महाभारत के अंतिम चकृवर्ती सम्राट और संपूर्ण भारत के आखरी हिन्दू महाराजा दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर का जन्म दिवस इस साल 28 जुलाई 2022 को हरियाली अमावस्या को मनाया जायेगा


दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर , प्रतिमा चित्र तंवरावाटी राजपूताना महाराणा प्नताप म का थाना राजस्थान

महाभारत के अंतिम चकृवर्ती सम्राट और संपूर्ण भारत के आखरी हिन्दू महाराजा दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर का जन्म दिवस इस साल 28 जुलाई 2022 को हरियाली अमावस्या को मनाया जायेगा
– नरेन्द्र सिंह तोमर ” आनन्द”
दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर महाभारत के अंतिम चक्रवर्ती सम्राट थे ।
अंग्रेजों ने इन्हें दिल्ली का अंतिम हिंदू राजा और तोमरों का भारत पर राज करने वाला आखरी अंतिम राजवंश लिखा और कहा है ।
कुलगुरू व्यास जी के द्वारा अभिमंत्रित कील , व्यास जी के आदेश पर विक्रम संवत 1100 में केवल‌ 28 साल की उम्र में महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने दिल्ली मे़ किल्ली गाड़ी थी जिसे भीमलाट कहते हैं जो महरौली में कुतुब कांपलेक्स में स्थित है , महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने इस किल्ली पर अपनी तलवार की नोंक से लेख खोद दिया था जो आज भी उस पर अंकित है । इसके पास ही अपने कुल व राज पुरोहित पाठक पंडित के कहने और उनकी इच्छा के अनुसार इस किल्ली पर ही चतुर्भुजी महाविष्णु की गरूड़ पर सवार प्रतिमा विग्रह स्थापित कराया और पूजा के लिये बराबर ऊंचाई की मीनार उसके बगल में ही बनवाई जिसमें केवल सीढ़ीयां हैं , इस मीनार कांपलेक्स मे यानि मीनार के परिसर में ही 27 मंदिर पाठक पंडित राजपुरोहितों के लिये बनवाये । यह त्रिपुंड के 27 देवताओं और उनकी शक्तियों तथा योगनीयो़ के मंदिर थे । ( तोमरों के राजपुरोहित पाठकों के नाठ होने के बाद रूधावली अंबाह से राज के समय से तोमरों के कुल व राज पुरोहित अब तक उपाध्याय पंडित हैं )
चन्द्रवंश के प्रतापी सम्राट और पांडव अर्जुन के वंशज महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने सातों द्वीप और सातों समुद्र पर विजय पताका फहरा कर अपने आधीन राज्य किया और धर्मध्वजा ( पंच पताका केसरिया ध्वज – भगवान विष्णु और माता का रंग ही तोमरों का कुल का पंच पताका ध्वज है ) सभी दिशाओं मे फहराई । चंद्रमा और सात तारों यानि सप्तर्षि के निशान‌ वाला चौकोर हरा झंडा , गौ बच्छा रक्षा – तोमरो का राज चिह्न ) से सभी दिशायें चहुंओर चमक धमक कर फहरायमान हो उठीं ।
अंग्रेजों के मुताबिक राजपूत महाराजा अनंग पाल सिंह तोमर ने दिल्ली मे किल्ली सन 1150 के आस पास गाड़ी , तोमर क्षत्रिय राजपूतों की वंशावली के मुताबिक यह विक्रम संवत 1100 में दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने गाड़ी ।
दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर के भाई मदनपाल सिंह तोमर की दो बेटियों के पुत्र‌ पृथ्वीराज सिंह चौहान और जय चंद्र सिंह राठौर सगे मौसेरे भाई थे ।
दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर के बड़े पुत्र को घूरे पर फिंकवाया गया था और मृत बताया गया था , जिसे एक पठान‌ को महल की दासी ने दे दिया था और पालने पोसने को कहा था , जो आगे चलकर गजनी का सुल्तान बना और मोहम्मद गौरी कहलाया ।
महल में चल रहे षडयंत्रों के चलते कुल गुरू व्यास जी ने सावधान करते हुये महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर को कम से कम एक साल की तीर्थयात्रा के बहाने बाहर जाने और रहने का आदेश दिया जिससे उन्हें सुरक्षित रूप से पुत्र प्राप्ति हो सके ।
दिल्लीपति को 32 साल की उम्र में द्वितीय पूत्र सोनपाल सिंह तोमर की प्राप्ति चम्बल में अपने पुरखे महाराजा शांतनु और भरत के जन्मस्थान ( गढ़ चामल – वर्तमान में यह स्थान गुढ़ा चम्बल कहलाता है ) में निवास के दौरान हुई , वे उसे दिल्ली लेकर वापस पहुंचे , जहां पृथ्वीराज के मन में बेईमानी आ गयी और उसने दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर का सिंहासन उन्हें वापस लौटाने से इंकार कर दिया और युद्ध करने के बाद जीत कर सिंहासन वापस लेने का फरमान दिल्लीपति को सुना दिया , राजपुरोहित पाठक और कुलगुरू व्यास जी ने दिल्लीपति को दोहित्र के साथ युद्ध करने और उसका वध करने से रोक दिया और कहा कि इसके बाद तुम्हारे पुरखों को राजसूर्य यज्ञ करना पड़ा और स्वजन व पूजनीय लोगो़ के वध के पाप से मुक्ति हेतु कैलाश पर भगवान शंकर की शरण में जाना पड़ा और शंकर जी उन्हें देखकर छिपते भागते फिरे थे तब नंदी रूप धरे भगवान शंकर का कूबड़ ही पांडव पकड़ पाये और उनने वहां केदारनाथ बनवाया और शंकर जी के सींग पशुपतिनाथ मे निकले जहां पांडवों ने पशुपतिनाथ मंदिर बनवाया जिसकी पूजा करके ही वे पापमुक्त हुये , इसलिये इसके साथ युद्ध और इसका वध तुम्हारे लिये उचित नहीं है , यह तुमसे उम्र में भी काफी छोटा है ।
इसके बाद दिल्लीपति चंबल में‌ वापस आ गये और ऐसाह नामक स्थान पर‌ एक छोटा सा दुर्ग बनवाकर वहां अपनी राजधानी बनाई ।
उनके बड़े पुत्र ने पृथ्वीराज से बदला लिया , छोटे पुत्र सोनपाल का विवाह नरवर के कछवाहे राजा कीरतसेन की पुत्री ककनवती से हुआ , नाती सुल्तान शाह का विवाह करौली के जादौन राजा हमीर सिंह की पुत्री अकलकंवर से हुआ , उनके प्रपौत्र कंवरपाल का विवाह चित्तोड़गढ़ के सिसोदिया राजा रावल रतन सिंह सिसोदिया और महारानी पद्मिनी की एकमात्र पुत्री हेमावती से हुआ , उनके दो पुत्र रावल घाटम देव और रावल वीरम देव यानि वीर सिंह देव ने तोमरघार के 52, 84 और 120 गांव बसाये जिसे बावन बीसा सौं चौरासी की मशहूर तोमरघार कहते हैं ।
इसी ऐसाह गढ़ी के किले में विक्रम संवत 1199 में ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर मोक्षलोक वासी होकर विष्णुधाम चले गये ।
दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर की वंशावली के अनुसार उनका जन्म विक्रम संवत 1072 में हरियाली अमावस्या को सावन के महीने में दोपहर हुआ ।

नरेन्द्र सिंह तोमर “आनंद ” ( दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर की 23 वीं पीढ़ी )

राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण अकादमी की बेंगलुरु में ई-आधारशिला रखी गई


04 SEP 2020 Gwalior Times

आर.यू.डी.एस.ई.टी.आई. (एनएआर) की राष्ट्रीय अकादमी के नए प्रशिक्षण संस्थान भवन की कल ई-आधारशिला रखने का समारोह आयोजित किया गया। एनएआर ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों (585 आर.एस.ई.टी.आई. देश के 566 जिलों में स्थित हैं), राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश, ग्रामीण आजीविका मिशन के कर्मचारियों और संबंधित बैंक अधिकारियों की ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से निगरानी, ​​सलाह और क्षमता निर्माण का कार्य करता है।

    प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सचिव, ग्रामीण विकास, भारत सरकार, श्री नागेंद्र नाथ सिन्हा ने जोर देकर कहा कि आर.एस.ई.टी.आई. एक अनूठी पहल है जिसमें राज्य सरकारें, केन्‍द्र सरकार और वाणिज्यिक बैंक, ग्रामीण गरीबी के मुद्दे से निटपने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने देश में बेरोजगारी की समस्या को कम करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने में आर.एस.ई.टी.आई. के महत्व का भी उल्लेख किया। आर.एस.ई.टी.आई. की गतिविधियों के मानकीकरण में एन.ए.आर. की भूमिका की प्रशंसा करते हुए उन्होंने एन.ए.आर. को इस दिशा में अपने प्रयास तेज करने की सलाह दी और ये अनुभव किया कि एन.ए.आर. के नए परिसरों की स्थापना से इस बारे में अच्छी सहायता मिलेगी।

     वर्तमान में ये प्रशिक्षण बेंगलुरु या राज्य/ केन्‍द्रशासित प्रदेशों में किराए के विभिन्न परिसरों में आयोजित किए जाते हैं। इस प्रस्‍तावित परिसर का विकास सुंदर बागों के शहर बेंगलुरु में 25 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। यह परिसर क्षमता निर्माण की एक प्रमुख समस्‍या का समाधान करेगा। इस कार्यक्रम में एन.ए.आर. के अध्‍यक्ष पद्मविभूषण डॉ. डी. वीरेंद्र हेगड़े और केनरा बैंक की कार्यकारी निदेशक सुश्री ए. मणिमेखलाई की गरिमामयी उपस्थिति रही।

    एन.ए.आर. के अध्‍यक्ष डॉ. डी वीरेंद्र हेगड़े ने सफल रुडसेटी मॉडल को अपनाने के लिए सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण की सराहना करते हुए यह स्‍मरण किया कि किस प्रकार यह अच्‍छी प्रतिकृति आर.एस.ई.टी.आई. के रूप में लाखों ग्रामीण बेरोजगार युवाओं के जीवन को संवार रही है। उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्रालय की आर.एस.ई.टी.आई. मॉडल स्‍वीकार करने के लिए सभी बैंकों को सुनिश्चित करने में निभाई गई महत्‍वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। इसी के परिणामस्‍वरूप देश में उद्यमिता विकास प्रशिक्षण के बड़े नेटवर्क की स्थापना हुई है।

    केनरा बैंक की कार्यकारी निदेशक, सुश्री ए मणिमेखलाई  ने वर्षों से एनएआर की भूमिका की प्रशंसा करते हुए यह आश्वासन दिया कि कैनरा बैंक भविष्य के प्रयासों में भी पूरा सहयोग देगा। उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्रालय, डॉ. हेगड़े और आर.एस.ई.टी.आई. को प्रायोजित करने वाले बैंकों को धन्यवाद दिया। उन्‍होंने एन.ए.आर. को आर.ए.एसटीआई के इस आंदोलन में सभी हितधारकों की एकता का प्रतीक बताया। सभी गणमान्य व्यक्तियों ने एनएआर के लिए एक नए युग को चिह्नित करते हुए आधारशिला का वर्चुअल अनावरण किया।

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ब्लॉक चेन आधारित मतदान समाधान का उपयोग करने का प्रारंभिक विचार


दूरदराज के इलाकों में मतदान के प्रौद्योगिकीय पहलुओं पर विचार-विमर्श के लिए वेबिनार का आयोजन किया गया

प्रविष्टि तिथि: 11 AUG 2020 4:37PM ग्वालियर टाइम्स

निर्वाचन आयोग ने तमिलनाडु ई-गवर्नेंस एजेंसी के साथ मिलकर, 10 अगस्त 2020 को “टेक्नोलॉजी एस्पेक्ट ऑफ रिमोट वोटिंग: एक्सप्लोरिंग ब्लॉक चेन” पर एक वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार में, भारत और पूरी दुनिया के प्रौद्योगिकीविदों, शिक्षाविदों, नीति पेशेवरों, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों एक साथ भागीदार बनें। ब्लॉक चेन आधारित मतदान समाधान का उपयोग करने का प्रारंभिक विचार, 30 अक्टूबर 2019 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास में अपनी यात्रा के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त, श्री सुनील अरोड़ा के मन में प्रारंभिक चर्चा के दौरान आया।

 

इस वेबिनार में चुनाव आयुक्त, श्री सुशील चंद्रा ने मुख्य भाषण दिया। श्री चंद्रा ने चुनाव में ज्यादा से ज्यादा “चुनावी समावेशिता” को सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि भौगोलिक बाधाओं के कारण मतदाताओं की बड़ी संख्या अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर रही है। यह बात सामने आती है कि व्यवसाय, शिक्षा, चिकित्सा उपचार या अन्य कारणों से, मतदाता अपने वर्तमान पंजीकरण निवास स्थान वाले मतदाता सूची से कहीं अलग रहते हैं। श्री चंद्रा ने हालांकि इस बात पर भी बल दिया कि प्रौद्योगिकी आधारित समाधान तैयार करने के लिए प्राथमिक विचार “सभी हितधारकों के विश्वास को प्रेरित करने, चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को सुनिश्चित करने और मतपत्र की गोपनीयता और योग्यता को सुनिश्चित करने की क्षमता होनी चाहिए।” उन्होंने महसूस किया कि राजनीतिक दलों को यह आश्वस्त करने की भी आवश्यकता है कि यह प्रणाली छेड़छाड़ रहित और सुरक्षित है। श्री चंद्रा ने दूरदराज के क्षेत्रों में मतदान के संदर्भ में कहा कि यह पारंपरिक मतदान केंद्र से प्रस्थान करता है जो केवल एक भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि आयोग द्वारा इंटरनेट के माध्यम से घर पर रहकर मतदान करने की कल्पना नहीं की जा रही है। दूरस्थ मतदान परियोजना, अपने निर्दिष्ट मतदान केंद्रों से दूर रहने वालों के लिए सुरक्षित मतदान करने के लिए उन मतदाताओं को सक्षम बनाने की आकांक्षा रखती है। श्री चंद्रा ने आशा व्यक्त की कि विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श करके, आयोग को एक मजबूत दूरदराज के इलाकों में मतदान के लिए मॉडल तैयार करने में मदद मिलेगी जो कि ज्यादा समावेशी और सशक्त होगा।

 

इस वेबिनार में दुनिया भर के 800 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। वक्ताओं ने ब्लॉक चेन प्रौद्योगिकी के वैश्विक अनुभव पर, मापक्रमणीयता की संभावनाओं पर; डेटा गोपनीयता और व्यवस्थापन के मुद्दे पर; डेटा सुरक्षा; प्रमाणीकरण और सत्यापनता पर ध्यानाकर्षित किया। इस वेबिनार को भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, प्रो के विजय राघवन, आईआईटी भिलाई के निदेशक, प्रो रजत मूना, आईआईटी मद्रास के निदेशक, प्रो भास्कर राममूर्ति, ग्लोबल ब्लॉकचेन बिजनेस काउंसिल के सीईओ, सैंड्रा रो,  इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ट्रस्टेड ब्लॉकचेन एप्लीकेशंस के सदस्य, मोनिक बचनर, इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ट्रस्टेड ब्लॉकचैन एप्लिकेशन के सदस्य, इस्माईल एरिबास और कुनफुड स्पेनिश चैप्टर ऑफ गवर्नमेंट ब्लॉकचैन एप्लिकेशन के अध्यक्ष ने भी अलग-अलग सत्रों में संबोधित किया।

 

इस वेबिनार को निर्वाचन आयोग के आईटी डिवीजन के प्रभारी, उप निर्वाचन आयुक्त एसएच आशीष कुंद्रा द्वारा दूरदराज के इलाकों में मतदान के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ एक व्यापक परामर्श अभ्यास के रूप में बुलाया गया था।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि मेघ का किया शुभारम्भ


केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि मेघ का किया शुभारम्भ

नए भारत की डिजिटल कृषि की दिशा में उठाया गया एक कदम है कृषि मेघ : श्री तोमर

प्रविष्टि तिथि: 11 AUG 2020 6:11PM by ग्वालियर टाइम्स एवं चम्बल की आवाज

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज वर्चुअल माध्यम से केवीसी एल्युनेट (कृषि विश्वविद्यालय छात्र एल्युम्नी नेटवर्क) और उच्च कृषि शिक्षण संस्थानों के लिए ऑनलाइन प्रत्यायन प्रणाली (एचईआई) के साथ ही कृषि मेघ (राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा व्यवस्था- क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं) का शुभारम्भ किया।

केन्द्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत सरकार-विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना को कृषि विद्यालयों के विद्यार्थियों को ज्यादा औचित्यपूर्ण और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से देश में राष्ट्रीय कृषि शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए डिजाइन किया गया है, जो देश की नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप है। श्री तोमर ने महत्वपूर्ण अनुसंधान आधारित डाटा डिजिटल रूप में सुरक्षित एवं संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे उस तक देश और दुनिया के किसी भी कोने से पहुंच हासिल की जा सके। उन्होंने कृषि में निजी निवेश को सक्षम बनाने पर भी जोर दिया। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि मेघ नए भारत की डिजिटल कृषि की दिशा में उठाया गया एक कदम है, जिसकी कल्पना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई है।

 

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कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि 2-3 आईसीएआर संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा वाले अनुसंधान केंद्र के रूप में तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने अनुसंधानकर्ताओं को रियल टाइम आधार पर डाटा उपलब्ध कराए जाने पर भी जोर दिया।

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने कृषि मेघ की स्थापना के लिए आईसीएआर की सराहना की, जो आईसीएआर- भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के आईसीएआर डाटा सेंटर को आईसीएआर- राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद के डिजास्टर रिकवरी केन्द्र के साथ एकीकृत करता है। केन्द्रीय मंत्री ने इस पहल को कृषि में एक क्रांति के रूप में संबोधित किया।

सचिव (डेयर) और महानिदेशक (आईसीएआर) डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने 58 विश्वविद्यालयों का उल्लेख किया, जिन्हें आईसीएआर राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी) के अंतर्गत विभिन्न श्रेणियों में सहयोग दिया गया है। महानिदेशक ने लगभग 377 विद्यार्थियों (यूजी, पीजी और पीएचडी) का उल्लेख किया, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण/इंटर्नशिप हासिल की है और उन्हें विभिन्न अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के लगभग 120 संकाय सदस्यों ने प्रशिक्षण दिया है। उन्होंने इंटरनेट तकनीक/ डिजिटलीकरण के अधिकतम उपयोग पर भी जोर दिया। डॉ. महापात्रा ने कृषि मेघ की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डाला, जो छवि विश्लेषण, पशुओं में बीमारी की पहचान आदि के माध्यम से एप्लीकेशन आधारित डीप लर्निंग के विकास और लागू करने के लिए नवीनतम एआई/डीप लर्निंग सॉफ्टवेयर/ टूल किट्स से युक्त हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृषि मेघ किसानों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और नीति निर्माताओं को आईसीएआर संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा डिजिटल माध्यम से कृषि, शोध, शिक्षा एवं विस्तार के संबंध में जारी अद्यतन एवं ताजा जानकारी हासिल करने में सक्षम बनाने के लिए डिजिटल इंडिया में एक नया अध्याय है।

इससे पहले, अपने उद्घाटन भाषण में आईसीएआर के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. आर सी अग्रवाल ने कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य के बारे में बताया। उन्होंने केवीसी एल्युनेट के विकास पर प्रकाश डाला, जो कृषि विश्वविद्यालयों के पूर्व छात्रों के लिए सोशल नेटवर्किंग के विचार का परिणाम है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इससे 74 कृषि विश्वविद्यालयों के सभी पूर्व छात्र एक दूसरे से जुड़ने में सक्षम होंगे और इससे विद्यार्थियों को इंटर्नशिप, नियुक्तियों में सहायता मिलेगी, साथ ही उन्हें पूर्व छात्रों का सहयोग भी हासिल होगा।

विश्व बैंक के टास्क टीम लीडर श्री एडवर्ड विलियम ब्रेसन्यान ने आईसीएआर की पहल को परिवर्तनकारी बताते हुए कहा कि इससे कृषि शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव आएगा। आईसीएआर और उसके संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से भागीदारी की।

कृषि मेघ की प्रमुख विशेषताएं

  1. राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा व्यवस्था (एनएआरईएस) की डिजिटल कृषि की सेवाओं और बुनियादी ढांचा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 2012 के दौरान विकसित वर्तमान डाटा सेंटर (आईसीएआर-डीसी) को क्लाउड कम्प्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ मजबूत बनाया जाएगा।
  2. एनएआरईएस- क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विसेस अपने घटकों आईसीएआर-डीसी और आईसीएआर-कृषि मेघ के साथ ई-ऑफिस, आईसीएआर- ईआरपी, शिक्षा पोर्टल, केवीके पोर्टल और मोबाइल ऐप्स, आईसीएआर संस्थान की वेबसाइट, अकादमी प्रबंधन प्रणाली, एल्युमनी पोर्टल, परास्नातक और स्नातक आदि स्तरों के ई-कोर्सेस जैसे अहम एप्लीकेशन को लागू करने के साथ एनएआरईएस प्रणाली की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मजबूत और गतिशील प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है।
  3. एनएएचईपी के अंतर्गत आईसीएआर डाटा केन्द्र की पहुंच में विस्तार के साथ कृषि विश्वविद्यालय अपनी वेबसाइट और आईटी समाधान चलाने में सक्षम हो जाएंगे।
  4. वर्तमान कोविड-19 महामारी के दौर में आईटी एप्लीकेशंस की 24×7 उपलब्धता के माध्यम से घर से काम करने के साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साथी वैज्ञानिकों के साथ सहयोग संभव हुआ।
  5. आईसीएआर- आईएएसआरआई, नई दिल्ली के आईसीएआर- डाटा सेंटर के साथ जोड़े गए एनएएआरएम हैदराबाद स्थित आईसीएआर- कृषि मेघ का निर्माण भारत में कृषि के क्षेत्र में जोखिम कम करने, गुणवत्ता बढ़ाने, ई-प्रशासन की उपलब्धता और पहुंच, शोध, विस्तार एवं शिक्षा के लिए किया गया है।
  6. एनएएआरएम हैदराबाद को चुना गया है, क्योंकि आईसीएआर-आईएएसआरआई, नई दिल्ली के आईसीएआर- डाटा सेंटर से संबंधित विभिन्न भूकंपीय क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है। हैदराबाद भी इसके लिए उपयुक्त है, क्योंकि निम्न आर्द्रता स्तर जैसी अन्य उपयुक्त पर्यावरण स्थितियों के साथ ही कुशल कार्यबल उपलब्ध हैं। यहां के आर्द्रता स्तर को डाटा सेंटर के पर्यावरण के साथ नियंत्रित किया जा सकता है।
  7. इन नए केन्द्र में छवि विश्लेषण के माध्यम से बीमारी और पेस्ट की पहचान, फलों की परिपक्वता और उनके पकने का पता लगाने, पशुओं आदि में बीमारी की पहचान आदि से जुड़े डीप लर्निंग बेस्ड एप्लीकेशंस के विकास और उपयोग के लिए नवीनतम एआई/ डीप लर्निंग सॉफ्टवेयर/ टूल किट्स मौजूद हैं।

अटल नवाचार मिशन और डेल टेक्नोलॉजिज ने विद्यार्थी उद्यमशीलता कार्यक्रम 2.0 का शुभारम्भ किया


अटल नवाचार मिशन और डेल टेक्नोलॉजिज ने विद्यार्थी उद्यमशीलता कार्यक्रम 2.0 का शुभारम्भ किया

प्रविष्टि तिथि: 11 AUG 2020 6:16PM by Gwalior Times

अटल नवाचार मिशन (एआईएम), नीति आयोग ने डेल टेक्नोलॉजिज के साथ भागीदारी में अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) के युवा नवाचारकर्ताओं (अन्वेषकों) के लिए आज विद्यार्थी उद्यमशीलता कार्यक्रम 2.0 (एसईपी 2.0) का शुभारम्भ किया।

एसईपी 1.0 की शानदार सफलता के बाद नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, डेल टेक्नोलॉजिज के अध्यक्ष व एमडी आलोक ओरी, एआईएम के मिशन निदेशक आर रमणन और लर्निंग लिंक्स फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. अंजलि प्रकाश की उपस्थिति में इसकी दूसरी श्रृंखला की शुरुआत की गई।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा, “आज, मैं आशावाद से भरा हुआ हूं क्योंकि मैंने एटीएल के युवा अन्वेषकों द्वारा किए गए भरोसेमंद नवाचार देखे हैं। इन अन्वेषकों ने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया है। जब नागरिकों के सामने आ रही चुनौतियों से अपरंपरागत रूप से निबटने का अवसर मिले तो इस देश के युवा बच्चे काफी कुछ हासिल कर सकते हैं। हमने जब एसईपी 1.0 का समापन किया और एसईपी 2.0 का शुभारम्भ किया है, ऐसे में मैं इन नवाचारों के देश पर पड़ने वाले असर को देखकर खासा उत्साहित हूं।”

एसईपी 2.0 से विद्यार्थी अन्वेषकों को डेल के स्वयंसेवकों के साथ मिलकर काम करने का मौका मिलेगा। उन्हें संरक्षण; प्रोटोटाइपिंग और परीक्षण समर्थन; एंड यूजर फीडबैक;बौद्धिक संपदा पंजीकरण और आइडिया, प्रक्रियाओं और उत्पादों का पेटेंट संरक्षण हासिल करने;विनिर्माण सहयोग के साथ ही बाजार में उत्पाद के लॉन्च में भी सहयोग हासिल होगा।

डेल टेक्नोलॉजिज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आलोक ओरी ने कहा, “डेल अपने अनुभवों के सहारे विद्यार्थियों को सशक्त बनाने के लिए नवीन तकनीकों का उपयोग कर रही है। जिससे उन्हें नवाचार की मानसिकता विकसित की जा सके। हम पहले विद्यार्थी उद्यमशीलता कार्यक्रम के निष्कर्षों से खासे खुश हैं और अगले बैच की उपलब्धियों का इंतजार कर रहे हैं। नीति आयोग के साथ हमारी मजबूत भागीदारी से सामाजिक हित और नए उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के लिए अपने तकनीक के विजन का विस्तार हो रहा है।”

इस अवसर पर अपने संबोधन में एआईएम मिशन निदेशक आर. रमणन ने कहा, “नवाचार मिशन का उद्देश्य देश में एक मिलियन नए अन्वेषक और संभावित रोजगार देने वाले तैयार करना है। डेल टेक्नोलॉजिज के साथ हमारी भागीदारी के तहत विद्यार्थी उद्यमशीलता कार्यक्रम के माध्यम से युवा स्कूली विद्यार्थियों को प्रोत्साहन के द्वारा युवा अटल टिंकरिंग लैब अन्वेषकों की उद्यमी क्षमताओं में बढ़ोतरी हो रही है। इसके साथ ही देश भर की नई प्रतिभाओं के लिए एक नवीन मंच तैयार हुआ है।”

एसईपी 1.0 की शुरुआत जनवरी, 2019 में हुई थी। 10 महीने लंबे कठिन कार्यक्रम के माध्यम से एक देशव्यापी प्रतियोगिता-एटीएल मैराथन के शीर्ष छह दलों को नवीन प्रोटोटाइप्स को पूरी तरह कार्यशील उत्पादों में परिवर्तित करने का मौका मिला, जो अब बाजार में उपलब्ध हैं। इस प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने सामुदायिक चुनौतियों की पहचान की और एटीएल के अंतर्गत जमीनी स्तर पर नवाचार और समाधान तैयार किए गए।

एटीएल मैराथन के पिछले सीजन में लगभग 1,500 नवाचार जमा किए गए थे। दो कठिन चरणों के बाद, 50 दलों को विद्यार्थी अन्वेषक कार्यक्रम के लिए चुना गया था। 75 प्रतिशत से ज्यादा विजेता दल टियर-2 शहरों और/ या ग्रामीण क्षेत्रों से और 60 प्रतिशत से ज्यादा सरकारी स्कूलों से थे। विजेता दल में लगभग 46 प्रतिशत बालिकाएं थीं। फिर अटल इनक्यूबेशन केन्द्रों ने विद्यार्थी अन्वेषक कार्यक्रम के माध्यम से कई महीनों तक संरक्षण दिया गया था। इस क्रम में, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा 14 नवंबर, 2019 को आठ शीर्ष दलों को राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया गया था। शीर्ष 8 दल अब एसईपी 2.0 के माध्यम से अपने प्रोटोटाइप्स को उत्पाद के स्तर पर ले जाएंगे।

एआईएम के मिशन निदेशक आर. रमणन ने छह दलों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “पिछले कुछ महीनों में, आपने एक उद्यमी बनने के लिए धैर्य और उत्साह दिखाया है। अपनी दृढ़ता के परिणाम स्वरूप आप अपने स्टार्टअप्स और उद्यमों के ‘सह संस्थापक’ बन गए हैं। आत्मनिर्भर भारत का यही सार है।” उन्होंने कहा कि उद्योग के साथ इस तरह की भागीदारियां युवा विद्यार्थियों को प्रोत्साहन देने के लिए अहम हैं और इससे हमारा ग्रह एक बेहतर स्थान बनने में सक्षम हो जाएगा।

अब म.प्र. शासन की पॉाच लोक सेवायें , भारत सरकार के प्रोबोनो एडवोकेट के हवाले


अब म.प्र. शासन की पूरे मध्‍यप्रदेश की पॉंच लोकहितकारी सेवायें भी भारत सरकार के डिजिटल इंडिया को म.प्र. शासन द्वारा साौंपी गईं , ये सेवायें भाारत सरकार के न्‍याय विभाग , विधि एवंन्‍याय मंत्रालय के के तहत प्रोबो एडवोकेट के कार्यालय पर ई लोक सेवा केन्‍द्रों के माध्‍यम से उपलब्‍ध होंगी , हर सेवा की समयावधि निर्धारित है , उतने समय के अंदर यदि किसी को प्रमाणपत्र नहीं प्राप्‍त होता है या सेवा प्राप्‍त नहीं होती है तो सीधा एक्‍शन प्रोबोनो एडवोकेट कार्यालय द्वारा लिया जायेगा और दोषी के विरूद्ध सीधी कार्यवाही कर म.प्र. शासन के प्रमुख सचिव को , नगर निगम आयुक्‍त , जिला कलेक्‍टर , संभागीय कमिश्‍नर तथा , अपने न्‍याय विभाग भारत सरकार को की गई कार्यवाही से अवगत करा दिया जायेगा । जनता अपना आवेदन अब सीधे प्रोबोनो एडवोकेट के ई लोक सेवा केन्‍द्र पर निम्‍न चित्रानुसार प्रस्‍तुत कर सकती है । – नरेन्‍द्र सिंह तोमर , 42 गांधी कॉलोनी , मुरैना , म.प्र.

Pro Bono Advocate has been Lodged F. I. R to D. G. P. of Madhya Pradesh


प्रोबोनो एडवोकेट नरेन्द्र सिंह तोमर ने भारत सरकार की ओर से म. प्र. पुलिस के डी. जी. पी. के सायबर सेल में दर्ज कराई एफ. आई. आर. और एडिशनल इत्तलायें दीं. मामला सायबर क्राइम , आई. टी. एक्ट, आई. पी. सी. एवं लीगल एड सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट 1987. से संबंधित.

अब वकीलों को कोर्ट कैम्पोस में बैठकर दूकान सजा कर नहीं बैठना पड़ेगा, अब जिला न्यायालय भी ऑनलाइन हुये


अब जिला न्यासयालय भी ऑनलाइन हुये , जिला ई कोर्ट में भी अब इंटरनेट के जरिये ऑनलाइन ई फाइलिंग तथा हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की तरह सारी सुविधायें ई कोर्ट हुईं
अब वकीलों को कोर्ट कैम्पकस में बैठकर दूकान सजा कर नहीं बैठना पड़ेगा
मुरैना / ग्वाकलियर/ भि‍ण्डा / जबलपुर , भोपाल, इंदौर । 20 फरवरी 18. ( ग्वाधलियर टाइम्स ) म.प्र. हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर म.प्र. की जिला अदालतें ( जिला एवं सत्र न्यारयालयों को भी ई कोर्ट में तब्दी,ल कर दिया गया है और अब म.प्र. के जिला एवं सत्र न्यादयालयों में भी केसो की ई फाइलिंग, नकल प्रतिलिपि लेना , किसी भी प्रकार का आवेदन देना आदि, ई पेपरबुक आदि सभी सुविधायें अब इंटरनेट के जरिये ऑनलाइन फाइल किये जा सकेंगें , इसके अलावा न्या.यालय की फीस भी ऑनलाइन ही जमा होगी ।
अभी तक प्रोबोनो एडवोकेट लीगल एड सेवायें एवं सहायता केन्द्रों को दूसरे जिले का केस मिलने पर अनेक जगह काफी दूरियों पर स्वोयं उपस्िें त होना पड़ता था , इस सुविधा के जिला न्याजयालयों में लागू होने के बाद अब प्रोबोनो एडवोकेटस अपने कार्यालय से ही सभी प्रकार की ई फाइलिंग एवं आवेदन आदि किसी भी जिला एवं सत्र न्यालयालय में इंटरनेट के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत ई कोर्ट में दे सकेंगें , इसके अलावा वे कोर्ट भी ऑनलाइन ही बदल सकेंगें , जिस कोर्ट में उन्हें मामला सुनवाई उपयुक्त व उचि‍त जान पड़ेगी , या जिस जिला में केस सुना जाना चाहिये उसमें वे केस ऑनलाइन ही ट्रांसफर कर सकेंगें । यह सुविधा एकदम उसी तरह है जैसे कि वर्तमान में हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट मं बेंच बदलने के लिये है ।
अब म.प्र. की जिला अदालतों में एडवोकेट का यूजर आई. डी. और पासवर्ड वही रहेगा जो कि उन्हें म.प्र. हाईकोर्ट के लिये प्राप्तप हुआ था , वे म.प्र. हाईकोर्ट से प्राप्तर यूजर आई. डी. व पासवर्ड का इस्तेरमाल कर ही किसी भी जिला न्या यालय में लॉगिन कर सकेंगें । उन्हे अलग से यूजर आई. डी. व पासवर्ड नहीं लेना होगा । जबकि सुप्रीम कोर्ट ऑफ इण्ि प्या का ए.ओ.आर. ( एडवोकेट ऑन रोल) यूजर आई. डी. व पासवर्ड पहले से ही अलग है , वह अलग व गुप्त ही रहेगा और सुप्रीम कोर्ट के लिये ही लॉगिन हेतु रहेगा ।
हालांकि आधि‍कारिक व घोषणा के तौर पर यह सुविधा जिला न्याूयालयों में शुरू कर दी गई है , और म.प्र. हाईकोर्ट की यूजर आई.डी. और पासवर्ड प्राप्त एडवोकेटस एवं प्रोबोनो लीगल एड एवं सर्वि‍सेज के लिये यह लिंक्स ओपन हो रहीं हैं, किन्तुई व्यारवहारिक तौर पर अभी कई जिला न्या‍यालयों में बहुत तेजी से इस पर काम चल रहा है और इस समय हर जिला कोर्ट में ई फाइलिंग व अन्यक ई कार्य हेतु अभी ई फाइलिंग लिंक्सं आनलाइन नहीं की गई हैं , केवल ई कॉमर्स कोर्ट की लिंक ही प्रदर्शिइत होती है , ऐसी दशा में ई एडवोकेटस , म.प्र. हाईकोर्ट की संबंधि‍त बेंच के वेब पोर्टल पर उपलब्ध सुपवधाओं के जरिये अधनीस्थव जिला न्या यालय के वेबपोर्टल पर इन सुविधाओं का उपयोग कर जरिये म.प्र. हाईकोर्ट अपना केस ई फाइल व अन्यस सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं ।
इस प्रक्रिया के ऑनलाइन होते ही , जिला न्या यालयों में स्वकत: ही वकीलों का बैठना बंद और इंटरनेट पर काम करना व आई.सीटी. में सुप्रशि‍क्षि त होना अनिवार्य हो जायेगा ।

Govardhan Giriraj Ji Ki Parikrama Part – 2


मिशन इन्‍द्र धनुष मुरैना


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