महाभारत के अंतिम चकृवर्ती सम्राट और संपूर्ण भारत के आखरी हिन्दू महाराजा दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर का जन्म दिवस इस साल 28 जुलाई 2022 को हरियाली अमावस्या को मनाया जायेगा


दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर , प्रतिमा चित्र तंवरावाटी राजपूताना महाराणा प्नताप म का थाना राजस्थान

महाभारत के अंतिम चकृवर्ती सम्राट और संपूर्ण भारत के आखरी हिन्दू महाराजा दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर का जन्म दिवस इस साल 28 जुलाई 2022 को हरियाली अमावस्या को मनाया जायेगा
– नरेन्द्र सिंह तोमर ” आनन्द”
दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर महाभारत के अंतिम चक्रवर्ती सम्राट थे ।
अंग्रेजों ने इन्हें दिल्ली का अंतिम हिंदू राजा और तोमरों का भारत पर राज करने वाला आखरी अंतिम राजवंश लिखा और कहा है ।
कुलगुरू व्यास जी के द्वारा अभिमंत्रित कील , व्यास जी के आदेश पर विक्रम संवत 1100 में केवल‌ 28 साल की उम्र में महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने दिल्ली मे़ किल्ली गाड़ी थी जिसे भीमलाट कहते हैं जो महरौली में कुतुब कांपलेक्स में स्थित है , महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने इस किल्ली पर अपनी तलवार की नोंक से लेख खोद दिया था जो आज भी उस पर अंकित है । इसके पास ही अपने कुल व राज पुरोहित पाठक पंडित के कहने और उनकी इच्छा के अनुसार इस किल्ली पर ही चतुर्भुजी महाविष्णु की गरूड़ पर सवार प्रतिमा विग्रह स्थापित कराया और पूजा के लिये बराबर ऊंचाई की मीनार उसके बगल में ही बनवाई जिसमें केवल सीढ़ीयां हैं , इस मीनार कांपलेक्स मे यानि मीनार के परिसर में ही 27 मंदिर पाठक पंडित राजपुरोहितों के लिये बनवाये । यह त्रिपुंड के 27 देवताओं और उनकी शक्तियों तथा योगनीयो़ के मंदिर थे । ( तोमरों के राजपुरोहित पाठकों के नाठ होने के बाद रूधावली अंबाह से राज के समय से तोमरों के कुल व राज पुरोहित अब तक उपाध्याय पंडित हैं )
चन्द्रवंश के प्रतापी सम्राट और पांडव अर्जुन के वंशज महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने सातों द्वीप और सातों समुद्र पर विजय पताका फहरा कर अपने आधीन राज्य किया और धर्मध्वजा ( पंच पताका केसरिया ध्वज – भगवान विष्णु और माता का रंग ही तोमरों का कुल का पंच पताका ध्वज है ) सभी दिशाओं मे फहराई । चंद्रमा और सात तारों यानि सप्तर्षि के निशान‌ वाला चौकोर हरा झंडा , गौ बच्छा रक्षा – तोमरो का राज चिह्न ) से सभी दिशायें चहुंओर चमक धमक कर फहरायमान हो उठीं ।
अंग्रेजों के मुताबिक राजपूत महाराजा अनंग पाल सिंह तोमर ने दिल्ली मे किल्ली सन 1150 के आस पास गाड़ी , तोमर क्षत्रिय राजपूतों की वंशावली के मुताबिक यह विक्रम संवत 1100 में दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने गाड़ी ।
दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर के भाई मदनपाल सिंह तोमर की दो बेटियों के पुत्र‌ पृथ्वीराज सिंह चौहान और जय चंद्र सिंह राठौर सगे मौसेरे भाई थे ।
दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर के बड़े पुत्र को घूरे पर फिंकवाया गया था और मृत बताया गया था , जिसे एक पठान‌ को महल की दासी ने दे दिया था और पालने पोसने को कहा था , जो आगे चलकर गजनी का सुल्तान बना और मोहम्मद गौरी कहलाया ।
महल में चल रहे षडयंत्रों के चलते कुल गुरू व्यास जी ने सावधान करते हुये महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर को कम से कम एक साल की तीर्थयात्रा के बहाने बाहर जाने और रहने का आदेश दिया जिससे उन्हें सुरक्षित रूप से पुत्र प्राप्ति हो सके ।
दिल्लीपति को 32 साल की उम्र में द्वितीय पूत्र सोनपाल सिंह तोमर की प्राप्ति चम्बल में अपने पुरखे महाराजा शांतनु और भरत के जन्मस्थान ( गढ़ चामल – वर्तमान में यह स्थान गुढ़ा चम्बल कहलाता है ) में निवास के दौरान हुई , वे उसे दिल्ली लेकर वापस पहुंचे , जहां पृथ्वीराज के मन में बेईमानी आ गयी और उसने दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर का सिंहासन उन्हें वापस लौटाने से इंकार कर दिया और युद्ध करने के बाद जीत कर सिंहासन वापस लेने का फरमान दिल्लीपति को सुना दिया , राजपुरोहित पाठक और कुलगुरू व्यास जी ने दिल्लीपति को दोहित्र के साथ युद्ध करने और उसका वध करने से रोक दिया और कहा कि इसके बाद तुम्हारे पुरखों को राजसूर्य यज्ञ करना पड़ा और स्वजन व पूजनीय लोगो़ के वध के पाप से मुक्ति हेतु कैलाश पर भगवान शंकर की शरण में जाना पड़ा और शंकर जी उन्हें देखकर छिपते भागते फिरे थे तब नंदी रूप धरे भगवान शंकर का कूबड़ ही पांडव पकड़ पाये और उनने वहां केदारनाथ बनवाया और शंकर जी के सींग पशुपतिनाथ मे निकले जहां पांडवों ने पशुपतिनाथ मंदिर बनवाया जिसकी पूजा करके ही वे पापमुक्त हुये , इसलिये इसके साथ युद्ध और इसका वध तुम्हारे लिये उचित नहीं है , यह तुमसे उम्र में भी काफी छोटा है ।
इसके बाद दिल्लीपति चंबल में‌ वापस आ गये और ऐसाह नामक स्थान पर‌ एक छोटा सा दुर्ग बनवाकर वहां अपनी राजधानी बनाई ।
उनके बड़े पुत्र ने पृथ्वीराज से बदला लिया , छोटे पुत्र सोनपाल का विवाह नरवर के कछवाहे राजा कीरतसेन की पुत्री ककनवती से हुआ , नाती सुल्तान शाह का विवाह करौली के जादौन राजा हमीर सिंह की पुत्री अकलकंवर से हुआ , उनके प्रपौत्र कंवरपाल का विवाह चित्तोड़गढ़ के सिसोदिया राजा रावल रतन सिंह सिसोदिया और महारानी पद्मिनी की एकमात्र पुत्री हेमावती से हुआ , उनके दो पुत्र रावल घाटम देव और रावल वीरम देव यानि वीर सिंह देव ने तोमरघार के 52, 84 और 120 गांव बसाये जिसे बावन बीसा सौं चौरासी की मशहूर तोमरघार कहते हैं ।
इसी ऐसाह गढ़ी के किले में विक्रम संवत 1199 में ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर मोक्षलोक वासी होकर विष्णुधाम चले गये ।
दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर की वंशावली के अनुसार उनका जन्म विक्रम संवत 1072 में हरियाली अमावस्या को सावन के महीने में दोपहर हुआ ।

नरेन्द्र सिंह तोमर “आनंद ” ( दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर की 23 वीं पीढ़ी )

अब म.प्र. शासन की पॉाच लोक सेवायें , भारत सरकार के प्रोबोनो एडवोकेट के हवाले


अब म.प्र. शासन की पूरे मध्‍यप्रदेश की पॉंच लोकहितकारी सेवायें भी भारत सरकार के डिजिटल इंडिया को म.प्र. शासन द्वारा साौंपी गईं , ये सेवायें भाारत सरकार के न्‍याय विभाग , विधि एवंन्‍याय मंत्रालय के के तहत प्रोबो एडवोकेट के कार्यालय पर ई लोक सेवा केन्‍द्रों के माध्‍यम से उपलब्‍ध होंगी , हर सेवा की समयावधि निर्धारित है , उतने समय के अंदर यदि किसी को प्रमाणपत्र नहीं प्राप्‍त होता है या सेवा प्राप्‍त नहीं होती है तो सीधा एक्‍शन प्रोबोनो एडवोकेट कार्यालय द्वारा लिया जायेगा और दोषी के विरूद्ध सीधी कार्यवाही कर म.प्र. शासन के प्रमुख सचिव को , नगर निगम आयुक्‍त , जिला कलेक्‍टर , संभागीय कमिश्‍नर तथा , अपने न्‍याय विभाग भारत सरकार को की गई कार्यवाही से अवगत करा दिया जायेगा । जनता अपना आवेदन अब सीधे प्रोबोनो एडवोकेट के ई लोक सेवा केन्‍द्र पर निम्‍न चित्रानुसार प्रस्‍तुत कर सकती है । – नरेन्‍द्र सिंह तोमर , 42 गांधी कॉलोनी , मुरैना , म.प्र.

अब वकीलों को कोर्ट कैम्पोस में बैठकर दूकान सजा कर नहीं बैठना पड़ेगा, अब जिला न्यायालय भी ऑनलाइन हुये


अब जिला न्यासयालय भी ऑनलाइन हुये , जिला ई कोर्ट में भी अब इंटरनेट के जरिये ऑनलाइन ई फाइलिंग तथा हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की तरह सारी सुविधायें ई कोर्ट हुईं
अब वकीलों को कोर्ट कैम्पकस में बैठकर दूकान सजा कर नहीं बैठना पड़ेगा
मुरैना / ग्वाकलियर/ भि‍ण्डा / जबलपुर , भोपाल, इंदौर । 20 फरवरी 18. ( ग्वाधलियर टाइम्स ) म.प्र. हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर म.प्र. की जिला अदालतें ( जिला एवं सत्र न्यारयालयों को भी ई कोर्ट में तब्दी,ल कर दिया गया है और अब म.प्र. के जिला एवं सत्र न्यादयालयों में भी केसो की ई फाइलिंग, नकल प्रतिलिपि लेना , किसी भी प्रकार का आवेदन देना आदि, ई पेपरबुक आदि सभी सुविधायें अब इंटरनेट के जरिये ऑनलाइन फाइल किये जा सकेंगें , इसके अलावा न्या.यालय की फीस भी ऑनलाइन ही जमा होगी ।
अभी तक प्रोबोनो एडवोकेट लीगल एड सेवायें एवं सहायता केन्द्रों को दूसरे जिले का केस मिलने पर अनेक जगह काफी दूरियों पर स्वोयं उपस्िें त होना पड़ता था , इस सुविधा के जिला न्याजयालयों में लागू होने के बाद अब प्रोबोनो एडवोकेटस अपने कार्यालय से ही सभी प्रकार की ई फाइलिंग एवं आवेदन आदि किसी भी जिला एवं सत्र न्यालयालय में इंटरनेट के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत ई कोर्ट में दे सकेंगें , इसके अलावा वे कोर्ट भी ऑनलाइन ही बदल सकेंगें , जिस कोर्ट में उन्हें मामला सुनवाई उपयुक्त व उचि‍त जान पड़ेगी , या जिस जिला में केस सुना जाना चाहिये उसमें वे केस ऑनलाइन ही ट्रांसफर कर सकेंगें । यह सुविधा एकदम उसी तरह है जैसे कि वर्तमान में हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट मं बेंच बदलने के लिये है ।
अब म.प्र. की जिला अदालतों में एडवोकेट का यूजर आई. डी. और पासवर्ड वही रहेगा जो कि उन्हें म.प्र. हाईकोर्ट के लिये प्राप्तप हुआ था , वे म.प्र. हाईकोर्ट से प्राप्तर यूजर आई. डी. व पासवर्ड का इस्तेरमाल कर ही किसी भी जिला न्या यालय में लॉगिन कर सकेंगें । उन्हे अलग से यूजर आई. डी. व पासवर्ड नहीं लेना होगा । जबकि सुप्रीम कोर्ट ऑफ इण्ि प्या का ए.ओ.आर. ( एडवोकेट ऑन रोल) यूजर आई. डी. व पासवर्ड पहले से ही अलग है , वह अलग व गुप्त ही रहेगा और सुप्रीम कोर्ट के लिये ही लॉगिन हेतु रहेगा ।
हालांकि आधि‍कारिक व घोषणा के तौर पर यह सुविधा जिला न्याूयालयों में शुरू कर दी गई है , और म.प्र. हाईकोर्ट की यूजर आई.डी. और पासवर्ड प्राप्त एडवोकेटस एवं प्रोबोनो लीगल एड एवं सर्वि‍सेज के लिये यह लिंक्स ओपन हो रहीं हैं, किन्तुई व्यारवहारिक तौर पर अभी कई जिला न्या‍यालयों में बहुत तेजी से इस पर काम चल रहा है और इस समय हर जिला कोर्ट में ई फाइलिंग व अन्यक ई कार्य हेतु अभी ई फाइलिंग लिंक्सं आनलाइन नहीं की गई हैं , केवल ई कॉमर्स कोर्ट की लिंक ही प्रदर्शिइत होती है , ऐसी दशा में ई एडवोकेटस , म.प्र. हाईकोर्ट की संबंधि‍त बेंच के वेब पोर्टल पर उपलब्ध सुपवधाओं के जरिये अधनीस्थव जिला न्या यालय के वेबपोर्टल पर इन सुविधाओं का उपयोग कर जरिये म.प्र. हाईकोर्ट अपना केस ई फाइल व अन्यस सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं ।
इस प्रक्रिया के ऑनलाइन होते ही , जिला न्या यालयों में स्वकत: ही वकीलों का बैठना बंद और इंटरनेट पर काम करना व आई.सीटी. में सुप्रशि‍क्षि त होना अनिवार्य हो जायेगा ।

Govardhan Giriraj Ji Ki Parikrama Part – 2


मिशन इन्‍द्र धनुष मुरैना


इतने कमीने भ्रष्‍ट गुंडास्‍वामीयों से लड़ रहे हैं , कि …..



इतने कमीने भ्रष्‍ट गुंडास्‍वामीयों से लड़ रहे हैं , कि ….. हालात ये हैंकि सालों का केवल वश ही नहीं चल रहा हरामियों का … वरना ….

महालक्ष्‍मी अष्‍टक एवं श्री सूक्‍त तथा तंत्र मंत्र पूजा की दुर्लभ सामग्री


दुर्लभ पूजा व तंत्र सामग्री कैसे प्राप्‍त करें एवं भवानी अष्‍टक


Nava Griha Stotra & Kanak Dhaara Stotra


श्री कृष्‍ण जन्‍म अष्‍टमी पर विशेष प्रस्‍तुति


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