महाभारत के अंतिम चकृवर्ती सम्राट और संपूर्ण भारत के आखरी हिन्दू महाराजा दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर का जन्म दिवस इस साल 28 जुलाई 2022 को हरियाली अमावस्या को मनाया जायेगा


दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर , प्रतिमा चित्र तंवरावाटी राजपूताना महाराणा प्नताप म का थाना राजस्थान

महाभारत के अंतिम चकृवर्ती सम्राट और संपूर्ण भारत के आखरी हिन्दू महाराजा दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर का जन्म दिवस इस साल 28 जुलाई 2022 को हरियाली अमावस्या को मनाया जायेगा
– नरेन्द्र सिंह तोमर ” आनन्द”
दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर महाभारत के अंतिम चक्रवर्ती सम्राट थे ।
अंग्रेजों ने इन्हें दिल्ली का अंतिम हिंदू राजा और तोमरों का भारत पर राज करने वाला आखरी अंतिम राजवंश लिखा और कहा है ।
कुलगुरू व्यास जी के द्वारा अभिमंत्रित कील , व्यास जी के आदेश पर विक्रम संवत 1100 में केवल‌ 28 साल की उम्र में महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने दिल्ली मे़ किल्ली गाड़ी थी जिसे भीमलाट कहते हैं जो महरौली में कुतुब कांपलेक्स में स्थित है , महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने इस किल्ली पर अपनी तलवार की नोंक से लेख खोद दिया था जो आज भी उस पर अंकित है । इसके पास ही अपने कुल व राज पुरोहित पाठक पंडित के कहने और उनकी इच्छा के अनुसार इस किल्ली पर ही चतुर्भुजी महाविष्णु की गरूड़ पर सवार प्रतिमा विग्रह स्थापित कराया और पूजा के लिये बराबर ऊंचाई की मीनार उसके बगल में ही बनवाई जिसमें केवल सीढ़ीयां हैं , इस मीनार कांपलेक्स मे यानि मीनार के परिसर में ही 27 मंदिर पाठक पंडित राजपुरोहितों के लिये बनवाये । यह त्रिपुंड के 27 देवताओं और उनकी शक्तियों तथा योगनीयो़ के मंदिर थे । ( तोमरों के राजपुरोहित पाठकों के नाठ होने के बाद रूधावली अंबाह से राज के समय से तोमरों के कुल व राज पुरोहित अब तक उपाध्याय पंडित हैं )
चन्द्रवंश के प्रतापी सम्राट और पांडव अर्जुन के वंशज महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने सातों द्वीप और सातों समुद्र पर विजय पताका फहरा कर अपने आधीन राज्य किया और धर्मध्वजा ( पंच पताका केसरिया ध्वज – भगवान विष्णु और माता का रंग ही तोमरों का कुल का पंच पताका ध्वज है ) सभी दिशाओं मे फहराई । चंद्रमा और सात तारों यानि सप्तर्षि के निशान‌ वाला चौकोर हरा झंडा , गौ बच्छा रक्षा – तोमरो का राज चिह्न ) से सभी दिशायें चहुंओर चमक धमक कर फहरायमान हो उठीं ।
अंग्रेजों के मुताबिक राजपूत महाराजा अनंग पाल सिंह तोमर ने दिल्ली मे किल्ली सन 1150 के आस पास गाड़ी , तोमर क्षत्रिय राजपूतों की वंशावली के मुताबिक यह विक्रम संवत 1100 में दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने गाड़ी ।
दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर के भाई मदनपाल सिंह तोमर की दो बेटियों के पुत्र‌ पृथ्वीराज सिंह चौहान और जय चंद्र सिंह राठौर सगे मौसेरे भाई थे ।
दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर के बड़े पुत्र को घूरे पर फिंकवाया गया था और मृत बताया गया था , जिसे एक पठान‌ को महल की दासी ने दे दिया था और पालने पोसने को कहा था , जो आगे चलकर गजनी का सुल्तान बना और मोहम्मद गौरी कहलाया ।
महल में चल रहे षडयंत्रों के चलते कुल गुरू व्यास जी ने सावधान करते हुये महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर को कम से कम एक साल की तीर्थयात्रा के बहाने बाहर जाने और रहने का आदेश दिया जिससे उन्हें सुरक्षित रूप से पुत्र प्राप्ति हो सके ।
दिल्लीपति को 32 साल की उम्र में द्वितीय पूत्र सोनपाल सिंह तोमर की प्राप्ति चम्बल में अपने पुरखे महाराजा शांतनु और भरत के जन्मस्थान ( गढ़ चामल – वर्तमान में यह स्थान गुढ़ा चम्बल कहलाता है ) में निवास के दौरान हुई , वे उसे दिल्ली लेकर वापस पहुंचे , जहां पृथ्वीराज के मन में बेईमानी आ गयी और उसने दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर का सिंहासन उन्हें वापस लौटाने से इंकार कर दिया और युद्ध करने के बाद जीत कर सिंहासन वापस लेने का फरमान दिल्लीपति को सुना दिया , राजपुरोहित पाठक और कुलगुरू व्यास जी ने दिल्लीपति को दोहित्र के साथ युद्ध करने और उसका वध करने से रोक दिया और कहा कि इसके बाद तुम्हारे पुरखों को राजसूर्य यज्ञ करना पड़ा और स्वजन व पूजनीय लोगो़ के वध के पाप से मुक्ति हेतु कैलाश पर भगवान शंकर की शरण में जाना पड़ा और शंकर जी उन्हें देखकर छिपते भागते फिरे थे तब नंदी रूप धरे भगवान शंकर का कूबड़ ही पांडव पकड़ पाये और उनने वहां केदारनाथ बनवाया और शंकर जी के सींग पशुपतिनाथ मे निकले जहां पांडवों ने पशुपतिनाथ मंदिर बनवाया जिसकी पूजा करके ही वे पापमुक्त हुये , इसलिये इसके साथ युद्ध और इसका वध तुम्हारे लिये उचित नहीं है , यह तुमसे उम्र में भी काफी छोटा है ।
इसके बाद दिल्लीपति चंबल में‌ वापस आ गये और ऐसाह नामक स्थान पर‌ एक छोटा सा दुर्ग बनवाकर वहां अपनी राजधानी बनाई ।
उनके बड़े पुत्र ने पृथ्वीराज से बदला लिया , छोटे पुत्र सोनपाल का विवाह नरवर के कछवाहे राजा कीरतसेन की पुत्री ककनवती से हुआ , नाती सुल्तान शाह का विवाह करौली के जादौन राजा हमीर सिंह की पुत्री अकलकंवर से हुआ , उनके प्रपौत्र कंवरपाल का विवाह चित्तोड़गढ़ के सिसोदिया राजा रावल रतन सिंह सिसोदिया और महारानी पद्मिनी की एकमात्र पुत्री हेमावती से हुआ , उनके दो पुत्र रावल घाटम देव और रावल वीरम देव यानि वीर सिंह देव ने तोमरघार के 52, 84 और 120 गांव बसाये जिसे बावन बीसा सौं चौरासी की मशहूर तोमरघार कहते हैं ।
इसी ऐसाह गढ़ी के किले में विक्रम संवत 1199 में ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर मोक्षलोक वासी होकर विष्णुधाम चले गये ।
दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर की वंशावली के अनुसार उनका जन्म विक्रम संवत 1072 में हरियाली अमावस्या को सावन के महीने में दोपहर हुआ ।

नरेन्द्र सिंह तोमर “आनंद ” ( दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर की 23 वीं पीढ़ी )

साइबर क्राइम से बचने के तरीके तथा आपको इंटरनेट या आनलाइन या सोशल मीडिया पर हतोत्साहित करने वालों को , कार्यवाही न करने वाले पुलिस वालों को कैसे जेल भिजवायें


सायबर क्राइम और हेकिंग कैसे पहचानें और क्या कानूनी कार्यवाही करें कि हैकर्स और आनलाइन आपको सोशल मीडिया तथा अन्य जगह हतोत्साहित करने वाले क्रिमिनल्स को सजा दिलाकर जेल भिजवायें
‘ नरेन्द्र सिंह तोमर ” आनंद” एडवोकेट , सायबर क्राइम स्पेशलिस्ट एडवोकेट
बहुत खतरनाक है माइक्रोसाफ्ट का एज क्रोमियम ब्राउजर ….. हेकर्स के लिये बेहद आसान और प्राक्सी वेबसाइट … नकली वेबसाइटों की ओर रीडायरेक्ट करना …. नये एज क्रोमियम वेब ब्राउजर की विशेषता है , सेव्ड पासवर्ड का हैकर्स के लिये आसानी से इस्तेमाल करना तथा मनमाने नकली प्रदर्शन करना आदि नये एज क्रोमियम ब्राउजर की खासियतें हैं , बच कर रहिये , इसे एंटीवायरस भी सिक्यारिटी प्रदान नहीं करता है , इसमें व्हाटस वेब भी नहीं चलता है और इस एज क्रोमियम ब्राउजर को डिनाई कर देता है ,जबकि इसके उलट इंटरनेट एक्सप्लोरर , गूगल क्रोम ब्राउजर सही काम करते हैं , जबकि फायर फॉक्स को एंटीवायरस सिक्योरिटी प्रदान नहीं करता , हालांकि इसमें व्हाटस एप्प वेब सही चलता है …. अत: इंटरनेट इस्तेमाल करते समय या सर्फिंग करते समय ब्राउजर का चयन काफी सोच समझ कर करें और सिस्टम के सेव पासवर्डों को हर 36 र्घंटे पर बदलते रहें , हालांकि मात्र अकेला माइक्रोसाफ्ट अपने ई मेल में हर 72 घंटे पर पासवर्ड बदलने की सुविधा देता है लेकिन अन्य कोई नहीं , लिहाजा आप कोई सा अकाउंट इस्तेमाल करें दो चरणीय सत्यापन अवश्य लागू करें । हैकर इसके बाद अपने आपकी मोबाइल सिम को कनेक्ट करने/ हैक करने का प्रयास करेगा , आप बड़ी आसानी से पकड़ सकेंगें कि हैकर अगल बगल में है या दूर से रिमोट कंट्रोल किया जा रहा है , दूर से कंट्रोल करने वाला मोबाइल सिम कंट्रोल नहीं कर पायेगा और लोकल में ही अगर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनी का एजेंट या मांबाइल सिम बेचने वाले कारिंदे या इंटरनेट सामान रूटर या वायरलेस डिवाइसेज , कैमरे वाइफाइ या वेबकैम बेचने या इस्तेमाल करने वाले किसी के द्वारा गड़बड़ी की जा रही होगी तो आसानी से पकड़ में आ जायेगी , यह गड़बड़ी ट्रांसमिशन टावर से भी की जा रही होगी तो आसानी से पकड़ में लाने के लिये अपने मोबाइल फोन को एक टावर से दूसरे स्थान की ओर ले जाते वक्त स्विच आफ करके ले जाइये , दूसरे तीसरे चौथे टावर लोकेशन पर इसी तरह अलग अलग चेक कर लीजिये , गड़बड़ी वाला टावर आसानी से पकड़ में आ जायेगा , आपको आई टी एक्ट 2000 के संशोधित अधिनियम व सभी संशोधित प्रावधानों का बेहतर ज्ञान किसी अच्छे सायबर क्राइम स्पेशलिस्ट एडवोकेट से पाना चाहिये , उसके उपरांत ललिता कुमारी बनाम बिहार राज्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश और दिशा निर्देशों के अनुसार पुलिस को एफ आई आर देना चाहिये , सबूत इकठ्ठे करना पुलिस का काम है , यदि फॅिर भी पुलिस कार्यवाही न करे तो ललिता कुमारी बनाम बिहार राज्य के अनुसार आप पुलिस को केस देने के 15 दिन गुजरने ( 15 दिन गुजरने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने सन 2019 में जारी किया है ) के बाद कभी भी आप जिला अदालत में धारा 200 का परिवाद लायें और जिला अदालत उसे रिजेक्ट करे या न सुने तो हाईकोर्ट में धारा 482 की पिटीशन लायें हाईकोर्ट एफ आई आर दर्ज करने और विवेचना करने व उसका धारा 173 के तहत रिपोर्ट यानि कि चालान पेश करने का आदेश जारी करेगा । इसमें खास ख्याल रखने वाली बात यह होगी कि आपने खुद ने जो भी जानकारी या साक्ष्य या सबूत इकठ्ठे करें हैं उन्हें बाकायदा किसी तकनीकी स्पेश्लिस्ट या किसी ऐसे एडवोकेट की मदद से जिसने कि बी एस सी गणित से या इंजीनियरिंग करने के बाद एल एल बी की हो , उसकी सहायता से एक डायरी में सारे ब्यौरे कलमबद्ध कर लेने चाहिये , यह न केवल हाईकोर्ट में काम देंगें बल्कि बाद में एफ आई आर के अदालत में मुकदमें में यानि क्रिमिनल केस के रूप में चलने में मुलजिमों को सजा दिलाने में काम आयेंगेंं , क्योंकि इलेक्ट्रानिक एविडेसेज और इलेक्ट्रानिक रिकार्डस कितने भी बार डिलीट करने के बावजूद कभी ख्त्त्म नहीं होते , ये डिलीट हो जाने के बाद भी बड़ी आसानी से रिकवर हो जाते हैं । चूंकि इन मामलों में एफ आई आर दर्ज न करने वाले या इससे जिम्मेवार सभी पुलिस कर्मी भी इस अपराध में मुलजिम बनते हैं और उनकी नौकरी तो जाती ही है , वेतन पेंशन तो जप्त होते ही हैं , जेल भी तुरंत ही जाना पड़ता है , लिहाजा वे आखरी दम तक साक्ष्य सबूत नष्ट करेंगें और आपको अदालतों तक जाने से रोकेंगें ही , क्योंकि उन्हें अपनी हर चीज जाजी और सीधे सीधे सजा और जेल नजर आती है , इसलिये इस प्रकार के मामले में जिला स्तर पर भी और हाई कोर्ट के स्तर पर भी एडवोकेट सही सोचसमझ कर चयन करें , जिसे पुलिस के खिलाफ और सायबर क्राइमों का लड़ने का बेहतरीन ज्ञान और तजुर्बा हो । …….. नरेन्द्र सिंह तोमर ,एडवोकेट , म. प्र. उच्च न्यायालय , खंडपीठ ग्वालियर एवं समस्त अधीनस्थ जिला एवं सत्र न्यायालय ।

ब्लॉक चेन आधारित मतदान समाधान का उपयोग करने का प्रारंभिक विचार


दूरदराज के इलाकों में मतदान के प्रौद्योगिकीय पहलुओं पर विचार-विमर्श के लिए वेबिनार का आयोजन किया गया

प्रविष्टि तिथि: 11 AUG 2020 4:37PM ग्वालियर टाइम्स

निर्वाचन आयोग ने तमिलनाडु ई-गवर्नेंस एजेंसी के साथ मिलकर, 10 अगस्त 2020 को “टेक्नोलॉजी एस्पेक्ट ऑफ रिमोट वोटिंग: एक्सप्लोरिंग ब्लॉक चेन” पर एक वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार में, भारत और पूरी दुनिया के प्रौद्योगिकीविदों, शिक्षाविदों, नीति पेशेवरों, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों एक साथ भागीदार बनें। ब्लॉक चेन आधारित मतदान समाधान का उपयोग करने का प्रारंभिक विचार, 30 अक्टूबर 2019 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास में अपनी यात्रा के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त, श्री सुनील अरोड़ा के मन में प्रारंभिक चर्चा के दौरान आया।

 

इस वेबिनार में चुनाव आयुक्त, श्री सुशील चंद्रा ने मुख्य भाषण दिया। श्री चंद्रा ने चुनाव में ज्यादा से ज्यादा “चुनावी समावेशिता” को सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि भौगोलिक बाधाओं के कारण मतदाताओं की बड़ी संख्या अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर रही है। यह बात सामने आती है कि व्यवसाय, शिक्षा, चिकित्सा उपचार या अन्य कारणों से, मतदाता अपने वर्तमान पंजीकरण निवास स्थान वाले मतदाता सूची से कहीं अलग रहते हैं। श्री चंद्रा ने हालांकि इस बात पर भी बल दिया कि प्रौद्योगिकी आधारित समाधान तैयार करने के लिए प्राथमिक विचार “सभी हितधारकों के विश्वास को प्रेरित करने, चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को सुनिश्चित करने और मतपत्र की गोपनीयता और योग्यता को सुनिश्चित करने की क्षमता होनी चाहिए।” उन्होंने महसूस किया कि राजनीतिक दलों को यह आश्वस्त करने की भी आवश्यकता है कि यह प्रणाली छेड़छाड़ रहित और सुरक्षित है। श्री चंद्रा ने दूरदराज के क्षेत्रों में मतदान के संदर्भ में कहा कि यह पारंपरिक मतदान केंद्र से प्रस्थान करता है जो केवल एक भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि आयोग द्वारा इंटरनेट के माध्यम से घर पर रहकर मतदान करने की कल्पना नहीं की जा रही है। दूरस्थ मतदान परियोजना, अपने निर्दिष्ट मतदान केंद्रों से दूर रहने वालों के लिए सुरक्षित मतदान करने के लिए उन मतदाताओं को सक्षम बनाने की आकांक्षा रखती है। श्री चंद्रा ने आशा व्यक्त की कि विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श करके, आयोग को एक मजबूत दूरदराज के इलाकों में मतदान के लिए मॉडल तैयार करने में मदद मिलेगी जो कि ज्यादा समावेशी और सशक्त होगा।

 

इस वेबिनार में दुनिया भर के 800 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। वक्ताओं ने ब्लॉक चेन प्रौद्योगिकी के वैश्विक अनुभव पर, मापक्रमणीयता की संभावनाओं पर; डेटा गोपनीयता और व्यवस्थापन के मुद्दे पर; डेटा सुरक्षा; प्रमाणीकरण और सत्यापनता पर ध्यानाकर्षित किया। इस वेबिनार को भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, प्रो के विजय राघवन, आईआईटी भिलाई के निदेशक, प्रो रजत मूना, आईआईटी मद्रास के निदेशक, प्रो भास्कर राममूर्ति, ग्लोबल ब्लॉकचेन बिजनेस काउंसिल के सीईओ, सैंड्रा रो,  इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ट्रस्टेड ब्लॉकचेन एप्लीकेशंस के सदस्य, मोनिक बचनर, इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ट्रस्टेड ब्लॉकचैन एप्लिकेशन के सदस्य, इस्माईल एरिबास और कुनफुड स्पेनिश चैप्टर ऑफ गवर्नमेंट ब्लॉकचैन एप्लिकेशन के अध्यक्ष ने भी अलग-अलग सत्रों में संबोधित किया।

 

इस वेबिनार को निर्वाचन आयोग के आईटी डिवीजन के प्रभारी, उप निर्वाचन आयुक्त एसएच आशीष कुंद्रा द्वारा दूरदराज के इलाकों में मतदान के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ एक व्यापक परामर्श अभ्यास के रूप में बुलाया गया था।

क्यूं इक शेर को शेरनी तेरा इंतज़ार आज तलक है


दूसरी भाषा में कहें तो , जूता सोने का भी हो तो भी पैरों में ही जगह पायेगा और मुकुट भले ही तांबे का हो शीष पर ही धारण किया जायेगा , और शेर यानि सिंह जहां भी बैठेगा वह जगह सिंहासन ही कहलायेगी और बन जायेगी , अब कूकरासन और सियारासन यानि गोहदूआसन का अंदाजा आप खुद लगा लीजिये , सोने की बनी हीरों मोतियों से जड़ी कुर्सी पर अगर सियार या गोहदूआ बैठ जाये तो सिंहासन भी सियार आसन यानि गोहदू आसन बन जाता है और शेर यानि सिंह जमीन पर या पत्थर पर भी बैठ जाये तो वह जगह सिंहासन ही कहलाती है , बस इत्ता सा फर्क है , आदमी आदमी की तासीर और खालिस शख्स होने में, स्वामी दयानन्द सरस्वती ने और कवि बिहारी ने दो राजाओं को यही संदेश दिया था जब वे वैश्याओं के फंदे में फंस कर राजपाट भूल रंगरेलियों में खो गये थे कि शेर के अंकपाश में शेरनी का स्थान तो देखा सुना है मगर पहली दफा कुतिया की गोद में शेर को खेलते देख रहे हैं , बिहारी ने कागज की नाव पर इसका दोहा लिख कर राजा को तालाब के दूसरी ओर वैश्या के साथ लेटे राजा को भेजा तो दयानन्द सरस्वती ने इसे राजा की आरामगाह में घुस कर सीधे ही वैश्या के साथ लताड़ते हुये कहा , दोनों राजाओं की चेतना जागी और माना कि लोहे की अंगूठी में हीरे नहीं जड़े जा सकते और न सोने की अंगूठी में मामूली पत्थर लगाये जाते हैं ( सच्ची ऐतिहासिक घटनायें , स्कूली पाठ्यक्रम में पढ़ाईं जातीं हैं ) सो खुद को पहचानो , जो हो संगत वैसी ही मिलेगी और खिताब भी वही मयस्सर होगा , इसीलिये शेरों के अंकपाश में अपने आप शेरनी ही जगह पाती है और उनकी जनसंख्या बेहद कम होती है जबकि कुत्तों और सियारों की जनसंख्या ज्यादा , तासीर कम और स्थान गलियों मोहल्लों में और दुबक छिप कर जंगलों में रहता है , शेर शेरनी पूरे जंगल के बेताज बादशाह रहते हैं – नरेन्द्र सिंह तोमर ” आनन्द”

अब म.प्र. शासन की पॉाच लोक सेवायें , भारत सरकार के प्रोबोनो एडवोकेट के हवाले


अब म.प्र. शासन की पूरे मध्‍यप्रदेश की पॉंच लोकहितकारी सेवायें भी भारत सरकार के डिजिटल इंडिया को म.प्र. शासन द्वारा साौंपी गईं , ये सेवायें भाारत सरकार के न्‍याय विभाग , विधि एवंन्‍याय मंत्रालय के के तहत प्रोबो एडवोकेट के कार्यालय पर ई लोक सेवा केन्‍द्रों के माध्‍यम से उपलब्‍ध होंगी , हर सेवा की समयावधि निर्धारित है , उतने समय के अंदर यदि किसी को प्रमाणपत्र नहीं प्राप्‍त होता है या सेवा प्राप्‍त नहीं होती है तो सीधा एक्‍शन प्रोबोनो एडवोकेट कार्यालय द्वारा लिया जायेगा और दोषी के विरूद्ध सीधी कार्यवाही कर म.प्र. शासन के प्रमुख सचिव को , नगर निगम आयुक्‍त , जिला कलेक्‍टर , संभागीय कमिश्‍नर तथा , अपने न्‍याय विभाग भारत सरकार को की गई कार्यवाही से अवगत करा दिया जायेगा । जनता अपना आवेदन अब सीधे प्रोबोनो एडवोकेट के ई लोक सेवा केन्‍द्र पर निम्‍न चित्रानुसार प्रस्‍तुत कर सकती है । – नरेन्‍द्र सिंह तोमर , 42 गांधी कॉलोनी , मुरैना , म.प्र.

Pro Bono Advocate has been Lodged F. I. R to D. G. P. of Madhya Pradesh


प्रोबोनो एडवोकेट नरेन्द्र सिंह तोमर ने भारत सरकार की ओर से म. प्र. पुलिस के डी. जी. पी. के सायबर सेल में दर्ज कराई एफ. आई. आर. और एडिशनल इत्तलायें दीं. मामला सायबर क्राइम , आई. टी. एक्ट, आई. पी. सी. एवं लीगल एड सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट 1987. से संबंधित.

अब वकीलों को कोर्ट कैम्पोस में बैठकर दूकान सजा कर नहीं बैठना पड़ेगा, अब जिला न्यायालय भी ऑनलाइन हुये


अब जिला न्यासयालय भी ऑनलाइन हुये , जिला ई कोर्ट में भी अब इंटरनेट के जरिये ऑनलाइन ई फाइलिंग तथा हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की तरह सारी सुविधायें ई कोर्ट हुईं
अब वकीलों को कोर्ट कैम्पकस में बैठकर दूकान सजा कर नहीं बैठना पड़ेगा
मुरैना / ग्वाकलियर/ भि‍ण्डा / जबलपुर , भोपाल, इंदौर । 20 फरवरी 18. ( ग्वाधलियर टाइम्स ) म.प्र. हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर म.प्र. की जिला अदालतें ( जिला एवं सत्र न्यारयालयों को भी ई कोर्ट में तब्दी,ल कर दिया गया है और अब म.प्र. के जिला एवं सत्र न्यादयालयों में भी केसो की ई फाइलिंग, नकल प्रतिलिपि लेना , किसी भी प्रकार का आवेदन देना आदि, ई पेपरबुक आदि सभी सुविधायें अब इंटरनेट के जरिये ऑनलाइन फाइल किये जा सकेंगें , इसके अलावा न्या.यालय की फीस भी ऑनलाइन ही जमा होगी ।
अभी तक प्रोबोनो एडवोकेट लीगल एड सेवायें एवं सहायता केन्द्रों को दूसरे जिले का केस मिलने पर अनेक जगह काफी दूरियों पर स्वोयं उपस्िें त होना पड़ता था , इस सुविधा के जिला न्याजयालयों में लागू होने के बाद अब प्रोबोनो एडवोकेटस अपने कार्यालय से ही सभी प्रकार की ई फाइलिंग एवं आवेदन आदि किसी भी जिला एवं सत्र न्यालयालय में इंटरनेट के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत ई कोर्ट में दे सकेंगें , इसके अलावा वे कोर्ट भी ऑनलाइन ही बदल सकेंगें , जिस कोर्ट में उन्हें मामला सुनवाई उपयुक्त व उचि‍त जान पड़ेगी , या जिस जिला में केस सुना जाना चाहिये उसमें वे केस ऑनलाइन ही ट्रांसफर कर सकेंगें । यह सुविधा एकदम उसी तरह है जैसे कि वर्तमान में हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट मं बेंच बदलने के लिये है ।
अब म.प्र. की जिला अदालतों में एडवोकेट का यूजर आई. डी. और पासवर्ड वही रहेगा जो कि उन्हें म.प्र. हाईकोर्ट के लिये प्राप्तप हुआ था , वे म.प्र. हाईकोर्ट से प्राप्तर यूजर आई. डी. व पासवर्ड का इस्तेरमाल कर ही किसी भी जिला न्या यालय में लॉगिन कर सकेंगें । उन्हे अलग से यूजर आई. डी. व पासवर्ड नहीं लेना होगा । जबकि सुप्रीम कोर्ट ऑफ इण्ि प्या का ए.ओ.आर. ( एडवोकेट ऑन रोल) यूजर आई. डी. व पासवर्ड पहले से ही अलग है , वह अलग व गुप्त ही रहेगा और सुप्रीम कोर्ट के लिये ही लॉगिन हेतु रहेगा ।
हालांकि आधि‍कारिक व घोषणा के तौर पर यह सुविधा जिला न्याूयालयों में शुरू कर दी गई है , और म.प्र. हाईकोर्ट की यूजर आई.डी. और पासवर्ड प्राप्त एडवोकेटस एवं प्रोबोनो लीगल एड एवं सर्वि‍सेज के लिये यह लिंक्स ओपन हो रहीं हैं, किन्तुई व्यारवहारिक तौर पर अभी कई जिला न्या‍यालयों में बहुत तेजी से इस पर काम चल रहा है और इस समय हर जिला कोर्ट में ई फाइलिंग व अन्यक ई कार्य हेतु अभी ई फाइलिंग लिंक्सं आनलाइन नहीं की गई हैं , केवल ई कॉमर्स कोर्ट की लिंक ही प्रदर्शिइत होती है , ऐसी दशा में ई एडवोकेटस , म.प्र. हाईकोर्ट की संबंधि‍त बेंच के वेब पोर्टल पर उपलब्ध सुपवधाओं के जरिये अधनीस्थव जिला न्या यालय के वेबपोर्टल पर इन सुविधाओं का उपयोग कर जरिये म.प्र. हाईकोर्ट अपना केस ई फाइल व अन्यस सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं ।
इस प्रक्रिया के ऑनलाइन होते ही , जिला न्या यालयों में स्वकत: ही वकीलों का बैठना बंद और इंटरनेट पर काम करना व आई.सीटी. में सुप्रशि‍क्षि त होना अनिवार्य हो जायेगा ।

Govardhan Giriraj Ji Ki Parikrama Part – 2


शनीचरी अमावस 19 नवंबर को, शनिधाम में ये उपाय करें


श्री गोवर्धन गिरिराज की परिक्रमा


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