आधार पर स्थिति पहचान, पता प्रणाली , डाकप्रणाली, संचार प्रणाली आदि आधारित हैं । जिससे पहचाना जाता है कि अमुक व्‍यक्ति या चीज कौन है और कहॉं है ।

डाक पते में में नाम के साथ पते में मकान का नंबर, गली का नाम, मोहल्‍ले का नाम , बिल्डिंग का नाम , मोहल्‍ले का नाम और शहर का नाम, राज्‍य का नाम, पोस्‍ट यानि डाकखाने का नाम, जिला आदि सब लिखने पड़ते हैं इसके बाद नंबर आता है पिन कोड का जिसमें 6 अंक का पिन कोड बहुत से भेद छिपाये रहता है मसलन पिन कोड का पहला अंक जोन का नंबर होता है इसके बाद के दो अंक स्‍थानीय संभागीय जोन और अंतिम तीन अंक स डाकखाने का जोन के अंक रहते हैं , इस प्रकार एक पत्र सही गंतव्‍य और सही आदमी तक पहुंच पाता है ।

बिल्‍कुल इसी प्रकार अत्‍याधुनिक संचार प्रणाली में मोबाइल नंबर 10 अंक का होने या फोन नंबर में एस.टी.डी. कोड के जोड़ने या ई मेल या इण्‍टरनेट कम्‍यूनिकेशन में आई .पी. पते की प्रणाली जिसमें चार वर्ण होते हैं और इसमें यानि इस आई पी में आपके व्‍यक्तिगत कम्‍प्‍यूटर तक पहुंचने का राज छिपा रहता है । जो कि असल गंतव्‍य या व्‍यक्ति तक पहुचा देते हैं , आप किसी के ई मेल पते को लिखते हैं या किसी वेबसाइट को खोलने के लिये उसका पता भरते हैं तो दरअसल छिपे हुये रूप में उसमें गंतव्‍य मशीन के मशीनी अंक यानि आई पी पते आदि छिपे रहते हैं ।

वर्ण व्‍यवस्‍था एवं जाति व्‍यवस्‍था का यही सूत्र है, किसी समाज में या देश में कोई व्‍यक्ति विशेष कहॉं स्थित है यह उसके नाम उपनाम आदि से ज्ञात होता है, मसलन धर्म से आप एक बृहद जोन विशेष तक पहुंच जाते हैं , जाति या उपनाम से उस धर्म या जोन विशेष के एक जाति समुदाय तक जा पहुंचते हैं यह छोटा जोन कहा जा सकता है, पिता का नाम से आप एक परिवार विशेष तक जा पहुंचते हैं और अंत में नाम से आप उस व्‍यक्ति विशेष तक जा पहुंचते हैं ।

अत: धर्म, समुदाय या जाति का अभिव्‍यक्‍तन पूर्ण और विशुद्ध रूप से गणितीय है न कि सामजिक अंतर को व्‍यक्‍त करने के लिये, यह उल्‍लेख किसी को छोटी या बड़ी जाति का नहीं बताते बल्कि सटीक व सही व्‍यक्ति का ठीया ठौर व्‍यक्‍त करते हैं ।

अब सवाल यह है कि जाति व्‍यवस्‍था के कारण किसी को ओछापन या उच्‍चपन का अहसास होता है जिससे सामाजिक विषमता आती है तो क्‍या किया जाये , इसका जवाब यह है कि यह सामाजिक विषमता कभी समाप्‍त नहीं हो सकती यह एकदम उसी प्रकार से है जिस प्रकार एक कलेक्‍टर को एक चपरासी हीन नजर आता है या चपरासी को कलेक्‍टर उच्‍च नजर आता है , यदि कलेक्‍टर और चपरासी के बीच का नीचपन और ओछापन दूर होगा तो जातियों का भी नीचापन और ओछापन दूर हो जायेगा । जातियों के बीच नीचापन और ओछापन आज उतना नहीं रहा है जितना कि कलेक्‍टर और चपरासी के बीच नीचापन और ओछापन बढ़ा है ।

कलेक्‍टर एक धर्म है इस धर्म को आई ए एस कहते हैं , कलेक्‍टर एक संप्रदाय है जिसे ब्‍यूरोक्रेट कहते हैं कलेक्‍टर एक जाति है जिसे कलेक्‍टर कहते हैं , इसी प्रकार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी एक धर्म है , संबंधित विभाग उसकी जाति है और चपरासी उसकी जाति है । यह जाति धर्म और संप्रदाय अब नये रूप में विद्यमान है और धड़ल्‍ले से पूरे नीचेपन और ऊंचेपन के साथ प्रचलन में है बिगाडि़ये मिटाये या उखाडि़ये इसका क्‍या उखाड़ेंगें साथ में उनके अन्‍य धर्म यनि आई पी एस, अन्‍य संप्रदाय पुलिस और जाति एस.पी. है । आप क्‍या कर सकते हैं । अव्वल यह व्‍यवस्‍था प्रशासनिक व्‍यवस्‍था है इसी प्रकार जाति व्यवस्‍था सामाजिक प्रशासनिक व्‍यवस्‍था रही है । जाति व्‍यवस्‍था तो काफी हद तक सुधर कर निखरे रूप में आज सामने आ गई लेकिन प्रशासनिक व्‍यवस्‍था बुरी तरह सड़ गल चुकी है , आप प्रशासनिक ऊंच नीच से छुटारे की कोशिश कीजिये तब आप जाति व्‍यवस्‍था का असल मर्म जान समझ पायेंगें । जय हिन्‍द